रायबरेली-करोड़ों खर्च, फिर भी गड्डों मे तब्दील हुई सड़कें

रायबरेली नेशनल हाईवे पर करीब छह करोड़ का बजट खर्च हुआ था। लेकिन, निर्माण पूरा होने के बाद से ही इसकी स्थिति खराब होने लगी।

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करोड़ों खर्च, फिर भी गड्डों मे तब्दील हुई सड़कें

रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला

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रायबरेली : बारिश सिर्फ कच्चे घरों और निचले इलाकों में रहने वालों के लिए ही आफत नहीं बनी, ये सड़कों के लिए भी किसी मुसीबत से कम नहीं रही। अरबों के बजट से बनी सड़कें इस बरसात में ध्वस्त हो गई। शहर या ग्रामीणअंचल की सड़कें ही नहीं नेशनल हाईवे और इन्हीं की क्षमता के यातायात का भार उठाने वाले बाईपास तक का दम निकल गया है। इसी के साथ निर्माण कार्य की गुणवत्ता की पोल भी खुल गई है।

लखनऊ-रायबरेली नेशनल हाईवे पर करीब छह करोड़ का बजट खर्च हुआ था। लेकिन, निर्माण पूरा होने के बाद से ही इसकी स्थिति खराब होने लगी। शहर से लेकर हरचंदपुर और दूसरे इलाकों में जगह-जगह पैच वर्क कराने पड़े। जांच की मांग उठी, लेकिन अफसरों ने इसे दबा दी। पिछली बार डिडौली के पास पुल पर सड़क धस गई थी। तब भी अफसर नहीं चेते।यही नहीं इसी साल बनकर तैयार हुए मुंशीगंज बाईपास की सड़क की हालत भी कुछ ठीक नहीं है। सड़क गड्ढों में तब्दील होकर हादसे को दावत दे रही है, जबकि यह दो नेशनल हाईवे का एक हिस्सा है। रायबरेली-जौनपुर और रायबरेली-प्रयागराज हाईवे को आपस में जोड़ता है। बावजूद निर्माण में गुणवत्ता का खयाल नहीं रखा गया।

इनसेट-

कहीं बह गई तो कहीं लिया तालाब का रूप

ऊंचाहार में गोकना गंगा तट को जाने वाले मार्ग की सड़क कई जगह बह गई है। जुगराजपुर से गंगा तट तक तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क की मरम्मत करीब एक साल पहले ही हुई थी। वहीं महराजगंज क्षेत्र में महराजगंज से पहरेमऊ रोड ध्वस्त है। लालगंज में रायबरेली-बांदा हाईवे पर सेपरपहा के पास सड़क तालाब का रूप ले चुकी है। लालगंज-कानपुर रोड पर निराला नगर के निकट सड़क का नामोनिशान नहीं बचा। वहीं सेमरी तक सड़क पर गड्ढों के कारण चलना मुश्किल है।