सुलतानपुर-जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005/नियमावली-2015 के सम्बन्ध के बारे में विस्तृत रूप से राज्य सूचना आयुक्त दी जानकारी

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जनपद के जन सूचना अधिकारियों व अपीलीय अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण।

जन सूचना अधिकारियों का प्रथम दायित्व है कि वादी को समय से सूचना उपलब्ध करायें- सूचना आयुक्त।

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जन सूचना अधिकारी आरटीआई से सम्बन्धित प्रार्थना पत्रों का निस्तारण समय से करें-जिलाधिकारी।

सुलतानपुर 11 जुलाई/  राज्य सूचना आयुक्त उ0प्र0 श्री अजय कुमार उप्रेती की अध्यक्षता में आज पं0 राम नरेश त्रिपाठी सभागार में जनपद में कार्यरत जनसूचना अधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारियों को उ0प्र0 सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 एवं उ0प्र0 सूचना का अधिकार नियमावली-2015 के प्रभावी क्रियान्वयन के सम्बन्ध में डा0 राहुल सिंह, स्टेट रिसोर्स पर्सन द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का शुभारम्भ मा0 राज्य सूचना आयुक्त, उ0प्र0 व जिलाधिकारी सी0 इन्दुमती ने दीप प्रज्जवलित कर किया। प्रशिक्षण में जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005/नियमावली-2015 के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी।
राज्य सूचना आयुक्त उ0प्र0 श्री अजय कुमार उप्रेती ने प्रशिक्षण में अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 से भ्रष्टाचार पर काफी लगाम लगी है और प्रत्येक व्यक्ति को जन हित में इसका प्रयोग करना चाहिए, लेकिन इसकी आड़¬ में किसी का शोषण व उत्पीडन न किया जाये। उन्होने कहा कि जन सूचना मांगना सभी का नैतिक अधिकार है। उन्होने कहा कि सभी अधिकारी समय से मांगी गयी सूचनाओं को उपलब्ध कराने का कार्य करें और भरसक प्रयास किया जाये कि जो सूचनाएं विभाग से मांगी जाये उसका निचले स्तर पर ही निराकरण कर दिया जाये, ताकि उसे आयोग तक न जाना पड़े। उन्होने कहा कि आयोग के समक्ष जो भी मामले लाये जाते हैं, उन पर गम्भीरतापूर्वक विचार कर उन्हें निस्तारित किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रतिवादी अगर दिये गये समय में वादी को सूचना उपलब्ध नहीं कराता है तो सम्बन्धित के विरूद्व विभागीय कार्यवाही के आदेश कर दिये जायेंगे। उन्होने कहा कि सूचना का अधिकार आम आदमी का अधिकार है। इसका इस्तेमाल जनहित में होना आवश्यक है तथा जनसामान्य को इसकी जानकारी भी होना जरूरी है। उन्होने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी को समय से दिया जाना चाहिए।
जिलाधिकारी सी0 इन्दुमती ने राज्य सूचना आयुक्त, उ0प्र0 का स्वागत करते हुए प्रशिक्षण में आये जनसूचना अधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारियों से कहा कि इस प्रशिक्षण को गम्भीरता से लें और इसका पालन भी सुनिश्चित करें। उन्होंने सभी विभागो में जन सूचना अधिकार प्रार्थना पत्रों से सम्बन्धित एक रजिस्टर बनाया जाये और प्राप्त प्रार्थनापत्रों के रजिस्टर में अकिंत कर उनका निस्तारण किया जाये। जिलाधिकारी ने मा0 राज्य सूचना आयुक्त को आशवस्त किया कि समय सीमा के अन्तर्गत प्रार्थना पत्रों का निस्तारण कराया जायेगा।


प्रशिक्षण देने आये स्टेट पर्सन डा0 राहुल सिंह ने प्रशिक्षण के दौरान अवगत कराया कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4, 5, 6, 7, 8 अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि आवेदक को 20 साल तक की सूचना दी जा सकती है। परन्तु अलग-अलग विभागो ंमें अभिलेखों के बीड आउट होने से सूचना दिया जाना सम्भव नही हो पाता, ऐसी स्थिति में आवेदक को बीड आउट होने की दिनांक का उल्लेख कर सूचना दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऐसे आवेदन जो विभाग से सम्बन्धित न होकर अन्य लोक प्राधिकरण से सम्बन्धित तो उन्हे 5 दिन के अन्दर सम्बन्धित लोक प्राधिकरण को धारा 6-3 के अन्तर्गत अन्तरण कर देना चाहिए और इसकी सूचना आवेदक को उपलब्ध कराई जाये। उन्होने बताया कि अगर कोई सूचना 2 या 2 से अधिक लोक प्राधिकरण की है तो ऐसी स्थिति में एक्ट के अनुसार जनसूचना अधिकारी प्रार्थनापत्र को निरस्त कर सकता है और आयेग को इसकी सूचना देगा। उन्होने बताया कि लोक प्राधिकरण मांगी गई सूचना अगर उनसे सम्बन्धित/मांगी गई सूचना के अनुसार लोक प्राधिकरण में कार्य नही किया जाता है या रख रखाव नहीं होता है तो एक्ट की धारा के अन्तर्गत प्रार्थनापत्र को निरस्त कर सकता है।
उन्हांने बताया कि मांगी गई सूचना सम्बन्धित लोक प्राधिकरण द्वारा रखे गये या उसके नियंत्रणाधीन अभिलेखों का एक भाग होनी चाहिए। मांगी गई सूचना में ऐसे अनुपलब्ध आंकड़ां का नया संग्रह किया जाना अन्तर्वलित नहीं होना चाहिए, जिनको उपलब्ध कराना किसी अधिनियम अथवा लोक प्राधिकरण के किसी नियम या विनियम के अंतर्गत अपेक्षित नही है। उन्हांने बताया कि नियम 4-2-ख-2 के अन्तर्गत मांगी गई सूचना में विघमान आंकड़ों का नये सिरे से निवर्चन या विशलेषण करने या विधमान आंकड़ो के आधार पर निष्कर्ष निकालने या शरणा बनाने या परामर्श या राय देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। उन्हांने बताया कि नियम 4-2-ख-3 के अन्तर्गत मांगी गई सूचना में काल्पनिक प्रश्नों का उत्तर प्रदान करना अन्तर्गत नहीं होना चाहिए। नियम 4-2-ख-4 के अन्तर्गत मांगी गई सूचना में प्रश्न ‘‘क्यों‘‘ जिसके माध्यम से किसी कार्य के किये जाने अथवा न किये जाने के औचित्य की मांग की गई हो, का उत्तर दिया जाना अन्तर्गत नहीं होना चाहिए। नियम 4-2-ख-5 के अन्तर्गत सूचना इतनी विस्तृत नहीं होनी चहिए उसके संकलन में संसाधनों का अनअनुपाती रूप से विचलन अन्तर्गस्त हो जाने के कारण सम्बन्धित लोक प्राधिकरण की दक्षता प्रभावित हो जाये।
उन्हांने बताया कि सूचना प्राप्त करने के अनुरोध में 500 से अधिक शब्द नही होने चाहिए। थर्ड पार्टी सूचना के सम्बन्ध में उन्होने बताया कि यदि पर व्यक्ति के सम्बन्ध में मांगी गई सूचना अधिनियम के प्रावधानों व नियमावली के नियमों के अनुसार नहीं दी जा सकती हो, तो उस मांग को निर्धारित प्रक्रिया के तहत अस्वीकृत कर दिया जाये। उन्होने बताया कि यदि वांछित सूचना किसी पर व्यक्ति से सम्बन्धित है या उसके द्वारा प्रदान की गई है ओर पर.व्यक्ति द्वारा सूचना को गोपनीय माना गया है तथा जन सूचना अधिकारी का आश्य इस सूचना को प्रकट करने का है तो 5 दिन के भीतर पर व्यक्ति को प्रारूप 9 पर नोटिस दिया जायेगा, जिसमें 10 दिन के अन्दर उसे अपना पक्ष रखने का आमंत्रण दिया जायेगा। जन सूचना अधिकारी सूचना के प्रकरण के बारे मे निर्णय लेते समय पर व्यक्ति के पक्ष, यदि प्राप्त हुआ हो, को ध्यान में रखेगा। उन्होने बताया कि यदि कोई सूचना प्रकरण से पूर्णत छूट प्राप्त है, तो सूचना प्रदान नही की जा सकती। अगर वांछित सूचना का कुछ भाग छूट प्राप्त की श्रेणी में है और कुछ भाग प्रकरण से छूट प्राप्त नही है तो छूट प्राप्त सूचना को अलग कर शेष भाग की सूचना नियमानुसार दी जायेगी और अक्षरशः सूचना के सम्बन्ध में आवेदक को प्रारूप 8 पर नोटिस दी जायेगीं। उन्होने बताया कि यदि परीक्षण के उपरान्त यह निष्कर्ष निकलता है कि सूचना नहीं दी जा सकती, तो निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत आवेदन निरस्त करने की सूचना आवेदक को दी जानी चाहिए। इसके अस्वीकृति का कारण अधिनियम की धारा व नियम का उल्लेख करना होगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने सूचना के अधिकार के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) उमाकान्त त्रिपाठी, अपर पुलिस अधीक्षक(ग्रामीण) शिवराज, उप जिलाधिकारी कादीपुर जयकरन, उप जिलाधिकारी बल्दीराय प्रिया सिंह, उप जिलाधिकारी जयसिंहपुर राम अवतार, अपर उप जिलाधिकारी सदर विधेश, प्रभारी सीडीओ/जिला विकास अधिकारी डॉ0 डी0आर0विश्वकर्मा, वरिष्ठ कोषाधिकारी वरूण खरे, परियोजना निदेशक(डीआरडीए) एस0के0 द्विवेदी, जिला पंचायत राज अधिकारी डॉ0 निरीश चन्द्र साहू, जिला दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी चन्द्रेश त्रिपाठी सहित तहसीलदारगण व जन सूचना अधिकारीगण/प्रथम अपीलीय अधिकारीगण आदि उपस्थित रहे।