यूपी में कम वोट प्रतिशत से सभी पार्टियों की चेहरे पर उड़ गई हवाइयां। अंतिम चरण में सभी पार्टियों ने झोंकी पूरी ताकत। जोर आजमाइश चरम पर।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तहत 6 चरणों का मतदान मतपेटियों में बंद हो चुका है। सातवें और आखिरी चरण को लेकर तमाम पार्टियां द्वारा जोर आजमाइश शुरू हो गई हैं। लेकिन कम वोटिंग का डर सभी प्रत्याशियों के चेहरे पर साफ झलक रहा है।
*यूपी की 2019 और अब हुए मतदान में कितनी कम हुई वोटिंग,सभीपार्टियों की चेहरे पर उड़ रही हैं हवाइयां,देखे रिपोर्ट*
गौरतलब हो कि इलेक्शन कमीशन के तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर प्रदेश में पूर्व में हुई लोकसभा चुनाव 2019 की चुनाव आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई। पश्चिम उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ मतदान नेताओं, चुनाव अधिकारियों के तमाम प्रयासों के बाद भी चरण दर चरण थोड़ा बेहतर जरूर हुआ है लेकिन फिर भी वोट प्रतिशत में कमी लगातार बनी हुई है।
वैसे तो चुनाव शुरू होने पर भीषण गर्मी के मौसम को मतदान पर असर पड़ने का अंदाजा पहले से ही लगाया जा रहा था। पहले चरण में सहारनपुर से पीलीभीत तक 8 सीटों पर मतदान हुआ तो सच सामने आ भी किया। पश्चिम के इस इलाके में हमेशा से सबसे ज्यादा वोट पड़ते रहे हैं। इस बार भी पड़े लेकिन फिर भी 2019 के मुकाबले करीब सवा 5 प्रतिशत वोटिंग कम ही दर्ज की गई। इस प्रथम चरण के बाद पार्टियों ने भी वोटरों को निकालने की जुगत भिड़ानी शुरू कर दी लेकिन कोई फायदा नहीं निकला और दूसरे चरण में करीब 7 प्रतिशत वोटिंग हुई। तीसरा चरण आते-आते चुनाव ने थोड़ा जोर पकड़ा और लोग निकलने लगे और मत प्रतिशत में कमी का आंकड़ा घटता दिखाई दिया। तीसरे चरण में करीब सवा 2 प्रतिशत मत कम पड़े। वहीं चौथे, पांचवे और छठे चरण में ये कमी सुधकर आधा फीसदी तक गिर गई।
अब सवाल है कि कम मतदान से प्रत्याशियों के पसीने क्यों छूट रहे हैं। इसका अंदाजा आप मछलीशहर लोकसभा सीट से लगा सकते हैं जहां 2019 के चुनाव में यहां भाजपा से बीपी सरोज ने महज 181 वोटों से बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी त्रिभुवन राम को मात दी थी। इस बार बीपी सरोज एक बार फिर से चुनाव मैदान में उन्हें इंडी गठबंधन से प्रिया सरोज चुनौती दे रही हैं। वहीं बसपा प्रत्याशी कृपा शंकर सरोज हैं। प्रत्याशियों के सामने चुनौती इसलिए है क्योंकि इस बार मछलीशहर में करीब डेढ़ फीसदी मतदान कम हुआ है। 2019 में यहां 56.02 प्रतिशत वोट पड़े थे, वहीं इस बार सिर्फ 54.43 पर मामला सिमट गया है।
आइये जानते हैं यूपी में 2019 में और अब 2024 में किस चरण में कितना मतदान हुआ।
प्रथम चरण में 2019 में 66.42 प्रतिशत रहा तो 2024 में 61.11 प्रतिशत रहा जो 2019 के मतदान में 5.31प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
यही हाल द्वितीय चरण में 2019 में 62.18 प्रतिशत रहा तो 2024 में 55.19 प्रतिशत दर्ज हुआ, जिसमे 6.99 प्रतिशत की कमी आई।
तीसरा चरण में 2019 में 59.79 प्रतिशत तो 2024 में 57.55 प्रतिशत रहा,इस चरण में 2.24 प्रतिशत कम वोटिंग हुई।
वही चौथे चरण में 2019 में जहां 58.75 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया तो वही 2024 में 58.22 प्रतिशत रहा जो 0.53 प्रतिशत कम दर्ज किया गया।
पांचवा चरण में 2019 में 58.38 प्रतिशत रहा तो 2024 में 58.02 प्रतिशत रहा जो 0.36 प्रतिशत कम रहा।
छठा चरण में 2019 में 54.49 प्रतिशत मतदान हुआ तो 2024 में 54.04 प्रतिशत रहा जो 0.45 प्रतिशत कम दर्ज किया गया।
यूपी में अब तक जितने भी फेज हुए, उनमें छठे चरण में सबसे कम मतदान दर्ज किया गया। इसमें भी फूलपुर ने सबसे ज्यादा मायूस किया। यहां सिर्फ 48.94 प्रतिशत ही वोट पड़ें। हालांकि 2019 में भी यहां सबसे कम 49.70 प्रतिशत वोट डाले गए थे। कमोबेश यही स्थिति इलाहाबाद, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, मछलीशहर, डुमरियागंज में भी देखने को मिली। एकमात्र अम्बेडकर नगर सीट ऐसी रही, जहां 2019 की तुलना में ज्यादा वोट पड़े।
अब आप को उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों के लोकसभा सीट 2024 का मत प्रतिशत की तुलना में 2019 का मत प्रतिशत बताते हैं ।सुल्तानपुर में 2024 में 55.50 प्रतिशत रहा तो वही 2019 में यह आंकड़ा 56.37 प्रतिशत था।
प्रतापगढ़ में 2024 में 51.60 तो 2019 में 53.50 प्रतिशत
फूलपुर 48.94 तो 2019 में 49.70 प्रतिशत। यह आंकड़ा हम अपने दर्शकों को 2024 में हुए लोकसभा चुनाव और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव की तुलनात्मक प्रतिशत की जानकारी दे रहे हैं।
इलाहाबाद में 51.75 तो 2019 में 51.83 का आंकड़ा रहा।
अम्बेडकरनगर 61.75 तो वही 2019 में 61.08 प्रतिशत मतदान हुआ। वही
श्रावस्ती में 2024 में 51.76, तो 2019 में 52.08 प्रतिशत रहा।
डुमरियागंज 51.94 तो 2019 में 52.26 प्रतिशत रहा।
बस्ती में यह आंकड़ा 56.67 व 57.19 प्रतिशत का रहा।
संत कबीर नगर में 2024 में 52.63 प्रतिशत तो 2019 में ,54.20 प्रतिशत रहा।
लालगंज में 2024 में 54.14 प्रतिशत तो 2019 में 54.86 प्रतिशत दर्ज हुआ।
आजमगढ़ में 56.07 प्रतिशत तो 2019 में 57.56 प्रतिशत रहा।
जौनपुर में 55.52 तो 2019 में 55.77 प्रतिशत था।
मछलीशहर में 2024 में 54.43 प्रतिशत तो 2019 में यह आंकड़ा 56.02 प्रतिशत था और
भदोही में 2024 में 53.07 प्रतिशत तो 2019 में 53.53 प्रतिशत रहा।