अमेठी-श्री रामकथा के आखिरी दिन पंक्षी देवी ने कहा जीवन में उतारें प्रभू श्रीराम के आचरण

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अमेठी-श्री रामकथा के आखिरी दिन पंक्षी देवी ने कहा जीवन में उतारें प्रभू श्रीराम के आचरण

चंदन दुबे की रिपोर्ट

स्वामी परमहंस आश्रम टीकरमाफी में चल रही श्रीराम कथा का आज अंतिम दिन था। कथाकार ने बताया कि प्रभू श्रीराम, अपने व्यक्तित्व, मर्यादा, नैतिकता, विनम्रता, करुणा, क्षमा, धैर्य, त्याग तथा पराक्रम के सर्वोत्तम उदाहरण हैं।

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श्रीराम कथा के अंतिम दिन कथाकार पंछी देवी ने बताया कि अपने भक्तों का उद्धार करने के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लेकर अहिल्या व रावण का उद्धार किया।बताया कि पूर्वजन्म में रावण भगवान का द्वारपाल था।कथाकार ने बताया कि राजा जनक के पुत्र न होने के कारण माता सीता के विवाह के समय भाई द्वारा रस्म अदा करने की बारी आयी तो सब सोच में पड़ गए।पृथ्वी माता भी दुखी हो गईं।माता सीता व प्रभू श्रीराम का विवाह देखने के लिए सुर, नर, मुनि,देवी व देवता भी आये थे।कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भीड़ से रस्म निभाने एक व्यक्ति बाहर आया तो राजा जनक चिंतित हो गए।जनक के पूंछने पर व्यक्ति ने बताया कि अकारण नही आया हूँ।आपकी आशंका निराधार नही है।आप निश्चिंत रहे, इस कार्य के लिए मैं सर्वथा योग्य हूँ,आप चाहें तो गुरुजनों से पूंछ लें।गुरुजनों ने बताया कि यह पृथ्वी पुत्र मंगल हैं और मंगल सीता माता के भाई हैं।संगीतमयी कथा के अंत में स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया।संगीतमयी श्रीराम कथा को सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।


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