रायबरेली/सलोन-ऐसा गांव जहां शौक-सपने सब, तोड़ते है दम,लोग इसे बेबसी मानें या फिर कुदरत की मार,देखे पूरी रिपोर्ट
करीब बारह सौ आबादी वाला गांव बाबुल के दरवाजे तक दूल्हे की कार आते देखने को तरस गया। मुसीबतों के दिनों में मरीज हो या गर्भवती उसे तीन सौ मीटर दूर तक चारपाई पर ले जाना पड़ता है।
ऐसा गांव जहां शौक-सपने सब, तोड़ते है दम
रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला
सलोन (रायबरेली) : यह बारह वर्षों की टीस है। जिसने तरक्की के रास्ते रोक रखे हैं। जो शौक और सपने कुचल रहा है। लोग इसे बेबसी मानें या फिर कुदरत की मार। क्योंकि अफसरशाही से वे नाउम्मीद हो चुके हैं। करीब बारह सौ आबादी वाला गांव बाबुल के दरवाजे तक दूल्हे की कार आते देखने को तरस गया। मुसीबतों के दिनों में मरीज हो या गर्भवती उसे तीन सौ मीटर दूर तक चारपाई पर ले जाना पड़ता है। फायर ब्रिगेड तो ड्रेन के पहले से ही ठहर जाती है। यहां के लोग कार-जीप खरीदना तो चाहते हैं, लेकिन हालात के आगे बेबस हैं।
सलोन विकास क्षेत्र के ग्रामसभा खमरिया पूरे कुशल के ककरहा गांव में लगभग पंद्रह वर्ष पूर्व मटका ड्रेन नाले के ऊपर पुल बना था। करीब 12 वर्ष पहले बारिश वा बाढ़ में बह गया। जिससे ग्रामीणों का मुख्य सड़क तक जाने का संपर्क कट गया। ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों के दरवाजे परिक्रमा करते हुए अर्जी लगाई, लेकिन व्यथा अनसुनी कर दी गई।
इनसेट –
अपने खर्च से पीपा और खंभा लाकर बनाई डगर
गांव के लोगों ने अपने खर्च से दो बिजली के खंभे और पीपा खरीदकर किसी तरह डगर बना ली है। लेकिन उस रास्ते से वाहन नहीं निकल पाते। बच्चों को स्कूल भी नाले में घुसकर जाना पड़ता है। गांव के लोग बताते हैं कि चार वर्ष पूर्व एक घर मे आग लग गई थी, तब फायर ब्रिगेड रास्ता न होने की वजह से लौट गई थी। घटना में छह मकान राख हो गये थे।
कोट-
स्मृति ईरानी से उम्मीदें बढ़ीं
क्षेत्र पंचायत सदस्य उदय भान, संजय, चंद्र मणि, शनि यादव, जग मोहन यादव, पारस नाथ, अमरजीत, रंजीत, अमित आदि लोग कहते हैं कि अब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से उम्मीदें बढ़ी हैं। हम लोगों ने अमेठी सांसद व संबंधित उच्चाधिकारियों को पत्र भेज पुल का निर्माण कराए जाने की गुहार लगाई है।