सुल्तानपुर-(इंटरब्यू)-कांग्रेस प्रत्याशी फिरोज अहमद और भाजपा के प्रत्याशी सीताराम वर्मा से हुई मुलाकात देखे पूरी रिपोर्ट।

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सुल्तानपुर… सुल्तानपुर से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार फिरोज अहमद कांग्रेस कार्यालय में के .डी न्यूज़ ने की मुलाकात, देखे पूरा।

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सुल्तानपुर-इंटरब्यू-कांग्रेस प्रत्याशी फिरोज अहमद और भाजपा के प्रत्याशी सीताराम वर्मा से हुई मुलाकात देखे पूरी रिपोर्ट।

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सुल्तानपुर से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार फिरोज अहमद कांग्रेस कार्यालय में अपने कार्यकर्ताओं को बताते हुए बोले कि सावरकर के हिंदुत्व से नहीं, गांधी के हिंदुत्व से चलेगा देश। फिरोज अहमद ने यह भी कहा कि देश के किसी भी किताब में वर्ष 1923 से पहले हिंदुत्व शब्द नहींआया। और यह भी कहा कि राहुल गांधी के बयान ने गांधी और गोडसे में फर्क बताया। कांग्रेस कार्यालय में प्रत्याशी फिरोज अहमद बोले कि हम नया रोजगार लाने की कोशिश करेंगे।

सुल्तानपुर में बीजेपी विधायक सीताराम वर्मा को सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या का बेहद करीबी माना जाता है। उनके ही निर्देश पर 2017 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया था। टिकट मिला और सदर (जयसिंहपुर) सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। लेकिन जनवरी 2022 में जब स्वामी ने बीजेपी को अलविदा कहा तब सीताराम ने उनके कदम पर कदम रखना मुनासिब नहीं समझा। इसका उन्हें बीजेपी ने ईनाम भी दिया, अब वो लंभुआ सीट से मैदान में हैं। लेकिन उनके आगे सीट बचाने की बड़ी चुनौती है।

वीआरएस लेकर लड़ा था जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव

सीताराम वर्मा वीआरएस लेकर राजनीति में आए थे। उन्होंने बसपा से अपना राजनैतिक कैरियर शुरु किया और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। लेकिन 2012 में सपा सरकार आते ही 15 सितंबर को अविश्वास आया था और कुर्सी चली गई थी। इसी समय जिला पंचायत सदस्य पृथ्वी पाल यादव के अपहरण का उन पर मुकदमा हुआ था जिसमें 2021 में वो बरी हुए। उधर 2017 में सीताराम ने बीएसपी छोड़ बीजेपी का दामन थामा। सदर (जयसिंहपुर) से टिकट फाइनल हुआ तो 15 दिनों में चुनाव लड़कर मोदी लहर का फायदा उठाया।
इस चुनाव में सीताराम को 68950 वोट मिला था। बसपा के राजप्रसाद उपाध्याय दूसरे स्थान पर रहे उन्हें 50177 वोट मिला था। वही सपा के पूर्व विधायक अरुण वर्मा 49692 को वोट मिला था। सीताराम वर्मा 18773 वोटों जीते थे। इस बार सीताराम को उनकी चहेती सीट लंभुआ पर पार्टी ने भेजा है और सदर सीट जहां से उन्होंने जीत दर्ज कराई थी वहां निषाद पार्टी के राजप्रसाद उपाध्याय चुनाव लड़ रहे।

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