KDNEWS-KNIPSS द्वारा सात दिवसीय कार्यशाला का बुद्धवार से हुआ था आयोजन

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सुल्तानपुर-रिसर्च एप्रोवेज एंड डिजिटल लर्निंग टूल्स विषय पर आयोजित कार्यशाला का दूसरा दिन आज

कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान द्वारा सात दिवसीय कार्यशाला का बुद्धवार से हुआ था आयोजन

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शोध समस्या का निर्धारण, शोध परिकल्पना, शोध का महत्त्व, सम्बंधित ग्रंथ, रिसर्च रिपोर्ट आदि लिखने सम्बंधित विषय पर हुआ सजीव प्रसारण

KNIPSS समेत कई विश्वविद्यालयों के प्रोफेफर्स ने रखे अपने विचार

आज दिनांक 16.07.2020
कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान, सुलतानपुर “रिसर्च एप्रोवेज,
एण्ड डिजिटल लर्निंग टूल्स विषय पर सप्त दिवसीय अन्तर्विषयक कार्यशाला के द्वितीय दिन शोध विधि एवम् इस से संबंधित समस्त समस्याओं जैसे शोध समस्या का निर्धारण, शोध परिकल्पना, शोध का महत्व, संबंधित ग्रंथ, रिसर्च रिपोर्ट का लिखना आदि पर अपने विचारों का सजीव प्रसारण के एन आई , सुल्तानपुर के तत्वाधान में आज दिंनाक 16 जुलाई प्रातः 10:00 बजे रखा। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम सचिव डॉ० राम नयन सिंह , जन्तु विज्ञान विभाग के एन. आई पी. एस. एस. सुलतानपुर ने वक्ताओं तथा प्रतिभागियों के स्वागत एवं परिचय के साथ किया। आज प्रथम सत्र में प्रोफेसर रंजना सहगल ,स्कूल ऑफ सोशल वर्क्स, इंदौर ने शोध से जुड़ी विभिन्न जिज्ञासा एवम् समस्याओं पर चर्चा कर प्रतिभागियों को लाभान्वित किया उनके प्रश्नों का व्योरेवार व विस्तृत समाधान किया। आपने कहा कि हमें बुनियादी वैज्ञानिक विधियों पर ध्यान देना चाहिए जिसमें रिसर्च की रूपरेखा बनाते समय हमें क्रमबद्ध ऑब्जर्वेशन, आंकड़ों का संग्रह, विश्लेषण आदि के लिए हमारी दिशा क्या होगी यह जानना नितांत आवश्यक है। ब्रेन के सॉफ्ट डिस्क में सारी जानकरी नहीं रखी जा सकती इसलिए छोटे छोटे ऑब्जेक्टिव को नोट करते रहना चाहिए। रिसर्च का मुख्य विषय आकर्षक, रोचक एवं समीक्षात्मक होना चाहिए, जो कुछ भी लिखा जाए वह प्रमाणिक करना भी जरूरी है। ऑब्जेक्टिव पर बोलते हुए आपने कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि विषय समसामयिक हो, साथ ही पारदर्शी हो।परिकल्पना , रिसर्च से संबंधित प्रश्नों को हल करने की दिशा देता है।
इस कार्यशाला के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ विजय प्रताप सिंह, संयोजक कार्यशाला ने की एवम् रिसोर्स पर्सन के रूप में पूर्व कुलपति बी बी ए यू , लखनऊ प्रोफेसर एन पी वर्मा रहे। आपने अपने सारगर्भित व्याख्यान में शोध हेतु आवश्यक सभी पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया, एक अच्छा पर्वेक्षक होना चाहिए, शब्दों में क्लेरिटी होने चाहिए, विषय प्रासंगिक होना चाहिए। आपने कहा कि रिसर्च को परत दर परत अंदर जाकर करना होगा, विषय से संबंधित समस्याओं को ढूंढना होगा एवम् आंकड़ों का विशलेषण कर नतीजों पर पहुंचना बहुत आवश्यक है।
मध्यान्ह विराम के पश्चात डॉ अवधेश दुबे ने आंकड़ों के विश्लेषण हेतु एक्सेल पर कैसे काम करना है सभी प्रतिभागियों को बताया। प्रतिभागियों को व्याख्यान पर आधारित वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न दिए गए जिन्हें शाम को हल करते हुए सबमिट करना अनिवार्य है।
द्वितीय दिवस के अंत में डॉ विजय प्रताप सिंह, संयोजक कार्यशाला ने रिसोर्स पर्सन और प्रतिभागीयों का धन्यवाद् ज्ञापन किया। कार्यशाला में सक्रिय रूप से उपप्राचार्य डॉ सुशील कुमार सिंह, डॉ के डी सिंह, डॉ डी के त्रिपाठी, डॉ सुनील प्रताप सिंह, डॉ बिहारी सिंह, डॉ प्रवीण कुमार सिंह, डॉ प्रतिमा सिंह के साथ श्री संजय पांडेय व दीप बरनवाल उपस्थित थे।