छठ पूजा 2024 ,आखिर क्यों महिलाएं करती हैं महा छठ व्रत , त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी से जुड़ा है तार।
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नमस्कार दर्शको।
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आज महिलाओं के सबसे बड़े महा व्रत छठ महत्व के बारे में जानकारी देंगे कि यह ब्रत कब से शुरू हुआ सर्वप्रथम इस ब्रत को किसने किया। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी इस व्रत को रखा था। छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
गौरतलब हो कि
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक छठ पूजा मनाया जाता है। इस दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा-उपासना की जाती है। छठ पर्व खासतौर से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी में मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। 5 नवंबर 2024 से नहाय-खाय के साथ कार्तिक छठ पूजा की शुरुआत हो जाएगी। 6 नवंबर को खरना है। 7 नवंबर को छठ पूजा का संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा। 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
आइये जानते है सुलतानपुर जनपद में कैसे तैयारी चल रही है। नगरपालिका और पुलिस विभाग कितना मुस्तैद पहले हम जनपद के कप्तान से जानते है कि क्या है तैयारी फिर नगर पालिका के अध्यक्ष से जानेंगे कि उनकी इस महा पर्व पर क्या व्यवस्था है।
इस महा पर्व को लेकिन महिलाएं क्या कह रही हैं आइये जानते है।
पैच।
आइए जानते हैं छठ पूजा की कहानी…
कुछ कथाओं में द्रौपदी से भी छठ पर्व को जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब माता द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। व्रत के पुण्य फलों से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था। इस तरह से छठ व्रत को सुख-समृद्धिदायक माना गया है।
इसके अलावा यह भी कथा प्रचलित है कि प्रभु श्रीराम ने जब लंकापति रावण को युद्ध में पराजित किया था, तो राम राज्य के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को माता सीता और भगवान श्रीराम ने उपवास किया था और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय दोबारा पूजा-आराधना से सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया था।