एक समय था कि बृजभूषण शरण सिंह ने सीएम मायावती के दांत कर दिए थे खट्टे,लेकिन आज का खुद ही….,देखे पूरी वीडियो रिपोर्ट।

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दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय पहलवानों के आरोपों से घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ अध्यक्ष व कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बुधवार को रोड शो से अपनी ताकत दिखाई। पैतृक आवास विश्नोहरपुर से सुबह दस बजे के करीब वह लाव लश्कर के साथ निकले और वजीरगंज में एक मस्जिद पर रुके। वहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत किया। फिर ब्लॉक में समर्थकों ने और स्कूल की छात्राओं ने भी स्वागत किया।

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एक समय था कि बृजभूषण शरण सिंह ने मायावती के दांत कर दिए थे खट्टे,लेकिन आज का खुद ही….

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष व कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह का नाम ऐसे ही विवादों में नहीं रहा है। वह साल 2004 में भाजपा-बसपा गठबंधन सरकार में सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती से ही भिड़ गए थे। मायावती ने जिले के जय प्रभा ग्राम में एक कार्यक्रम के दौरान गोंडा का नाम बदलकर जयप्रकाश नारायण नगर रख दिया था। इस पर सांसद ने न सिर्फ पदयात्रा निकाली, बल्कि तत्कालीन सीएम को चुुनौती दे डाली थी। उन्हें सफलता भी मिली और गोंडा नाम बरकरार रहा। साल 2004 में तत्कालीन सीएम के खिलाफ चलाया गया उनका अभियान काफी चर्चित रहा। कारण यह भी था कि सांसद की मुहिम से लोग आशंका जता रहे थे कि मुख्यमंत्री मायावती कहीं बड़ी कार्रवाई न कर दें। उस समय वह कड़े तेवर में थीं और चुनौती देने वालों पर कार्रवाई से नहीं चूकती थीं। मगर सांसद ने विरोध तब-तक बंद नहीं किया, जब तक दोबारा गोंडा नाम तय नहीं हो गया।
यही नहीं उन्होंने उसी समय गठबंधन सरकार की जिले में समीक्षा भी शुरू कर दी थी। बसपा से गठबंधन करके भाजपा ने क्या खोया, क्या पाया? जैसी समीक्षा की और कार्यकर्ताओं से संवाद कायम करना शुरू किया। बताया जा रहा है कि उस समय जिले में भाजपा कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही थी। जिस पर सांसद ने समर्थकों के साथ तत्कालीन डीएम बीएल मीना को भी चुनौती दी थी। बाद में डीएम भी हटाए गए थे। इस तरह सांसद अक्सर अपने फैसलों को लेकर चर्चा में रहे। उन्हें कभी परिणाम की चिंता नहीं रहती थी।

28 साल से बृजभूषण तय करते चले आ रहे हैं जिला पंचायत अध्यक्ष सरकार चाहे जिसकी हो मगर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर वही बैठता है, जिसे सांसद बृजभूषण शरण सिंह का समर्थन मिलता है। वर्ष 1995 से जिला पंचायत में सांसद ने दखल दी, उस समय पूर्व राज्यमंत्री विनय कुुमार पांडेय की पत्नी सीमा पांडेय अध्यक्ष चुनी गईं। इसके बाद वर्ष 2000 में बृजकिशोर भारती, वर्ष 2005 में बलरामपुर विधायक पल्टूराम की पत्नी ज्ञानमती सांसद के समर्थन से अध्यक्ष बनीं। वर्ष 2010 में सपा नेता व पूर्व राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह की पत्नी विजयलक्ष्मी सिंह अध्यक्ष बनीं, इसमें सांसद का खुला समर्थन तो नहीं था मगर विरोध भी नहीं था।
वर्ष 2015 में पूर्व मंत्री स्व. विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह की बहू श्रद्धा सिंह अध्यक्ष बनीं, इसमें भी सांसद ने साथ दिया था। मगर 2017 में भाजपा सरकार बनने पर श्रद्धा सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। जिसके बाद सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी पत्नी व पूर्व सांसद केतकी सिंह को अध्यक्ष बनाया। साल 2022 में अपने समर्थक घनश्याम मिश्र को निर्विरोध अध्यक्ष बनवाया। इस बार तो वह मंडल के चारों जिलों में अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनवाने में सफल रहे, कई अन्य जिलों में भी चुनाव प्रबंधन किया।

सांसद बृजभूषण शरण सिंह क्षेत्र में समर्थकों से मिलते हुए करनैलगंज तक गए। इस दौरान सौ से अधिक स्थानों पर लोगों ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया और साथ देने का भरोसा भी दिया। इस दौरान ….तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं, नारे गूंजते रहे।

लोगों के समर्थन और स्वागत से सांसद अभिभूत दिखे। उनकी आंखों विश्वास बढ़ा दिखा। भावनाएं भी उछाल मार रहीं थीं। इसके बाद भी वह चुप्पी साधे रहे और बिना कुछ बोले ही बहुत कुछ कह गए। पहली बार ऐसा हुआ कि कुर्सी थी, जबर्दस्त भीड़ थी, मगर माइक नहीं था। लोग चाहते थे कि सांसद कुछ बोलें, कुछ बताएं मगर वह पूरी तरह संयमित दिखे। सधे अंदाज में सबके स्वागत को स्वीकार किया और बोले भी तो सिर्फ हालचाल ही लिया।
वजीरगंज में पूर्व राज्यमंत्री राम बहादुर सिंह ने समर्थकों के साथ स्वागत किया। कई अन्य स्थानों पर भी स्वागत हुआ। खोरहंसा बाजार के बाद झंझरी ब्लॉक पर प्रमुख प्रतिनिधि आशीष मिश्र और अंबेडकर चौराहे पर महेंद्र सिंह, विवेक मणि श्रीवास्तव, केके मिश्र, जीवन लाल शुक्ल आदि ने स्वागत किया। सिधौटी के रहने वाले पप्पू सिंह ने हारीपुर में पथवलिया, बालपुर, परसा गोंडरी, चौरी, गोनवा के साथ ही करनैलगंज में स्वागत की धूम रही।

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