सुलतानपुर-एससी-एसटी एक्ट व यौन अपराध से जुड़े मामलों में झूठा बयान देना पड़ा भारी।
आरोपियों से यारी निभाना पीड़ित पक्ष को पड़ गया बहुत भारी,
*एससी-एसटी एक्ट व यौन अपराध से जुड़े मामलों में झूठा बयान देकर आरोपियों से यारी निभाना पीड़ित पक्ष को पड़ गया बहुत भारी,आरोपी तो हो गए बरी पर पीड़ित पक्ष को मिला मुकदमा और साथ-साथ मुआवजा वसूली की भी आई बारी
*झूठी गवाही देने वाले पीड़ित पक्ष के खिलाफ कोर्ट ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-344 के अंतर्गत केस चलाने का दिया आदेश,एससी-एसटी एक्ट के तहत सरकार से पूर्व में मिली सहायता राशि भी वापस कराने की कार्रवाई शुरू*
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सुलतानपुर/अमेठी। दलित किशोरी समेत अन्य से जुड़े यौन अपराध के तीन मामलों में स्पेशल जज पाक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने चार आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य आरोपों से जुड़े मामले में आरोपियों को राहत मिलने के पीछे अभियोजन पक्ष के जरिए तोड़-मरोड़कर बयान पेश करने की बात सामने आई है,जिस पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने झूठा बयान देने वालो के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा- 344 के अंतर्गत केस चलाने का आदेश दिया है,वहीं अदालत ने दोनों मामलों में पीड़ित पक्ष को पूर्व में मिली सहायता राशि भी वापस करने का आदेश जारी किया है। अदालत के इस फैसले से गलत तरीके से सहायता राशि प्राप्त करने वालों व सही बयान न देने वालों की मुश्किलें बढ़ गई है।
पहला मामला करौदीकला थाना क्षेत्र से जुड़ा है।* इसी थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित ग्राम रमसापुर के रहने वाले आरोपी नीरज सिंह व वीवीपुर तिवारी के रहने वाले नीरज गौतम के खिलाफ 20 दिसंबर 2020 की घटना बताते हुए 17 वर्षीय दलित किशोरी की मां ने गम्भीर आरोपो में मुकदमा दर्ज कराया था। दोनों आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, एससी-एसटी एक्ट व पॉक्सो एक्ट समेत अन्य आरोपों में मुकदमा चला। ट्रायल के दौरान पीड़िता की मां व पीड़िता ने अदालत में तोड़-मरोड़कर बयान पेश किए और सही बात नहीं बताई,नतीजतन अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी नीरज सिंह व नीरज गौतम को बरी कर दिया, लेकिन मिथ्या साक्ष्य पेश करने के चलते कोर्ट ने पीड़िता के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-344 के अंतर्गत केस चलाने का आदेश दिया है,वहीं साथ ही अदालत ने एससी-एसटी एक्ट के तहत सरकार से वादी व पीड़िता को पूर्व में मिली मुआवजे की रकम को भी 15 दिन के भीतर वापस जमा करने का आदेश जारी किया है,ऐसा न करने पर वसूली की कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
*दूसरा मामला मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र के दादरा गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले आरोपी राकेश तिवारी उर्फ पप्पू के खिलाफ दलित अभियोगी ने पांच मार्च 2018 की घटना बताते हुए अपनी 14 वर्षीय नाबालिग पुत्री से छेड़खानी व एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य आरोपो में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में भी वादी एवं पीड़िता ने कोर्ट में सही बयान नहीं पेश किया,नतीजतन आरोपी राकेश तिवारी उर्फ पप्पू को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने इस मामले में भी कोर्ट में सही बयान न देने वाले अभियोगी के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-344 के अंतर्गत केस चलाने का आदेश दिया है,वहीं एससी-एसटी एक्ट के तहत पूर्व में मिली मुआवजे की रकम को वापस जमा करने का आदेश दिया है। एससी-एसटी एक्ट से जुड़े दोनों मामले में सही बयान न देने के चलते आरोपी तो बरी हुए ही,साथ में पीड़ित पक्ष को ही मुकदमा भी मिला और उनके जरिए सरकार से पूर्व में प्राप्त की गई आर्थिक सहायता भी वापस ले ली जा रही है, ऐसे में एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य आरोपों से जुड़े मामलो में आरोपियों को बचाने के लिए झूठ बोलने की कीमत पीड़ित पक्ष को इस कदर चुकानी पड़ रही है कि वह धन और धर्म दोनों से चले गए।
*वहीं तीसरे मामले में गौरीगंज कोतवाली क्षेत्र स्थित अर्जुनपुर अन्नी बैजल गांव के रहने वाले आरोपी शिवा के खिलाफ अभियोगी ने 16 मई 2020 को अपनी 15 वर्षीय पुत्री को बहलाकर भगा ले जाने समेत अन्य आरोपो में मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में भी अभियोजन पक्ष आरोपी शिवा के खिलाफ लगाए आरोपों को साबित नहीं कर सका। नतीजतन स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी शिवा को भी बरी कर दिया। ऐसे में यौन अपराध से जुड़े तीन मामलों में अपने पक्ष को साबित न कर पाने के चलते अभियोजन पक्ष को बड़ा झटका लगा है।