बेटा कुल का दीपक है तो बेटियों कुल की मणियां हैं-पंडित मनावत
बेटा कुल का दीपक है तो बेटियों कुल की मणियां हैं : पंडित मनावत
सुलतानपुर, 18 अक्टूबर। सरस्वती मंदिर मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानंदनगर में चल रहे समर्थ शिशु श्री रामकथा में कथा व्यास पंडित श्यामस्वरूप मनावत ने कहाकि घर में दीवार नहीं उसमें रहने वालों के व्यवहार से बनता है। घर सामान से नहीं संबंधों से बनता है कुटुंब अयोध्या में भी था और कुटुंब हस्तिनापुर में भी था परंतु कुटुंब में संघर्ष हो तो वह कुरुक्षेत्र में का विलाप बन जाता है और समर्पण हो तो वह चित्रकूट का राम-भरत मिलाप और बन जाता है।
समर्थ शिशु श्री रामकथा के अंतिम दिन पण्डित श्यामस्वरूप मनावत ने परिवार का महत्व बताते हुए कहा कि सती तो सुलोचना थी और सती उर्मिला भी थी। सती सुलोचना का पति हार गया और उर्मिला का पति जीत गया क्योंकि सुलोचना का पति मेघनाद इंद्रजीत था परंतु उर्मिला का पति लक्ष्मण इन्द्रियजीत था। इन्द्रिय जीत के हाथों इंद्रजीत भी हारे जाते हैं। घर का कवच चरित्र है। घर का आधार मां है। जननी बनने में तो मात्र 9 महीने लगते हैं परंतु मां बनने में 19 साल लग जाते हैं। जननी होना एक शारीरिक घटना है परंतु मां होना एक सांस्कृतिक घटना है। बेटा कुल का दीपक है तो बेटियों कुल की मणियां हैं। इस अवसर पर अशोक उपाधयाय, सुमन्त पांडेय, सभाजीत वर्मा, विनय श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
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