#सुल्तानपुर-संत #तुलसीदास विद्यालय व #रामलीला मैदान बिकने की सूचना से मचा हड़कंप,जाने क्या चल रहा है पर्दे के पीछे।
संत तुलसीदास विद्यालय व रामलीला मैदान बिकने की सूचना से मचा हड़कंप
राम लीला मैदान बचाने के लिए संगठनों ने बनाया संघर्ष मोर्चा
रिपोर्ट-राजदेव शुक्ल
सुल्तानपुर :- अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए घर घर चंदा मांगा जा रहा है । वहीं शहर में सैकड़ों वर्ष प्राचीन रामलीला मैदान से लगे संत तुलसी दास विद्यालय के कमरों को तोड कर बहुमंजिला शॉपिंग कांप्लेक्स बनाकर बेंच डालने की साजिश रची जा रही हैं । इस प्रकरण की जानकारी मुहल्ले वासियों को हुई तो लोगों ने व्यापारी व भाजपा नेताओ को सूचना दी । योजना बनाकर कई संगठनों , पूजा समितियों को एकत्र कर संघर्ष समिति गठित कर दर्जनों की संख्या में लोगों ने धरना शुरू किया । टकराव की आशंका से नगर कोतवाल पुलिस बल के साथ मौके पर डटे रहे । यहां प्रदर्शन की बागडोर सम्हाले भाजपा नेता अजय जयसवाल ने रामलीला समिति के लोगों को ललकारते हुए बीते वर्षो की कुछ घटनाओं का जिक्र कर अपने को योद्धा प्रदर्शित कर खूब वाहवाही बटोरी । पालिकाध्यक्ष के नेतृत्व में ‘रामलीला मैदान बचाओ संघर्ष समिति’ का गठन कर नागरिकों के साथ आरपार की लड़ाई का ऐलान किया गया ।
बताते चले शहर में लगभग सैकड़ों वर्ष पुराना रामलीला मैदान स्थित है जहां रामलीला का मंचन रामलीला कमेटी कराती रही हैं। नवरात्रि व दशहरे पर रामलीला व रावण वध आदि का मंचन प्रत्येक वर्ष होता है । इसी मैदान से लगा बच्चों के पठन-पाठन के लिए दशकों पुराना मान्यता प्राप्त विद्यालय भी संचालित है । आर्थिक युग के मौजूदा दौर ने इस स्कूल को कथित तौर पर संचालित करनेवालों को ‘बदनीयत’ कर दिया । चुपके-चुपके उन लोगों ने भूमाफियाओं से मिलकर शहर के बेशकीमती हिस्से में स्थित रामलीला मैदान के शिक्षण कक्षों को तोड़कर कॉम्प्लेक्स में बदल डालने की साजिश को अमल में लाना शुरू कर दिया । गत दिवस प्रकरण ने तूल पकड़ा जब शिक्षणकक्षों को जर्जर बताकर रातों रात इनकी जगह भीतर से नए निर्माण की शुरुआत हो गई । भाजपा के कतिपय नेताओं के दबाव में सरकारी कागजात में भी हेरफेर की जाने लगी । इसकी भनक लगी तो सोमवार को करीब सैकड़ों लोगों ने रामलीला मैदान में पहुंच कर धरना दिया । इस जमात में शहर के तमाम मानिंद व्यापारी नेता पूर्व पालिकाध्यक्ष शिवकुमार अग्रहरि, राजपूताना शौर्य फाउंडेशन के अरविंद सिंह राजा, बृजेश सिंह, गोमती मित्र मंडल के रमेश माहेश्वरी, भारत विकास परिषद के प्रांतीय मंत्री अनिल बरनवाल, भाजपा की नगर कोषाध्यक्ष रचना अग्रवाल, पूर्व सभासद आशा खेतान व तमाम भाजपाई सभासदों आत्मजीत टीटू, विजय सेक्रेटरी, अनुराग श्रीवास्तव, डीपी श्रीवास्तव, मनीष जायसवाल समेत दर्जनों मौजूद रहे ।
परदे के पीछे क्या है जाने
ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर कांप्लेक्स खड़ा करने की खबर सोशल मीडिया पर घूमी तो शहर वासियों में चर्चा आम हुई साथ ही मामले की सच्चाई उजागर करने को शुरू हुआ मंथन । खबर भगवान राम की रामलीला मैदान से जुड़ी थी लिहाजा धार्मिक भावनाओं का ज्वार उठने लगा । बस फिर क्या भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी एक महिला अध्यक्ष के पति जो कि नए नए ड्रामे रचने के उस्ताद माने जाते है अपनी स्क्रिप्ट लिखनी शुरू की । कभी पद्मावत , कभी कंगना राणावत कभी कुछ कभी कुछ सड़क पर उतर कर राष्ट्रवाद के नाम पर देश भक्ति का प्रदर्शन करने वाले भी आमन्त्रित किए गए । भीड़ जुटाने के लिए दर्जनों पूजा समितियों को भी बुलावा भेजा गया । नगर पालिका के कुछ लाभार्थी व ठेकेदार भी मंच की शोभा बने । देखते ही देखते एक संघर्ष मोर्चे का गठन भी हो गया और मंच से संघर्ष का ऐलान भी । नगर कोतवाल व उनका पुलिस बल किसी प्रकार के सीधे टकराव से बचाने को कमर कस कर तैयार खड़ा था । आखिर कार स्क्रिप्ट रचने वाले नेता जी ने मैदान में आए दर्जन भर नेताओ व लगभग सौ की संख्या में तमाशाई के सामने अपना ओजस्वी भाषण दिया । इसी भाषण में उनकी ललकार ने परदे के पीछे की कहानी सामने खड़ी कर दी और खड़े कर दिए कई सवाल । क्या सच में रामलीला मैदान बचाने की नियत है या पिछले दशकों से चली आ रही छटपटाहट को उजागर करने की बात ।
चाहे केंद्रीय दुर्गा पूजा कमेटी के कार्यकाल में इनकी उपेक्षा रही हो या बीते विधान सभा चुनाव में इसौली में पार्टी से गद्दारी कर दूसरे प्रत्यासी के समर्थन में प्रचार करने से खुदी खाई । बार बार पटखनी खाने के बाद जलालत झेल चुके नेता जी इस मामले में अवसर की तलाश में खड़े है । पिछले जिला पंचायत के चुनाव में बलियो के चरण का आशीर्वाद पाकर मिली जिला पंचायत की कुर्सी का कर्ज उतारने की नीयत । देखना यह है की खुद भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप से घिरे नेता जी अपने आका के लिए कितनी ऊंची उड़ान भरते है । वही भगवान राम व आस्था से जुड़ा मामला होने के कारण शहरवासी हर हाल में रामलीला मैदान को बचाने के लिए संघर्ष करते नजर आ सकते हैं । यही से चंद दूरी पर ठठेरी बाजार में बड़ी दुर्गा के पास शहर की शोभा बढ़ा रही धर्मशाला अस्तित्व विहीन हो चुकी है । पंच रास्ते पर ऐतिहासिक मंदिर व संस्कृत विद्यालय के चारों ओर बनी मार्केट भी कहीं ना कहीं धर्म स्थलों पर व्यवसायिकता के हावी होने की कहानी कह रही है ।