KDNEWS/अमेठी-अस्थमा रोगी ठंड में हरदम रहे सतर्क,करे स्वम का बचाव-मुख्यचिकित्साधिकारी

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अमेठी-अस्थमा रोगी ठंड में हरदम रहे सतर्क,करे स्वम का बचाव-मुख्यचिकित्साधिकारी

चंदन दुबे की रिपोर्ट

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बदलते मौसम और सर्द हवा के कारण अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है।इस दौरान ठंडी हवा के कारण मांसपेशियों में भी ऐंठन पैदा होने लगती है। चिकित्सकों के अनुसार सर्दी में अस्थमा रोगी की सांस की नली में सूजन आ जाती है,इसलिए उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके लिये बिना देरी किये चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश कुमार दुबे ने बताया कि सर्दी की शुरुआत होते ही कई लोगों के लिए मुश्किल पैदा हो जाती हैं। जहां कुछ लोग सर्दी-जुकाम के शिकार हो जाते हैं तो वहीं कुछ लोगों का पुराना चोट का दर्द उठ जाता है।जबकि अस्थमा के रोगियों को अटैक का खतरा बढ़ जाता है।उन्हें सांस लेने में दिक्कत और खांसी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

सीएमओ ने बताया कि अस्थमा या दमा दो प्रकार के होते हैं।पहला बाहरी अस्थमा और दूसरा आंतरिक अस्थमा।बाहरी अस्थमा होने का कारण बाहरी एलर्जी है जैसे-पालतू जानवरों के बाल, धूल के कण और घर में जमी फफूंद आदि।वहीं, आंतरिक अस्थमा होने का कारण हमारे द्वारा ली गई घातक केमिकल तत्वों वाली सांस होती है।अस्थमा रोगियों को नाक-मुंह ढक कर रखना चाहिए।मुंह ढक कर रखना फेफड़ों के लिए काफी अच्छा रहता है। कोरोना काल में मास्क का इस्तेमाल कई संक्रमण बचाता है।आग वाली जगह पर बैठने से बचें भले ही आग के पास बैठकर सर्दी में गर्माहट मिलती हो लेकिन अस्थमा रोगियों के लिए यह काफी घातक साबित हो सकती है।शोध में पाया गया है कि अस्थमा के रोगियों के लिए जलती हुई तंबाकू और लकड़ी एक जैसी ही होता है।आग से आने वाले धुएं से फेफड़ों में परेशानी हो सकती है।