यूपी /अयोध्या -बीमारी से मरा बाप, फिर सगी माँ ने छोड़ा साथ, तब अनाथ हुये बच्चे बने बेसहारा क्रेशर पर मजदूरी कर भाई करा रहा गुजारा

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यूपी /अयोध्या -बीमारी से मरा बाप, फिर सगी माँ ने छोड़ा साथ, तब अनाथ हुये बच्चे बने बेसहारा क्रेशर पर मजदूरी कर भाई करा रहा गुजारा

 रिपोर्ट मनोज तिवारी

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दो साल पूर्व लम्बी बीमारी की वजह से पिता गोबिंद की मौत हो गई,फिर साल भर बाद निर्दयी मां मीना आर्थिक तंगी गरीबी लाचारी बेबशी के चलते अपने चार अवयस्क बच्चो को अनाथ छोड़ कर कही चली गई। संरक्षक की भूमिका निभाने के लिए अब 14 वर्षीय भाई  गन्ना क्रेशर पर मजदूरी करना पड़ रहा है।

मामला अयोध्या जनपद के तारुन विकास खण्ड की ग्राम पंचायत बालापुर मजरे नन्दापुर बनबासी बस्ती का है।ग्रामसभा निवासी गोविंद वनवासी का लम्बी बीमारी के चलते दो साल पूर्व निधन हो गया था जिसके चलते परिवार भुखमरी के कगार पर पहुँच गया। परिवार की आर्थिक स्थिति एवं चार नाबालिक बच्चो का बोझ उठाने में असमर्थ माँ मीना बेटे लडडू 14 बर्ष , कुन्नन 12 बर्ष, मोहित 6 बर्ष एवं अनम 3 बर्ष की परवरिश से हताश होकर उन्हें अनाथ छोड़ कर अन्यत्र कहीं चली गई। तब से अनाथ हुये बच्चे अन्न के दाने की जगह पानी पीकर गुजर बसर करना उनकी दिनचर्या बन गई। अपने भाई,बहन की स्थिति को देखकर लड़डू ने गांव में मजदूरी करके किसी तरह खाने की व्यवस्था तो करने लगा,परन्तु उसे पकाकर खाने की जगह कच्चे ही खाना शुरू कर दिया,जिसकी वजह उन बच्चों को खाना ही पकाना नही आता था।

नाबालिक होने के चलते उन्हें गांव में जल्दी कोई मजदूरी के लिए नही बुलाता था,ऐसे में उन्हें भूखे पेट सोना उनकी मजबूरी बन जाती थी।अब बड़ा भाई लडडू अपने भाई बहन का पेट भरने के लिए क्रेशर पर मजदूरी कर रहा है,जो किसी तरह से हर माह घर पर पैसा भेजता है,उससे तीनों चावल खरीदकर उसे पकाते समय उसमे नमक मिलाकर अपना पेट भरते है। वजह उन्हें जो खाना पकाना नही आता है। उस परिवार को अभी तक कालोनी भी नही मिली है,जिसके चलते परिवार के तीनों सदस्य घास फूस के जीर्ण शीर्ण छप्पर के मकान में जीवन यापन करने को विवश है।जो बरसात में पानी बरसने पर घर के अंदर पानी की बूद गिरने लगती है।ग्राम प्रधान सुभाष का कहना है कि बच्चों को ठंड से बचाने को ऊनी कपड़ों की व्यवस्था कर दिया था।कोटेदार राशन उपलब्ध कराते हैं। लेकिन किसी जनप्रतिनिधी ने इस परिवार की लाचारी बेबसी की तरफ ध्यान नही दे रहा है।