सुलतानपुर-बंदर के घायल हुए बच्चे की मौत पर हनुमान भक्त आलोक मिश्र “पप्पू” ने अंतिम संस्कार कर किया सुंदरकांड का पाठ व भोज का हुआ आयोजन।

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मरने के बाद सभी धर्मों में अंतिम संस्कार करने की परंपरा है। इन चीजों को आपने भी अपने समाज में देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी किसी बंदर के अंतिम संस्कार के बारे में सुना है। हां हम मजाक नहीं कर रहे है, मामला सुलतानपुर जनपद के थाना क्षेत्र धनपतगंज गांव टीकर का है। जहां पर एक बंदर के बच्चे को बंदरो के झुंड ने हमला बोल कर गंभीर रुप से घायल कर दिया और देर शाम उसकी मौत हो गई। जिसके बाद गांव के लोगों द्वारा उस बंदर के बच्चे को बिलकुल इंसानो की तरह अंतिम संस्कार किया गया।

दरअसल टीकर गांव के बारे में कहा जाता है कि इस गांव में लोग बंदरो को हनुमान जी के तरह मानते है। गांव का कोई भी आदमी किसी भी तरह से बंदर को नुकसान नहीं पहुँचता है। कितनी भी शरारत कर ले गांव के लोग बंदर को जानें देते है साथ ही गांव के लोग इनकी पूजा करते है और किसी कारण कोई बंदर मर भी जाता है, तो वहां बिलकुल इंसानो की तरह अंतिम संस्कार करते है।गौरतलब हो कि गांव के आलोक कुमार मिश्र “पप्पू” जो हनुमान जी के भक्त हैं और रामायण का संगीतमयी पाठ भी करते हैं वह अपने खेत की देखभाल करने खेत गए थे जहाँ बगल के आम के बाग में बंदरों के झुंड ने एक बंदर के बच्चे को काट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया,आनन फानन में हनुमान भक्त पप्पू ने उसको धनपतगंज अस्पताल ले जाकर पट्टी सुई दवाई कर अपने घर लाये जहां गांव के लोगों ने घायल बंदर के बच्चे को दूध भी पिलाया लेकिन देर शाम घायल बंदर बच्चे की मौत हो गई।हनुमान भक्त आलोक मिश्र की अगुवाई में गांव के लोगों ने उस बंदर का अंतिम संस्कार किया। साथ ही आत्मा की शांति को लेकर आलोक मिश्र व ग्रामीणों ने मंगलवार को देर शाम सुंदरकांड का पाठ कर ब्राम्हणों के भोज का आयोजन भी किया जो क्षेत्र में चर्चा बना हुआ है।यह कार्यक्रम में दीपक मिश्र के घर पर किया गया साथ ही,मकसूद मिश्र,आशीष मिश्र रमेश मिश्र समेत गांव के तमाम लोग मौजूद रह कर अपना योगदान दिया।

 

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सुलतानपुर- *KDNEWS* गांव के बाग में बंदरों की झुंड ने एक बंदर के बच्चे को घेर कर काट कर किया गंभीर घायल,अपने खेत की देखभाल करने गए थाना क्षेत्र धनपतगंज गांव टीकर के हनुमान भक्त आलोक मिश्र “पप्पू” ने दवा पट्टी करा कर अपने घर ला कर देखभाल किया शुरू,लेकिन देर शाम घायल बंदर की हो गई मौत,सुबह बंदर के शव को लाल कपड़े में लपेट कर ग्रामीणों ने मीठा अगरबत्ती के साथ किया अंतिम संस्कार, आत्मा की शांति को लेकर आलोक मिश्र व ग्रामीणों ने मंगलवार को देर शाम किया सुंदरकांड का पाठ साथ ही ब्राम्हणों के भोज का किया गया आयोजन।