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सुल्तानपुर डिपो में फंड व पेंशन लिपिक की मनमानी पर हाईकोर्ट का हंटर
2 माह के भीतर वापस करें कर्मचारी देनदारी
सुल्तानपुर डिपो में कार्यरत आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों के 58 वर्ष की अदधिवर्षिता आयु पूर्ण होने के बाद कर्मचारी भविष्य निधि में जमा होने वाली जो धनराशि पेंशन मद में कार्यालय कर्मचारी व नियोक्ता की गलती से जमा हो गई है उसे 2 माह के अंदर याचिकाकर्ताओं को वापस देने का आदेश माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद बेंच लखनऊ ने दिया है ।
लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ता श्याम नारायण शुक्ला द्वारा योजित वाद हरीराम पांडेय बनाम स्टेट ऑफ यूपी द्वारा प्रिंसिपल सेक्रेट्री ट्रांसपोर्ट एंड अदर्स में पारित आदेश मेंं माननीय उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश सरकार व भविष्य निधि आयुक्त को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता हरीराम पांडेय व अन्य के 58 वर्ष की अदधिवर्षिता आयु पूर्ण होने के बाद कर्मचारी भविष्य निधि में जमा होने वाली जो धनराशि पेंशन मद में नियोक्ता व उसके कर्मचारियों की गलती से जमा हो गई है उसे 2 माह के अंदर याचिकाकर्ताओं को वापस दी जाए।
भविष्य निधि आयुक्त की अधिवक्ता श्रीमती सुचिता सिंह ने यह स्वीकार किया है कि उक्त धनराशि नियोक्ता अर्थात उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम सुल्तानपुर डिपो मैं फंड व पेंशन का कार्य देख रहे लिपिक के द्वारा मनमानी तरीके से कर्मचारियों को परेशान करने की नियत से से पेंशन मद में जमा हो गई है। जो 2 महीने में वापस कर दी जाएगी।
वही इस पूरे मामले पर श्यामनारायण शुक्ला
एडवोकेट उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ ने जानकारी दी।
उपरोक्त संबंध में आप सभी कर्मचारियों को यह अवगत कराना चाहूंगा कि जिस तरह से सुल्तानपुर डिपो मेंं कर्मचारियों की 58 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद भी गलत ढंग से ईपीएफ में जमा होने वाली धनराशि पेंशन मद में जमा करा दी गई है उसी तरह से फैजाबाद क्षेत्र के सभी डिपो में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की 58 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद भी गलत ढंग से ईपीएफ मद में जमा होने वाली धनराशि पेंशन मद में जमा करा दी गई है जो एक तरह का स्थाई गबन है और यदि इसे मेरे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका फाइल कर इस धन वापसी का निर्णय न कराया गया होता तो शायद कर्मचारियों को यह धनराशि कभी वापस न मिलती। इस तरह गलत ढंग से ईपीएफ की धनराशि की कटौती कर पेंशन मद में पूरे उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में जमा कराई गई है जिसके खिलाफ कर्मचारियों को एकजुट होकर कार्यवाही हेतु सक्रिय होना चाहिए। इस संबंध में यदि आप लोग मेरी मदद लेना चाहते हैं तो मैं माननीय उच्च न्यायालय से यह धनराशि वापस करा दूंगा। धन्यवाद
श्यामनारायण शुक्ला
एडवोकेट
उच्च न्यायालय इलाहाबाद
खंडपीठ लखनऊ।
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