बहुचर्चित संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड का मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट,पूर्व विधायक सोनू सिंह समेत अन्य के खिलाफ नोटिस हुई जारी।
बहुचर्चित संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड का मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट,पूर्व विधायक समेत अन्य के खिलाफ नोटिस जारी
दोषमुक्ति के आदेश को देश की सबसे बड़ी अदालत में संत ज्ञानेश्वर के भाई इंद्रदेव ने दी है चुनौती,तीन न्यायमूर्तियों की बेंच ने जारी की नोटिस
सीजेएम किरन गौड़ ने डीएम,एसपी व एसओ को नोटिस तामील कराने का दिया आदेश,23 अगस्त को होगी सुनवाई
वर्ष 2006 में इलाहाबाद जिले के हड़िया थाना अंतर्गत हुई थी संत ज्ञानेश्वर समेत आठ की गोलियों से भूनकर हत्या
रिपोर्ट-अंकुश यादव
सुलतानपुर/प्रयागराज/दिल्ली। बहुचर्चित संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है, जहां पर संत ज्ञानेश्वर के भाई इंद्रदेव तिवारी की तरफ से दाखिल एसएलपी (क्रिमिनल) पर सुनवाई करते हुए तीन न्यायमूर्तियों की पीठ ने पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू समेत पांच पक्षकारों के खिलाफ नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। जिला न्यायाधीश सुलतानपुर को नोटिस तामिला कराने की जिम्मेदारी मिली है, जिसके क्रम में सीजेएम किरन गौड़ ने डीएम-एसपी व एसओ कूरेभार को जारी नोटिस का तमिला कराने का आदेश दिया है।
मामला इलाहाबाद जनपद स्थित हंडिया थाना क्षेत्र से जुड़ा है। जहां पर वर्ष 2006 में संत ज्ञानेश्वर समेत आठ लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी, जबकि उनके साथ मौजूद करीब पांच अन्य घायल हो गए थे। मिली जानकारी के मुताबिक
सदानंद तिवारी उर्फ संत ज्ञानेश्वर ने कूरेभार थाना क्षेत्र के मझवारा गांव में 1994 में आश्रम बनाना शुरू किया था। मिली जानकारी के मुताबिक गांव के चौकीदार रामजस यादव ने आश्रम के लिए अपनी जमीन देने का विरोध किया था,जिसके चलते ज्ञानेश्वर के शिष्यों ने रामजस की हत्या करा दी थी। पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू के पिता इंद्रभद्र सिंह उस समय इसौली के विधायक थे, उन्होंने रामजस के परिवार वालों का साथ दिया और जिसके बाद वहां का जनसमूह ज्ञानेश्वर के आश्रम के खिलाफ हो गया, भीड़ ने आश्रम को उखाड़ फेंका। इसके बाद से ही ज्ञानेश्वर और इंद्रभद्र सिंह में ठन गई, हालांकि बाद में ज्ञानेश्वर ने वहां आश्रम बनवा लिया। 21 जनवरी 1999 को इंद्रभद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसमें ज्ञानेश्वर के एक तथाकथित शिष्य दीनानाथ समेत पांच लोग आरोपी बनाए गए,जिन्हें बाद में सजा भी हुई। ज्ञानेश्वर के खिलाफ भी हत्या की साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया था। मिली जानकारी के मुताबिक संत ज्ञानेश्वर छात्र जीवन से ही आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो गया था। गोपालगंज के डीएम की हत्या में तमाम लोगों के साथ ज्ञानेश्वर भी नामजद हुआ था, बाद में वह सुप्रीम कोर्ट से छूटा। इसके अलावा एक मुस्लिम महिला की हत्या समेत अन्य कई गंभीर आपराधिक मामलो में उसका नाम आया। बताया जाता है कि पुलिस से बचने के लिए ही उसने भगवा चोला ओढ़ा था, उसने बाराबंकी में भी सिद्धौर आश्रम बनवाया और उसका सर्वेसर्वा बन बैठा था। वाराणसी, अयोध्या समेत कई धार्मिक शहरों में संत ज्ञानेश्वर के एक के बाद एक आश्रम खुलते चले गए। बताया जाता है कि ज्ञानेश्वर का एक समय इतना जलवा था कि वह जिस जिले में रहता था, बड़े से बडे अधिकारी उसे सलाम ठोंकते थे। पर वर्ष 1999 में इंद्रभद्र सिंह की हत्या होने के बाद संत ज्ञानेश्वर का खराब दौर शुरू हो गया । इसके बाद से ही चंद्रभद्र सिंह सोनू और ज्ञानेश्वर के बीच जंग शुरू हो गई। मिली जानकारी के मुताबिक 10 फरवरी 2006 को इलाहाबाद ( प्रयागराज) जनपद के हंडिया थाना क्षेत्र अंतर्गत सुलतानपुर से आया संत ज्ञानेश्वर माघमेला में अंतिम स्नान के बाद अपने पूरे काफिले के साथ वाराणसी के लिए निकला था। इसी दौरान स्वचालित हथियारों से लैस शूटरों ने चंद पलों में ही ज्ञानेश्वर की गाड़ी को निशाना बनाते हुए सैकड़ो गोलियां दाग दी थीं। इस घटना में संत ज्ञानेश्वर के साथ मौजूद पुष्पा,पूजा,नीलम,गंगा,ओमप्रकाश,रामचंद्र,मिथिलेश की जान चली गई थी,जबकि दिव्या,मीरा,संतोषी,अनीता,मीनू गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। इस घटना के सम्बंध में संत ज्ञानेश्वर के भाई इंद्रदेव तिवारी निवासी देवरिया ने सुल्तानपुर के पूर्व विधायक सोनू सिंह और उनके भाई यशभद्र सिंह मोनू समेत अन्य लोगों को नामजद किया था। इस मामले में पुरानी दुश्मनी की वजह से पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू, उनके भाई यशभद्र सिंह उर्फ मोनू, विजय यादव एवं अखिलेश सिंह निवासी आजमगढ़ का नाम हत्या में सामने आया और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था,बाद में पुलिस ने उनके खिलाफ अदालत में आरोप-पत्र भी दाखिल किया। हालांकि गवाहों के पलटने से सभी आरोपियों को सत्र न्यायालय-इलाहाबाद ने बरी कर दिया था। सेशन कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी,फिलहाल वहां भी संत ज्ञानेश्वर के भाई को सफलता नही मिली,नतीजतन पूर्व विधायक समेत अन्य बचे रहे। अब संत ज्ञानेश्वर के भाई इंद्रदेव तिवारी ने देश की सबसे बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाया है। जहां पर इंद्रदेव ने हाईकोर्ट की कार्यवाही को चुनौती देते हुए स्पेशल लीव पेटिशन (क्रिमिनल) अपने अधिवक्ता रोबिन खोखर के माध्यम से दाखिल किया है। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायमूर्तियों की पीठ ने प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश के अलावा पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह,उनके भाई यशभद्र सिंह,सह आरोपी बने विजय यादव व अखिलेश सिंह के खिलाफ नोटिस जारी कर तामिला कराने का आदेश दिया है। जिसके क्रम में सुल्तानपुर ज़िले से जुड़े पूर्व विधायक सोनू सिंह समेत तीनो विपक्षियों के खिलाफ जारी नोटिस का तामिला कराने की जिम्मेदारी जिला न्यायाधीश के आदेश पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट -सुल्तानपुर को मिली है। जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में डीएम-एसपी व एसओ कूरेभार को जारी नोटिस का तामिला कराने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए आगामी 23 अगस्त की तारीख तय की गई है।
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