योगी ने कहा था मिट्टी में मिला दूँगा, आइये देखे 2017 से 2024 तक कितने अपराधी मिले मिट्टी में,पेश है पूरी रिपोर्ट

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उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में 28 अगस्त को दिनदहाड़े ज्वैलरी शोरूम में हुई डकैती की वारदात में शामिल मुख्य आरोपी और एक लाख के इनामी अपराधी मंगेश यादव को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया। इस एनकाउंटर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल ला दिया। मंगेश के एनकाउंटर के बाद अपराधी की ‘जातीय सियासत’ गर्म हो उठी।क्या सपा क्या कांग्रेस यहां तक कि आम आदमी पार्टी ने भी इस हुए एनकाउंटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त किया। सपा चीफ अखिलेश यादव ने पुलिस के एनकाउंटर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि योगी सरकार में अपराधी की जाति देखकर एनकाउंटर किए जाते हैं। इसी गर्मागर्म चर्चा पर आइये जानते है की 2017 से अगस्त 2024 तक योगी सरकार में अभी तक कितने एनकाउंटर हुए हैं।

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2017 से अगस्त 2024 तक योगी सरकार में अभी तक 207 हुए एनकाउंटर।
उत्तर प्रदेश में मारे गए अपराधियों के जातीय आंकड़ों की बात करें तो मार्च 2017 से अप्रैल 2023 तक उत्तर प्रदेश में कुल 183 अपराधी मारे गए. मारे गए इन 183 अपराधियों में- 61 मुस्लिम, 18 ब्राह्मण, 16 ठाकुर, 15 जाट और गुर्जर, 14 यादव, 13 दलित, 3 ट्राइब्स, 2 सिख, 7 ओबीसी, 34 अन्य शामिल हैं हम अभी इस पूरे मामले पर और अधिक जानकारी देंगे पहले आइये इन सबके बीच जानते हैं कि आखिर कौन था मंगेश यादव जिसको लेकर उत्तर प्रदेश में अपराधी की जाति पर सियासत होने लगी है

दरअसल, बीते दिनों सुल्तानपुर की शहर कोतवाली में दिनदहाड़े एक ज्वैलरी शोरूम में घुसकर बदमाशों ने करोड़ों की डकैती को अंजाम दिया तो सवाल कानून व्यवस्था पर खड़े होने लगे. आनन-फानन में अपराधियों की धर पकड़ शुरू हुई. घटना के 6 दिन बाद यानी 3 सितंबर को सुल्तानपुर पुलिस ने तीन बदमाशों को मुठभेड़ में घायल कर गिरफ्तार कर लिया. इन बदमाशों के नाम थे- सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह और त्रिभुवन।इसके अगले दिन (4 सितंबर) इस वारदात को अंजाम देने वाले गैंग के एक अन्य आरोपी विपिन सिंह ने रायबरेली कोर्ट में सरेंडर कर दिया. फिर 6 सितंबर को यूपी एसटीएफ ने एक लाख के इनामी मंगेश यादव को एनकाउंटर में ढेर कर दिया।फिलहाल, सुल्तानपुर डकैती में शामिल पांच आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. फरार चल रहे 9 आरोपियों- फुरकान, अरबाज, अंकित यादव, अजय यादव, अरविंद यादव, विनय शुक्ला, विवेक सिंह, अनूप प्रताप सिंह और दुर्गेश प्रताप सिंह पर एक-एक लाख का इनाम घोषित है।यूपी एसटीएफ की ओर से पिछले 16 महीना में मारे गए 9 अपराधियों में एक जाट, तीन मुस्लिम, एक ब्राह्मण, दो राजपूत और दो यादव जाति के अपराधी शामिल हैं। यूपीएसटीएफ की ओर से जाट जाति के अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना का एनकाउंटर किया गया। वहीं, ब्राह्मण विनोद उपाध्याय भी यूपी एसटीएफ के एनकाउंटर में मारा गया। मुस्लिम समाज से आने वाले अपराधी गुफरान, राशिद कालिया, शाहनूर उर्फ शानू का एनकाउंटर यूपी एसटीएफ ने किया।
राजपूत समाज के सुमित कुमार सिंह उर्फ मोनू चवन्नी और नितेश कुमार का एनकाउंटर इस अवधि में हुआ। यादव जाति से पंकज यादव और मंगेश यादव जैसे अपराधियों को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया।
यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर को लेकर अपनी अलग नीति अपनाई है। दुर्दांत अपराधियों को ट्रैप में फंसाने की कोशिश होती है। अगर कोई अपराधी उकसाता है तो जवाबी कार्रवाई जोरदार होती है। दरअसल, यूपी में अपना कार्यकाल शुरू करने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों को लेकर एक स्पष्ट नीति रखी। उन्होंने कहा के अगर अपराध करेंगे तो मिट्टी में मिला दिए जाएंगे। अपराधी या तो जेल में रहेंगे या फिर उन्हें भगवान से मेल करा दिया जाएगा। यूपी पुलिस को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किया गया। वहीं, यूपी एसटीएफ को भी अपराध के मामले में क्लीयर कट निर्देश जारी है। ऐसे में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई जोरदार हो रही है।

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पिछले 7 सालों में लगातार माफिया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। इस कार्रवाई में एनकाउंटर पॉलिसी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है।

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हालांकि, इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के नेता सुनील सिंह ‘साजन’ मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि ये एनकाउंटर नहीं हत्या है. पुलिस सोमवार को मंगेश को लेकर जाती है और गुरुवार को उसको सटाकर गोली मारती है. अब पुलिस मेडिकल रिपोर्ट बदलवाना चाहती है. हम किसी अपराधी के साथ नहीं खड़े हैं, लेकिन जब अपराधी की जाति देखकर गोली चलेगी तो सवाल उठना लाजिमी है. जब अपराधी सीएम की जाति का होगा तो पुलिस की गोली कमर के नीचे चलती है और जब अपराधी मुस्लिम, यादव, ब्राह्मण, गुर्जर होगा तो पुलिस की गोली कमर के ऊपर चलती है. मुंबई अटैक का मास्टरमाइंड कसाब को कानून के दायरे में लाकर फांसी की सजा सुनाई गई ऐसे ही हर अपराधी को कानून के दायरे में लाकर ही सजा सुनाई जानी चाहिए।

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