रायबरेली-रायबरेली सांसद सोनिया नहीं कर पाएंगी केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा
रायबरेली सांसद सोनिया नहीं कर पाएंगी केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा
रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला
रायबरेली। केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद ग्राम्य विकास मंत्रालय जिला विकास एवं समन्वय अनुश्रवण समिति (दिशा) का गठन करना भूल गया। ऐसे में प्रदेश की इकलौती कांग्रेस सांसद व यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने क्षेत्र में केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा करने का अधिकार अब तक नहीं मिल सका है।इसके चलते फिलहाल सांसद की अध्यक्षता में दिशा की बैठक भी संभव नहीं है। अमेठी संसदीय क्षेत्र सहित प्रदेश के तकरीबन सभी जिलों में दिशा का गठन हो चुका है। अमेठी में पूर्व सांसद राहुल गांधी को हटाकर केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी को दिशा का चेयरमैन बनाया गया है। सरकार बनने के 100 दिन बाद भी रायबरेली में दिशा का गठन न होने पर डीएम ने आयुक्त को पत्र भेजा है।
गौरतलब है कि आमतौर पर लोकसभा का चुनाव होने के बाद निर्वाचित सांसदों की अध्यक्षता में दिशा समिति का गठन होता है। जो हर तीन माह में केंद्रीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से अध्यक्ष और सहअध्यक्ष का मनोनयन किए जाने के बाद डीएम समिति का गठन करते हैं। दिशा में सभी विधायकों, ब्लॉक प्रमुखों व संसद सदस्यों को शामिल किया जाता है। खास बात यह कि देश में नई सरकार के गठन के बाद लगभग सभी जिलों में दिशा का गठन कर दिया गया है, लेकिन रायबरेली के लिए अध्यक्ष व सहअध्यक्ष का मनोनयन नहीं किया गया है। इनके मनोनयन के बाद ही सांसद की अध्यक्षता में दिशा की बैठक हो सकती है। 17 माह में दो बाद दिशा की बैठक निरस्त हो चुकी है। इससे पहले 18 अप्रैल 2018 को दिशा की बैठक सांसद सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई थी। इसके बाद दो नवंबर 2018 और 24 जनवरी 2019 को भी दिशा की बैठक होनी थी जो किन्हीं कारणवश निरस्त हो गई। नई सरकार के गठन के बाद दिशा का गठन न होने से अब तक बैठक नहीं हो सकी है।
इनसेट-
” जिला विकास एवं समन्वय अनुश्रवण समिति (दिशा) के गठन के लिए पत्र भेजा गया है। मंत्रालय से अध्यक्ष व सह अध्यक्ष मनोनीत होने के बाद जिले में समिति का गठन कर दिया जाएगा। इसके बाद ही दिशा की बैठक होगी। ऐसे में फिलहाल दिशा केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा संभव नहीं है।”
– नेहा शर्मा, जिला अधिकारी, रायबरेली
“यूपीए अध्यक्ष व सांसद सोनिया गांधी रायबरेली से लगातार सांसद हैं। ऐसी स्थिति में वे ही दिशा की अध्यक्ष हैं। इसमें बार-बार ग्रामीण विकास मंत्रालय से अध्यक्ष व सह अध्यक्ष के मनोनयन की जरूरत नहीं है। सांसद ही सदैव दिशा का अध्यक्ष होता है। बाकी जनप्रतिनिधि सह अध्यक्ष व सदस्य होते हैं।”
– केएल शर्मा, सांसद प्रतिनिधि
“लोकसभा चुनाव के बाद हर बार दिशा के लिए अध्यक्ष व सह अध्यक्ष का मनोनयन ग्रामीण विकास मंत्रालय से होता है। बिना मनोनयन के जिले में दिशा का गठन नहीं किया जा सकता है। दोबारा सांसद चुने जाने के बाद ही यह औपचारिकता पूरी होना जरूरी है। बिना दिशा के गठन बैठक भी नहीं हो सकती।”
– प्रेमचंद्र पटेल, पीडी डीआरडीए