सुलतानपुर- सीआरओ शैलेन्द्र कुमार मिश्र को शोध पत्र प्रस्तुत करने की मिली अनुमति, श्रीलंका में आयोजित हुआ है अन्तरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस “वर्ल्ड डिसेबिलिटी एंड रिहैबिलिटेशन कॉन्फ्रेंस”।

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श्रीलंका में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस “वर्ल्ड डिसेबिलिटी एंड रिहैबिलिटेशन कॉन्फ्रेंस” में शासन की अनुमति के आधार पर मुख्य राजस्व अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्र को शोध पत्र प्रस्तुत करने की मिली अनुमति

दिव्यांगों के आत्मबल में वृद्धि तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में शैलेन्द्र कुमार मिश्र करते रहते हैं काम।

डॉ राम मनोहर लोहिया विद्यालय से शोधार्थी और दिव्यांगजन के हित में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु वर्ष 2009 को विश्व विकलांग दिवस पर राज्य स्तरीय पुरस्कार से मिल चुका है सम्मान।

सुलतानपुर । जिले के मुख्य राजस्व अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्र दिव्यांगों के आत्मबल में वृद्धि तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करते रहते हैं, और इसी पर कई शोध पत्र भी प्रस्तुत कर चुके हैं,इसी को लेकर उन्हें श्रीलंका में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस “वर्ल्ड डिसेबिलिटी एंड रिहैबिलिटेशन कॉन्फ्रेंस” में शासन की अनुमति के आधार पर शोध पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति मिल गई।
इस बात की जानकारी एक भेंटवार्ता के दौरान मुख्य राजस्व अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्र ने के. डी न्यूज़ को दी।आगे श्री मिश्र ने बताया कि निर्धन दिव्यांगों को उनके आत्मबल में वृद्धि कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में शोध पत्र तैयार किया गया जिसमे दिव्यांगों के प्रति नकारात्मक मनोवृतियों को दूर करने हेतु समेत तमाम मुद्दों पर 2018 में एक शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस गुवाकसरत,मेक्सिको में प्रस्तुत किया जा चुका है।

जिले के मुख्य राजस्व अधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्र ने बातचीत के दौरान बताया कि दूसरा शोध पत्र जो दिव्यांगों में अंतर्निहित अक्षमता को दूर करने का एक मॉडल अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस वर्ष 2019 में हमबर्ग जर्मनी में प्रस्तुत किया है और अब दिनांक 9 से 10  नवंबर को कोलंबो श्रीलंका में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस “वर्ल्ड डिसेबिलिटी एंड रिहैबिलिटेशन कॉन्फ्रेंस” में शासन की अनुमति के आधार पर शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए मेरा शोध पत्र स्वीकार कर लिया गया है।
आगे की जानकारी देते हुए श्री मिश्र ने बताया कि डॉ राम मनोहर लोहिया विद्यालय से शोधार्थी भी है।और दिव्यांगजन के हित में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु वर्ष 2009 को विश्व विकलांग दिवस पर राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।

दिव्यांगता पर प्रकाश डालते हुए श्री मिश्र ने बताया कि देश की आबादी का लगभग तीन प्रतिशत हिस्सा शारीरिक या मानसिक नि:शक्तता और सामाजिक रवैये के कारण समाज की मुख्यधारा के साथ कदमताल करने में खुद को कमतर महसूस करता है। किसी प्राकृतिक या आनुवंशिक कारण, असंतुलन, असाध्य बीमारी, दुर्घटनावश शारीरिक-मानसिक रूप से असामान्य व्यक्ति, ऐसे लोगों को जीवन निर्वहन में कदम-कदम पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जबकि ये लोग सामान्य लोगों की तरह बहुमूल्य मानवीय संपदा हैं। यह तथ्य है कि अस्सी प्रतिशत दिव्यांग गरीब परिवार से संबंधित होते हैं, जिसके कारण उनके लिए मूलभूत आवश्यकताओं, यानी रोटी, कपड़ा और मकान की पूर्ति कर पाना भी चुनौतीपूर्ण होता है। सामाजिक रवैये के कारण उन्हें कई बार उपेक्षा, उपहास और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है, जिससे वे हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। सामाजिक रूढ़ियों, प्रथाओं, मान्यताओं और समाज में जागरूकता के अभाव के कारण दिव्यागों के प्रति अन्याय होता रहा है, जिसके कारण ये लोग दोयम दर्जे की जिंदगी व्यतीत करने को मजबूर हैं। इसलिए दिव्यांगों को उनके हक दिलाने व आत्मबल में वृद्धि तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हम काम करते हैं और करते रहेंगे।

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