सुल्तानपुर-इतिहास ऐसा भी कि इसौलीविधानसभा ने बनाया था मुख्यमंत्री,1980 से अब तक का देखें समीकरण और जनसंपर्क में क्या कह गए बजरंगी भाईजान, देखे पूरी वीडियो रिपोर्ट।

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सुल्तानपुर जनपद में लगने वाली इसौली विधानसभा सीट के मतदाता अपनी धारा को मोड़ने या छोड़ने को जल्दी तैयार नहीं होते।इसके बारे में आप को पूरी जानकारी देंगे पहले हम आप को 2022 का विधानसभा चुनाव में कौन कौन प्रत्याशी मैदान में है उसकी जानकारी देते हैं।

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*सुल्तानपुर-इसौलीविधानसभा ने बनाया था मुख्यमंत्री,1980 से अब तक का देखें समीकरण, जनसंपर्क में क्या कह गए बजरंगी भाईजान।

चुनावी मैदान उतरे भाजपा के प्रत्याशी ओम प्रकाश पाडेय बजरंगी से ।क्षेत्र ने जनसंपर्क कर रहे बजरंगी से मीडिया ने सवाल जबाब किया तो उन्होंने क्या कहा आप भी सुने।

इसौली विधानसभा में बसपा प्रत्याशी बाहुबली यश भद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह। भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश पांडेय उर्फ बजरंगी सपा पार्टी से प्रत्याशी मो ताहिर खान के बीच त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। अब हम आप को वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव परिणाम बताते हैं जब भाजपा लहर के बाद भी विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की साइकिल खूब तेज दौड़ी। कभी कांग्रेस का गढ़ रही इसौली पर अब सपा का कब्जा है। इस बार के चुनाव में भी जोर सब लगा रहे हैं, लेकिन समीकरण को साधने वाले ही इस बार भी चुनावी जीत दर्ज करने में क्या कामयाब होंगे यह सवाल है।
सुल्तानपुर जिले की पांच विधानसभा सीटों में से एक इसौली विधानसभा सीट के मतदाता धारा के विपरीत भी जाने से नहीं घबराते हैं। वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव इसका उदाहरण है। प्रदेश में मोदी लहर के बीच भी समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके अलावा कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और भाजपा भी मुस्तैदी से लड़ रही हैं। तमाम दावेदार मैदान में उतर कर अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
हम अपने दर्शकों को बता दे कि
इसौली से वर्ष 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर श्रीपति मिश्र को पार्टी ने 1982 में प्रदेश की बागडोर सौंपी
थी। इसके बाद कांग्रेस को इस सीट पर एक बार 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यह सीट मिली। वर्ष 1989 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार की जीत के बाद से इस सीट से कांग्रेस को कभी जीत नहीं मिल पाई।
इसौली सीट पर जातीय समीकरण साध कर बसपा व सपा लगातार जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं। पिछले तीन दशक के चुनाव परिणाम को देखें तो दो बार बसपा और चार बार सपा ने इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की है। वर्ष 1993 में निर्दलीय इंद्रभद्र सिंह ने यहां से जीत दर्ज की। वहीं, वर्ष 1996 में कांग्रेस से बागी होकर बसपा में आए जय नारायण तिवारी जीते थे। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में चंद्रभद्र सिंह सोनू ने सपा के टिकट पर चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रहे। वर्ष 2007 के चुनाव में चंद्रभद्र सिंह ने बसपा के टिकट पर यहां से चुनाव जीता। वर्ष 2012 के चुनाव में सपा के अबरार अहमद ने जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में दोबारा समाजवादी पार्टी ने यहां से सफलता दर्ज की। भाजपा व मोदी लहर के बीच समाजवादी पार्टी के अबरार अहमद ने सीट पर अपना कब्जा जमाए रखा। वर्ष 2012 के चुनाव में अबरार अहमद ने 13,941 वोटों से जीत दर्ज की थी। वर्ष 2017 के चुनाव में जीत का अंतर 4241 वोटों का रह गया। उन्होंने तब भाजपा के ओम प्रकाश पाडेय को हराया।हालाकि इस बार फिर भाजपा से ओम प्रकाश पाडेय बजरंगी को टिकट दे कर मैदान में उतार दिया है।इस क्षेत्र में मुस्लिम और यादव वोट बैंक का समीकरण साधने में पिछली बार अबरार सफल रहे थे।

समाजवादी पार्टी के अबरार अहमद ने पिछले दो चुनावों में जातीय समीकरण को खूब साधा है। विधानसभा सीट में सबसे बड़ी आबादी करीब 75 हजार अनुसूचित जाति की है। वहीं, दूसरे नंबर पर मुस्लिम का करीब 71 हजार वोट है। ब्राह्मण 68 हजार, क्षत्रिय 47 हजार, कुर्मी वोट 10 हजार और अन्य के 39 हजार वोट हैं। वहीं, यादव वोट करीब 41 हजार है। मुस्लिम व यादव का वोट एक साथ जैसे ही आता है, विधानसभा सीट पर अन्य उम्मीदवारों को जीत दर्ज करने में परेशानी हो जाती है।

यह रही इसौली की पूरा इतिहास अब हम आप को मिलवाते हैं चुनावी मैदान उतरे भाजपा के प्रत्याशी ओम प्रकाश पाडेय बजरंगी से ।क्षेत्र ने जनसंपर्क कर रहे बजरंगी से मीडिया ने सवाल जबाब किया तो उन्होंने क्या कहा आप भी सुने।

सुल्तानपुर-सपा प्रत्याशी मो ताहिर खां का क्षेत्र में चल रहा है जनसंपर्क।कुड़वार बाजार में मीडिया से की मुलाकात।

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सुल्तानपुर-सपा प्रत्याशी मो ताहिर खां का क्षेत्र में चल रहा है जनसंपर्क।