सुलतानपुर-70 साल पहले तालाब व ऊसर की लगभग बीस बीघे जमीन की नवैयत जालसाजों ने बदल कर,कर दी खरीदफरोख्त,अब जा कर फिर मूल स्वरूप में हुई वापसी,मचा हड़कंप।।

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70 साल पहले तालाब व ऊसर की लगभग बीस बीघे जमीन की नवैयत जालसाजों ने बदल कर दी खरीदफरोख्त,अब जा कर फिर मूल स्वरूप में हुई वापसी,मचा हड़कंप।

सीआरओ ने एफआईआर कराने का एसडीएम को दिया आदेश।

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डीडीसी के आदेश के बाद कब्जेदारों में मचा हड़कंप।70 साल पुराना है मामला।

सुलतानपुर-सुन कर आप सब भी चौक जायेगे,1952 में एक तालाब व ऊसर की करीब 21 बीघे भूमि की नवैयत जालसाजों ने बदल डाली। इसकी जानकारी गांववासियों को लगते ही भूमि का मूल स्वरूप अभिलेखों व भौतिक रूप से बहाल करने के लिए ग्रामवासियों ने कई न्यायालयों में लंबी लड़ाई लड़ी तो अब जा कर उप संचालक चकबंदी (डीडीसी) के गहन अध्ययन के बाद कूटरचित तरीके से बदली गई भूमि की नवैयत को गलत ठहराया जा सका। डीडीसी ने अभिलेखों में उसे तालाब, ऊसर दर्ज किए जाने का आदेश दिया है। साथ ही मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) ने जालसाजों पर एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश एसडीएम कादीपुर को दिए हैं।

दरअसल यह मामला उड़री गांव परगना अल्देमउ तहसील कादीपुर का है।इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए उप संचालक चकबंदी अधिकारी आलोक सिंह ने के.डी न्यूज़ से वार्ता करते हुए बताया कि इस सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की पहली बार शिकायत तहसील में वर्ष 2000 में की गई थी और यह मामला तत्कालीन डीडीसी के यहां भी उठा तब उन्होंने फर्जी लेखा करने वाले कर्मचारियों का पता लगाने के साथ भूमि को ग्राम सभा की खतौनी में दर्ज करने का आदेश दिया था।

हाल ही में गांववासियों ने डीएम के यहां पट्टों को निरस्त करने के लिए फिर अर्जी डाली जिस पर जिलाधिकारी ने 2000 के डीडीसी के आदेश के संदर्भ में पूरा प्रकरण को पुनः मेरे पास भेजा गया,जिसपर गहनता से फिर से पूरे मामले की पड़ताल की और तब जा कर बीस नवंबर को एक आदेश जारी करते हुए सभी गाटों को यथावत ऊसर व तालाब अभिलेखों में अंकित करने और खातेदारों का नाम खारिज करने का आदेश दिया गया।

बताते चलें कि इस सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की पहली बार शिकायत तहसील में वर्ष 2000 में की गई थी लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। 2015 में यह मामला फिर उभरा जब ग्राम सभा की गाटा संख्या-2312, 1607,1627, 788 वं 789 को राम नरेश गोस्वामी ने पत्नी पुष्पा गोस्वामी, पुत्र विवेक, विकास, प्रियांशू के नाम बैनामा करवा लिया। इसके पूर्व उन्होंने राम भरोसे व उनकी पत्नी प्रभावती (दोनों मृतक) के नाम फर्जी पट्टा कराया। उसके बाद उनसे यह भूमि अपने परिवारवालों के पक्ष में ले ली। फरवरी 2015 में सहायक चकबंदी अधिकारी ने अपनी जांच में भी रामनरेश द्वारा फर्जी संधि पत्र के आधार पर भूमिधरी नाम से दर्ज करा लेने की पुष्टि की थी लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई,थकहार कर शिकायतकर्ता हाईकोर्ट चले गए जहां हाईकोर्ट के आदेश पर पुनः जांच शुरू हुई और इस प्रकरण पर तहसीलदार ने 29 लाख 40 हजार का जुर्माना आरोपितों पर लगा निरस्त करा लिया।

इसकी शिकायत होने पर डीएम ने सीआरओ शैलेन्द्र कुमार मिश्र को पुनःजांच सौंपी।इस पूरे मामले पर के.डी न्यूज़ से भेंटवार्ता के दौरान सीआरओ शैलेन्द्र कुमार मिश्र ने बताया कि डीडीसी आलोक सिंह द्वारा गहन अध्ययन के साथ साथ विद्वता परिचय दिया गया जो इतने पुराने मामले का स्पष्ट आदेश दिया।उन्होंने बताया कि डीएम को दी गई जांच रिपोर्ट में लिखा कि अभिलेखों में 1976 में गाटा- 789, 1627 व 2312 के संबंध में खातेदार राम भरोस व उनकी पत्नी के पक्ष में पट्टा होने का कोई उल्लेख नहीं है। गाटा 1607 व 788 के लिए दिए गए निर्देश के अनुसार अमलंदरामद अभिलेखों में कराई गई। बाकी भूखंडों का वाद एसडीएम के न्यायालय में चल रहा है।श्री मिश्र ने आगे बताया कि इस मामले पर एसडीएम कादीपुर को आदेश के अनुपालन व कूटरचनाकर भूमि अपने नाम कराने वालों पर मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।

*सुलतानपुर-उप संचालक चकबंदी (डीडीसी) को मिला अमेठी का अतिरिक्त चार्ज,आज शनिवार को किया पदभार ग्रहण।* https://kdnewslive.in

सुलतानपुर-उप संचालक चकबंदी (डीडीसी) को मिला अमेठी का अतिरिक्त चार्ज,आज शनिवार को किया पदभार ग्रहण।