सुलतानपुर। छात्र छात्राओं को भावनात्मक संरक्षण प्रदान करने हेतु प्रत्येक स्कूल में एक अनुभवी मनोवैज्ञानिक काउन्सलर की तैनाती अनिवार्य रूप-नीलिमा सेठ।

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*प्रत्येक स्कूल में एक्सपर्ट मनोवैज्ञानिक काउन्सलर की तैनाती‌ होना सुनिश्चित करे प्रशासन – नीलिमा सेठ*

सुलतानपुर। छात्र छात्राओं को भावनात्मक संरक्षण प्रदान करने हेतु प्रत्येक स्कूल में एक अनुभवी मनोवैज्ञानिक काउन्सलर की तैनाती अनिवार्य रूप से करने की मांग भारत सरकार द्वारा सुचिबद्ध संस्था मानव अधिकार संरक्षण की महिला जिला अध्यक्ष श्रीमती नीलिमा सेठ ने जिला प्रशासन से किया। श्रीमती नीलिमा सेठ की इस मांग का समर्थन संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार डी पी गुप्ता एड व युवा जिला संयोजक अश्वनी वर्मा सहित महिला टीम की जिला महामंत्री नुपुराज वर्धन, जिला उपाध्यक्ष मधु कपूर, पल्लवी तिवारी, जिला कोषाध्यक्ष सरला सिंह, जिला सचिव विनय कुमारी अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य शिखा सेठ सहित दर्जनों महिला ह्युमन राइट्स वर्करों ने किया है।

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इस अवसर पर मानव अधिकार संरक्षण संस्था की महिला जिला अध्यक्ष नीलिमा सेठ ने कहा कि प्रत्येक स्कूल के छोटे बच्चों और टीनेजर स्टुडेंट को उनकी भावानात्मक समस्याओं के निराकरण हेतु उन्हें एक मनोवैज्ञानिक काउन्सलर की सलाह मिले ये उनका मानवीय अधिकार है। आज के आपाधापी के युग में एक मनोवैज्ञानिक काउन्सलर स्कूल में वर्कशॉप, सेमिनार, कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों को मानसिक रूप से समाज के साथ तालमेल स्थापित करने में मदद करते हैं। स्कूल में पढ़ने वाला हर बच्चा अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से आता है, उसकी सोचने समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है। बच्चों के उम्र बढ़ने के साथ उनमें शारीरिक और मानसिक रूप से साल दर साल परिवर्तन होते रहते हैं ऐसे में कुछ बच्चों को मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो‌ जाना बहुत स्वाभाविक है, जिनका निवारण एक काउन्सलर बखूबी ढंग से दूर करने में माहिर होता है। अक्सर बच्चे अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को अपने टीचर व माता पिता से साझा नहीं कर पाते और उसी में घुट घुट कर जीते हैं जो उनके भविष्य पर बड़ा दुष्प्रभाव डालता है। ऐसे बच्चों के लिए एक मनोवैज्ञानिक काउन्सलर की सलाह वरदान साबित होती है।