प्रधानी के चुनाव में अधेड़ “हाथी” का पैतरा,अविवाहित रहने की कसम को तोड़ कर, कर डाली शादी,देखे पूरी खबर।

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एक 45 साल के शख्स ने आजीवन अविवाहित रहने का लिया था संकल्प ।

प्रधानी के चुनाव में अधेड़ हाथी का पैतरा,अविवाहित रहने की कसम को तोड़ कर, कर डाली शादी,देखे पूरी खबर।

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पंचायत चुनाव में लिया अनोखा पैंतरा:अविवाहित रहने का किया था फैसला, सीट महिला के लिए हुई रिजर्व तो अधेड़ ने बिना शुभ मुहूर्त रचाई शादी

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में दावेदारी और हार-जीत के हर पैंतरे को अजमाया जा रहा है। ताजा मामला बलिया जिले का है। यहां एक 45 साल के शख्स ने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। इस बार प्रधानी के चुनाव में दावेदारी कर रहे थे। लेकिन बदले आरक्षण नियमों के तहत पंचायत की सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई। ऐसे में दावेदार का चुनाव लड़ने का सपना टूट गया। लेकिन हार नहीं मानी। उन्होंने अविवाहित रहने के फैसले को बदलते हुए बिना कोई शुभ मुहूर्त के शादी कर ली। कारण नामांकन से पहले शादी करना जरूरी था।

मां की उम्र 80 साल, इसलिए की शादी,यहां 13 अप्रैल को नामांकन की आखिरी तारीख है।

जितेंद्र सिंह हाथी ने कहा कि “मैंने अविवाहित रहने का फैसला लिया था। मेरी मां 80 साल की हैं। चुनाव नहीं लड़ सकतीं। इसलिए मुझे 13 अप्रैल से पहले शादी करनी पड़ी। यहां 13 अप्रैल को नामांकन की आखिरी तारीख है।

बिहार के मंदिर में की शादी

इस बात की जानकारी उनके रिश्तेदारों को हुई तो उनके लिए बिहार के छपरा जिले के नेवतरी (खलपुरा) गांव निवासी राजेंद्र सिंह की बेटी निधि सिंह का रिश्ता आया। दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद बीते 26 मार्च को छहरा जिले में स्थित धर्मनाथ मंदिर में कुछ रिश्तेदारों के बीच शादी रचा ली। अब वे अपनी पत्नी निधि सिंह को प्रधान पद पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ा रहे हैं।

पिछले चुनाव में उप विजेता थे हाथी
साल 2015 के चुनाव में भी दावेदार थे। उस समय उनकी कुछ वोटों से हुई थी हार।

यह दिलचस्प मामला मुरलीछपरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्णछपरा का है। गांव निवासी जितेंद्र सिंह हाथी पिछले कई सालों से ग्राम प्रधान पद की तैयारी में जुटे थे। वे साल 2015 के चुनाव में भी दावेदार थे। उस समय उनकी कुछ वोटों से हार हुई थी। वे उप विजेता रहे थे। इस साल भी वे चुनाव की तैयारी कर रहे थे। वे अपनी जीत का दावा भी करते हैं। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 के नियम के तहत आरक्षण का निर्धारण करने आदेश दिया तो जितेंद्र सिंह की ग्राम पंचायत महिला के लिए निर्धारित कर दी गई। चूंकि जितेंद्र सिंह अविवाहित थे। ऐसे में उनकी दावेदारी पर सपनों पर आरक्षण ने ग्रहण लगा दिया। उनका पूरा दांव विफल होने लगा। ऐसे में उनके परिवार व समर्थकों ने शादी करने का सुझाव दिया। जितेंद्र सिंह ने कई लोगों से राय मशविरा भी लिया।और अंतिम फैसला कर लिया।


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