रायबरेली-कशमकश में पड़ी भाजपा, 55 दावेदारों के बावजूद भाजपा को नही मिल रहा जिलाध्यक्ष

0 153

- Advertisement -

*कशमकश में पड़ी भाजपा, 55 दावेदारों के बावजूद भाजपा को नही मिल रहा जिलाध्यक्ष*

रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला

- Advertisement -

रायबरेली– भाजपा में कशमकश तेज है। यहां का पार्टी अध्यक्ष कौन बनेगा? क्योंकि अगल-बगल के जनपदों में नामों की घोषणा हो चुकी है। लेकिन, 58 दावेदारों के बावजूद भी यहां इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। इसके पीछे नेताओं की जोर-आजमाइश मानी जा रही है।
रायबरेली को कांग्रेसी गढ़ माना जाता रहा। लेकिन, अब भाजपा ने यहां निगाहें गड़ा ली हैं। बगल के अमेठी में विजय पताका फहराने के बाद सत्ता दल को यहां भी उम्मीदों वाले बादल दिखने लगे हैं। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के सिर्फ छह महीने के भीतर ही प्रदेश नेतृत्व ने यहां प्रभारी मंत्री रहे नंद गोपाल नंदी का कार्यक्षेत्र बदलकर उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा को कमान सौंप दी। फिर संगठन के चुनाव की तैयारियां शुरू हुईं। जिला पंचायत सभागार में 20 नवम्बर को नामांकन कराया गया। 58 ने पर्चे खरीदे। तीन ने भरे नहीं। कुल 55 दावेदारों ने ताल ठोंकी। इतनी बड़ी संख्या देखकर चुनाव अधिकारी भी सन्न रह गए। फिर उन्होंने समस्त प्रपत्र जमा कराते हुए बताया कि अब निर्णय लखनऊ से होगा। इसके बाद दावेदारों ने पैरोकारी के मोर्चे खोल दिए! कई बड़े नाम तो दिल्ली तक जुगाड़ लगाने पहुंच गए, लेकिन 27 नवंबर को लखनऊ समेत 58 जिलों के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी गई। सूची में नेताओं ने रायबरेली का नाम तलाशा तो निराश होना पड़ा। तबसे संगठन के वर्तमान पदाधिकारियों की धड़कनें तेज हैं, लेकिन तसल्ली को कुछ भी सुझाई नहीं दे रहा है।

इनसेट-

*चार मंडल अध्यक्षों की घोषणा भी रोकी गई*

जिला-नगर मिलाकर 22 मंडलों पर निर्वाचन प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी केवल अठारह मंडल अध्यक्षों के नाम घोषित किए गए थे। जबकि चार स्थानों पर खासा विवाद होने के कारण परिणाम रोक दिए गए। इनमें सलोन में तो नाम घोषित कराने के एवज में ट्रैक्टर गिफ्ट की भी खूब चर्चा चली। इसी के साथ लालगंज नगर, रायबरेली पूर्वी और अमांवा मंडल भी अभी नए अध्यक्ष के इंतजार में है।

*नहीं चला पार्टी का मापदंड*

यहां की राजनीति ज्यादातर कांग्रेस के इर्द-गिर्द रही। वहां अधिकांश फैसले केंद्रीय नेतृत्व ही करता रहा है। ऐसे में भाजपा में नवागंतुक नेताओं में उसी अंदाज वाला हावभाव देखने को मिलता रहा। नामांकन वाले दिन तो शुरुआत में पार्टी के मापदंड यानी मंडल अध्यक्षों व जिला प्रतिनिधियों को प्रस्तावक बनाकर पर्चा दाखिला करने की कोशिश हुई। लेकिन थोड़ी ही देर में सबकुछ बेपटरी हो गई।