जाको राखे साइयां, मार सकेना न कोय- रायबरेली
जाको राखे साइयां, मार सकेना न कोय
रिपोर्ट-हिमांशु शुक्ल
रायबरेली। नारायण नगर स्थित माँ सिद्धिदात्री शक्तिपीठ धाम आश्रम में स्थापना महोत्सव पर आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ में स्वामी वासुदेवाचार्य महराज ने सप्तम स्कंध की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप अत्याचारी एवं अर्धमी था। परमपिता ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त करके उसका अत्याचार बढ़ गया था महराज ने प्रहलाद के चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि वह महान उपासक थे। जब नवग्रह की भाँति कृष्ण रूपी ग्रह को जब साधक अपना लेता है तो उसका कल्याण हो जाता है और साधक सब कुछ छोड़कर परमपिता परमात्मा के चिंतन में व्यस्त हो जाता है। जाको राखे साईयां मार सके न कोय… पंक्तियों का उदाहरण देते हुए महराज ने कहा कि जिसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं, उसका कोई वध नहीं कर सकता है। उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता है। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर राम कुमार पांडेय, ओमप्रकाश पांडेय, पशुपतिनाथ शुक्ल, लवकुश मिश्र, सरस्वती, निशा आदि उपस्थित रहे।
वहीं ग्राम मलपुर में आयोजित पांच दिवसीय विराट मानस सम्मेलन में कथा वाचक पंडित राघव किशोर महराज ने कहा कि भगवान राम ने मानव रूप में जीवन ज्ञान देने के लिए धरती पर अवतार लिया। महाकवि तुलसी दास ने श्रीराम चरित मानस को राम के साथ-साथ मानव समाज का चरित्र मानकर उसकी रचना की। देश और दुनिया में संत और महात्माओं ने इस चरित्र रूपी मानस को जन-जन तक पहुंचाने में जो सहभागिता की है, उसके जरिए आज मानस सनातन धर्म जन-जन में प्रचलित हो गया है। मानस कथा और उसका आवरण मनुष्य को नवचरित्र निर्माण में भी मदद देता। इस अवसर पर बाबू शुक्ला, रामशंकर अवस्थी, ओमप्रकाश साहू, संजय शुक्ला, डॉ. प्रमोद शुक्ला आदि मौजूद रहे।