#Sultanpur-#ब्रांडेड और #अनब्रांडेड के चक्कर में #व्यापारी पिसता जा रहा है।बड़ी-बड़ी #ईकॉमर्सकंपनियां #खुदराव्यापार के लिए #स्वीटप्वाइजन का काम कर रहा है- अमितगुप्ता राष्ट्रीयअध्यक्ष।

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सुलतानपुर, 07 नवम्बर। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहाकि करोना वैश्विक महामारी में देश की अर्थव्यवस्था का आधार एमएसएमई सेक्टर धराशाई हो गया है जिससे बेरोजगारी की बढ़ती चली जा रही है। देश का असंगठित क्षेत्र (रिटेल सेक्टर) 43 करोड़ लोगों को रोजगार देने का काम करता है।
उन्होंने बताया कि व्यापारी समस्याओं के समाधान व राजनीतिक अधिकारों व निम्नलिखित मांगों को लेकर 19 दिसंबर 2021 को रविंद्रालय , उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होगा खुदरा व्यापारी महासम्मेलन। इतनी बड़ी संख्या में रोजगार देने के बावजूद खुदरा व्यापार दिन पर दिन समाप्त होता चला जा रहा है। इसका मुख्य कारण ऑनलाइन ट्रेडिंग है। वर्तमान में ई-कॉमर्स देश के खुदरा व्यापार के लिए स्वीट प्वाइजन का काम कर रहा है ! देश में ई कॉमर्स में रिटेल सेगमेंट में ग्रोथ देखने को मिल रही है। वह खुदरा व्यापार के लिए दिक्कतें खड़ी करती जा रही है। 2016 में 5 करोड़ लोग की शॉपिंग करते थे ।2020 में 32 करोड़ लोग ई शॉपिंग कर रहे हैं।
उन्होंने कहाकि विश्व में सर्वाधिक ग्रोथ ई कॉमर्स में इंडिया में ही देखने को मिली। यूएस में 12% परसेंट चाइना में 23 % इंडिया में 68% की ग्रोथ है वर्तमान में फ्लिपकार्ट 45 % स्नैपडील 26 परसेंट अमेजॉन 12% पेटीएम 7 % सभी कंपनियां 30% की ग्रोथ हर साल हासिल कर खुदरा व्यापार को तबाह कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां हेवी डिस्काउंट लगाकर देश के खुदरा व्यापार को जमींदोज करने का काम कर रही है। इस तरह की फ्लैश सेल को रोकने का काम किया जाए । देश के खुदरा व्यापार को बचाने के लिए की व्यापार पर 18% अतिरिक्त कर लगाया जाए।
देश के कानून मंत्रालय का बजट 2645 करोड़ रुपए में से 1100 करोड़ रुपए कैपिटल एक्सपेंडिचर में खर्च होता है। 1545 करोड़ों का बजट बचता है जबकि अमेजन अपनी लीगल फीस के तौर पर ₹8546 करोड़ खर्च बता बता रही है। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का भी लीगल खर्च इतना नहीं है। अमेजन पर कानूनी केस भी कम कर रहे हैं। सीधी बात है पैसा किसी और काम में खर्च हो रहा है, अमेजन की 2 साल में अमेजन की कमाई 42085 करोड़ रही है अमेजन की 6 कंपनी में मिलकर लीगल फीस के तौर पर 8546 करोड़ पर दिए है इन कंपनियों के आपस में रिश्ते की भी जांच हो केंद्र सरकार से मांग इसकी सीबीआई जांच करवा कर कड़ी कार्रवाई की जाए ।
गृह मंत्रालय की NCRB की रिपोर्ट के अनुसार सन 2017 में 129887, 2018 में 134516, 2019 में 139123, 2020 में 153052 लोगों ने आत्महत्या की जिसमें से असंगठित क्षेत्र के रोज कमाने वाले 37648, घरेलू महिला 22337, बेरोजगार व्यक्तियों ने 15700, व्यापार करने वाले 14545, देश का अन्नदाता किसान 10710 भाइयों ने आत्महत्या की है। 2019 में प्रतिदिन 21 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी और 2020 में प्रतिदिन लगभग 40 व्यापारियों ने आत्महत्या की है देश के व्यापार को बचाने के लिए देश के खुदरा व्यापार के संवर्धन के लिए रोजगार को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से देश अलग से खुदरा व्यापार मंत्रालय बनाएं जाए।
प्रदेश सरकार के द्वारा ड्रग लाइसेंस के रिनुअल फीस के साथ नया नियम लागू होने से दवा व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ गई मकान मालिक से रजिस्टर्ड एग्रीमेंट और एनओसी जरूरी का प्रावधान किया गया है बहुत सारी दुकानें 20 -30 साल से किराए पर हैं मकान मालिक से विवाद चल रहा है कई सोसायटी ओं की है तो कई वक्फ बोर्ड की संपत्ति हैं कुछ में मकान मालिकों के बीच ही केस चल रहा है ऐसे में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट और एनओसी मिल नहीं रही है मकान मालिक इस मुद्दे को देखकर किराया दोगुना करने की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में दुकानदारों के बीच खींचतान रिनुअल का मामला विवाद पैदा कर रहा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा देश के व्यापरियों को एक देश एक कर प्रणाली और तमाम करो वा लिखा पढ़ी की जटिलताओं से मुक्ति नहीं मिल पा रही है कि जीएसटी जैसे महत्पूर्ण अधिनियम व्यापारियों को उलझन पैदा कर रहे हैं आज तक 950 से भी ज्यादा संशोधन करने के बाबजूद भी इस का सरलीकरण नही हो सका। सरलीकरण इस प्रकार से हो कि बगैर सीए के जीएसटी का रिटर्न व्यापारी फाइल कर सके।
रेडिमेड कपडे और जूते में भी अप्रत्याशित वृद्धि की है। इस से आम व्यापारियों का उत्पीड़न बड़ता जा रहा। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। ब्रांडेड और अनब्रेडेड के चक्कर में व्यापारी पिसता जा रहा है।जैसे आटा, सूजी, मैदा, भुजिया, अचार, मुरबा, जूस, मसाले आदि बहुत सी छोटी छोटी इंडस्ट्री जो आपना सामान खुद बना कर खुद ही पैक करते है,छोटे छोटे यूनिट्स का उत्पीड़न बड़ता जा रहा।कच्ची मूंगफली पर जीएसटी की दर 5% है और भुनी हुई पर 12% है। क्या मूंगफली भुनाने से ही इतना जीएसटी बड़ गया। ये छोटे छोटे फर्क भ्रष्टाचार को जन्म दे रहे।जो सही काम करने वाले है उन को बहुत मुश्किल आ रही।कृपा जो छोटे छोटे यूनिट्स गांवों में लगे हुए ,इन को बचाए। ये सभी खत्म होने के कगार पर आ गए है।।ये छोटे यूनिट्स खुद को और लोगो को रोजगार देने में,और देश की अर्थव्यवस्था में बहुत ही महत्पूर्ण रोल अदा करते है। ब्रांडेड या अनब्रांडेड की परिभाषा को भी स्पष्ट करे, और व्यापारियों के बिना वजह के उत्पीड़न से बचाए। ऐसी पारदर्शी व्यव्स्था दे जिससे सरकार को अपेक्षित राजस्व मिलने के साथ व्यापरियों को काम करने मे कोई दिक्कत ना हो और ज़बरदस्ती दंड का भागी ना बने, और भ्रष्टाचार की गुंजाईश भी ना रहे।
भारत सरकार द्वारा ई.सी. एक्ट 1955 के अंतर्गत अधिसूचना संख्या का. आ. 4146 में राज्य द्वारा खाद्य तेल एवं तिलहन पर स्टॉक लिमिट एवं तिलहन में खुदरा विक्रेता 50 कुंटल होलसेल में विक्रेता को 500 कुंटल
रखने का आदेश जारी किया गया। यह आदेश ना तो व्यापारी ना उद्योग ना ही किसान के हित में है और ना ही उपभोक्ता के हित में है इस आदेश को वापस लेकर राहत देने का काम करें।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहां आज देश में राजस्व नुकसान के चलते सरकारी संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है जो यह दर्शाता है कि नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सरकारी संपत्तिया बेच रही है घाटे से उबरने के लिए पीएसयू को बेचना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है कंपनी को एक बार बेच दिया दिया तो दोबारा वापस नहीं ले सकते सोच समझकर निर्णय लिया जाए आज विश्व टॉप 500 इंडस्ट्री में 124 टॉप कंपनियां चाइना की है उनमें से 91 सरकारी कंपनियां हैं यह बताता है कि कैसे चाइना ने सरकारी कंपनी को बढ़ाने का काम किया आज इंडिया की एक भी कंपनी विश्व की बड़ी कंपनियों लिस्टिंग नहीं है भारत सरकार को सरकारी कंपनी को बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे राजस्व के संसाधन निरंतर बने रहे विश्व के अनेक देशों के मॉडल सामने है पुरानी कंपनी बेचने से नया रोजगार नहीं पैदा होता नई कंपनी लगाने से ही नया रोजगार पैदा होता है पैसा जरूर आ सकता सरकार के पास लेकिन एक समय के बाद ना तो पैसा रहेगा ना रोजगार रहेगा।
पेट्रोल डीजल गैस की अप्रत्याशित वृद्धि से इसकी महंगाई की मार से हर व्यक्ति परेशान है। भारत सरकार पेट्रोलियम पदार्थों से एक्साइज ड्यूटी कम कर कुछ राहत देने का काम किया है प्रदेश सरकार से भी निवेदन है कि वेट के टैक्सों में कमी कर आम जनमानस को राहत देने का काम करें तथा पेट्रोलियम गैस पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने का काम करें।

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