रायबरेली-तार – तार हो रही ” निर्मल गंगा, पावन गंगा ” की अवधारणा
नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश दत्त गौड़ कहते हैं कि नालों को गंगा में गिरने से रोकने के लिए संबंधित विभाग को पत्राचार किया लेकिन, अधिकारियों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की।
तार – तार हो रही ” निर्मल गंगा, पावन गंगा ” की अवधारणा
रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला
रायबरेली : धार्मिक व ऐतिहासिक नगरी डलमऊ का आदि काल से विशेष महत्व रहा है। डालभ्य ऋषि की तपोभूमि में हर वर्ष कई जिलों के लाखों श्रद्धालु पुण्य सलिला गंगा में डुबकी लगाने आते हैं, लेकिन जीवनदायिनी के आंचल को 11 गंदे नाले मैला कर हैं। नगर पंचायत के आंकड़ों के अनुसार, डलमऊ में प्रतिदिन दो लाख लीटर दूषित पानी गंगा में गिर रहा है।
वीआइपी, पथवारी, गौरा, बरुड़ा, बड़ा मठ, महावीरन और श्मशान घाट, किला के पीछे आदि जगहों पर गंदे नाले का पानी गिरते देखा जा सकता है। मन में श्रद्धा भाव से यहां पहुंचने वाले लोग इसे देख व्यवस्था को कोसते हैं। दूषित जल से दो वर्षों में लाखों मछलियां मर चुकी हैं। इसकी वजह गंदे नाले भी हैं। लेकिन इन्हें रोकने के लिए कोई पुख्ता योजना नहीं है। जो हैं भी वह सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश दत्त गौड़ कहते हैं कि नालों को गंगा में गिरने से रोकने के लिए संबंधित विभाग को पत्राचार किया लेकिन, अधिकारियों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की।
इनसेट –
पीने योग्य नहीं है गंगा जल :
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से गर्मियों में सप्ताह में दो बार पानी के नमूने की जांच होती है। जांच में सामने आ चुका है कि डलमऊ में गंगा का पानी पीने योग्य नहीं हैं और यहां के जल को ‘डी’ श्रेणी में रखा गया है।
कोट –
गंगा में गिर रहे नालों की सूचना संबंधित विभाग को भेजी गई है। जल्द ही नालों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
-सविता यादव, उपजिलाधिकारी, डलमऊ, रायबरेली!