रायबरेली-थाई से निकला कमाई का आनंद रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला
थाई से निकला कमाई का आनंद
रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला
रायबरेली : गांव में पले-बढ़े। शहर में व्यापार प्रबंधन की शिक्षा ली और अंतरराष्ट्रीय कंपनी में 90 हजार रुपये महीने की नौकरी करने लगे। वर्ष 2005 से 2015 तक जॉब किया। फिर नौकरी छोड़ दी। गांव आए तो खेती में रुचि हुई। फसल कौन सी बोएं, यह चयन नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में कई प्रांतों और जिलों में भ्रमण कर खेती-किसानी की जानकारी जुटाई। आखिरकार थाई प्रजाति के नींबू की बागवानी शुरू की। फिर तीन बीघा खेत में इसके पौधे लगाए और सिर्फ तीन वर्षों में करीब 450 क्विंटल नींबू की पैदावार होने लगी। इससे उनकी लाखों की कमाई हो रही है।
डीह ब्लॉक का कचनावा गांव निवासी आनंद मिश्रा का बचपन से ही बागवानी के प्रति रुझान था। हालांकि नौकरी के नाते वह इसे शुरू नहीं कर सके, लेकिन जॉब छोड़ी तो पहले बाराबंकी, प्रयागराज, वाराणसी, आजमगढ़ के बाद बिहार के कई जनपदों में घूमे। फिर नीबू की उपयोगिता और उत्पादन की जानकारी ली और तय किया इसकी बागवानी करेंगे। वाराणसी से प्रति पौधा 85 रुपये में खरीदा और गांव में साढ़े तीन बीघे जमीन पर कुल 900 पौधे रोपे। नींबू का एक पौध से प्रतिवर्ष 40 से 60 किलो बिना बीज का फल देता है। खुद ही व्यापारी गांव आते हैं और माल ले जाते हैं।
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गैर प्रांतों तक ख्याति :
सोशल मीडिया के जरिए राजस्थान, पंजाब, बिहार, उत्तराखंड सहित कई प्रांतों के किसान आनंद से जुड़ गए हैं। वे उनसे नींबू की बागवानी के बारे में जानकारी ले रहे हैं। आनंद ने गांव में ही नींबू के पौधों की नर्सरी भी खोल दी है। यह नींबू के पौधे दो से तीन वर्ष में फल देने लगते हैं। फिर 35 साल तक उत्पादन से लाभ मिलता रहता है।