यूपी /अयोध्या-सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद सरयू तट पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
यूपी /अयोध्या-सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद सरयू तट पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
रिपोर्ट मनोज तिवारी अयोध्या
कड़ाके की ठंड के बावजूद आस्था की डुबकी लगाने जुटे श्रद्धालु स्नान के बाद पुरोहितों और गरीबों को दान भी कर रहे है ।मान्यता है ग्रहण में किसी भी मंत्र का जाप करने से उसका कई गुना लाभ मिलता है और स्नान-दान से सारे पाप दूर हो जाते हैं.
अयोध्या में सूर्य ग्रहण की अवधि समाप्त होने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब सरयू के घाटों पर उमड़ पड़ा श्रद्धालु सरयू में स्नान कर रहे हैं, मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. स्नान- दान के बाद श्रद्धालु दर्शन पूजन कर रहे है।कड़ाके की ठंड के बावजूद आस्था की डुबकी लगाने जुटे श्रद्धालु स्नान के बाद पुरोहितों और गरीबों को दान भी कर रहे। ग्रहण के दान का विशेष महत्व है, मान्यता है कि दान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है. ऐसे में सरयू के घाटों के किनारे श्रद्धालु जन सैलाब के रूप में उमड़े हैं. आसपास के जिलों के भी श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं और ग्रहण समाप्ति के बाद सरयू के घाटों पर स्नान-दान कर रहे हैं।. बता दें कि बुधवार रात 8:21 बजे से सूतक लगा होने के कारण राम नगरी के सभी मंदिरों के कपाट बंद थे. आज सुबह 8:21 पर सूर्य ग्रहण लगा जो 11:14 पर समाप्त हुआ. ग्रहण के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाटों के किनारे जाप करते नजर आए. ग्रहण के दौरान राम की नगरी अयोध्या की गलियां सूनी थीं मंदिरों के कपाट बंद थे. लेकिन घाटों के किनारे पुरोहित,पंडित और श्रद्धालु मंत्रों का जाप कर रहे थे.
क्या कहती हैं मान्यताएं
मान्यता है ग्रहण में किसी भी मंत्र का जाप करने से उसका कई गुना लाभ मिलता है और स्नान-दान से सारे पाप दूर हो जाते हैं. साथ ही दूर-दराज से श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं वह भी भगवान राम के नाम का जाप घाटों के किनारे बैठ कर कर रहे हैं. मान्यताओं के बारे में बात करते हुए घाट पुरोहित रामाधार ने बताया कि इस समय ग्रहण का स्नान चल रहा है जो तीन प्रकार का होता है पहला ग्रहण लगने से पूर्व स्नान, दूसरा मध्य का स्नान और तीसरा मोक्ष का स्नान. श्रद्धालु बड़ी संख्या में घाट के किनारे पहुंचे हैं. तीनों स्नान के बाद दान का कार्यक्रम चल रहा है. पुरोहित रामाधार कहते हैं दान का विशेष महत्व होता है. दान के भी कई प्रकार होते हैं. वो कहते हैं कि श्रद्धालुओं को यथाशक्ति दान करना चाहिए इसमें वस्त्र दान, गो दान, पात्र दान और अनाज का दान सबसे प्रमुख है.