रायबरेली-खाने के पीछे की दास्तां बयां कर रहे हैं कई ऐसे बिंदु, बहुतों ने खाना खाया लेकिन कुछ विभागों ने ही अदा किया नमक?
खाने के पीछे की दास्तां बयां कर रहे हैं कई ऐसे बिंदु
= बहुतों ने खाना खाया लेकिन कुछ विभागों ने ही अदा किया नमक
रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला
रायबरेली : प्रयागराज-लखनऊ राजमार्ग पर स्थित सोमू दा ढाबा इस समय चर्चा में है। यहां बहुतों ने खाना खाया। मगर, नमक कुछ विभागों ने ही अदा किया। उन साहबों ने भी भोजन वाली थाली का कर्ज उतारा जिनके इशारे पर दस्तरखान सजते और पैकिग घरों तक पहुंचती रही। यही कारण था कि ढाबे के लोगों की मनमानी और अराजकता किसी को नहीं दिखी। उसके सड़क तक अतिक्रमण पर जिम्मेदारों की आंखें बंद रही। ग्राहकों से दुर्व्यवहार और मारपीट की वारदातों की अनसुनी की गई। मन इतना बढ़ा कि शहर के ही एक युवक को सरेआम पीटा गया फिर किचन में ले जाकर लोहे के रॉड और बर्तनों से लहूलुहान किया गया। हत्या के आरोप में ढाबा मालिक सलाखों के पीछे पहुंच गया। लेकिन, कई ऐसे बिदु हैं जो खाने के पीछे की दास्तां बयां कर रहे हैं।
इनसेट-
मिल एरिया थाना रखा गया बाहर :
शुरुआती घटना मिल एरिया थाना क्षेत्र में हुई। आदित्य की लाश मिली हरचंदपुर इलाके में। निवासी था महराजगंज कोतवाली क्षेत्र का। मामला तीनों पुलिस स्टेशनों के दायरे में आता था। तफ्तीश की शुरूआत हुई तो मिल एरिया थाने की पुलिस को प्रकरण से दूर कर दिया गया। सवाल यहीं उठा कि ऐसा क्यों? कई जवाब थे। चूंकि ढाबा इसी क्षेत्र में आता है ऐसे में खाना और रिश्तों पर भी बातें चलीं।
सामने पुलिस बूथ, अराजकता दिखी नहीं :
इसे रसूख कहें या खाने-पीने का करिश्मा। इसी राजमार्ग से वीआइपी भी खूब निकलते हैं। चमक धमक वाला यह ढाबा मुख्य चौराहे पर होने के नाते लोगों को आकर्षित करता रहा। लोग जलपान और भोजन के लिए यहां ठहरते थे। उनके वाहन सड़क पर ही खड़े होते रहे जिससे जाम भी लगता। लेकिन, उसका प्रभाव भारी पड़ता। कार्रवाई कभी नहीं हुई। 10 अक्टूबर को सड़क तक बवाल हुआ। रोड जाम हुई। मगर, पुलिस अनजान रही।
बगल वाले भी लपेटे में :
सोमू दा ढाबा के बगल में एक और रेस्टोरेंट है। सोमवार को पैमाइश में इनकी ओर उंगलिया उठीं। राजस्व विभाग का फीता इसके निर्माण तक पहुंचा। सड़क पर बना मंदिर भी नपा, जिसकी आड़ में अवैध पार्किंग कराते हैं।
मालिक तक हर खबर पहुंचती रही
पुलिस तफ्तीश को ज्यों-ज्यों बढ़ती, हत्यारोपित ढाबा मालिक तक हर खबर पहुंचती रही। उसकी लोकेशन कभी गुजरात तो कभी झांसी बताई जाती। मगर, जब रविवार को भीड़ सड़क पर उतरी तो पुलिस वर्कआउट को मजबूर हो गई। जानकार कहते हैं कि खाना पचाने वालों ने मामले को सुलटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चर्चा तो और भी बहुत है। केस मैनेज करने को खूब कसरत हुई है। आगे तफ्तीश में शायद इसकी बानगी देखने को मिले भी।