अमेठी।जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों को खरीफ फसलों को रोगमुक्त रखने के लिए रसायनों का छिडकाव करने का दिया निर्देश

चंदन दुबे की रिपोर्ट मौसम परिवर्तन के कारण खरीफ की फसलों में विभिन्न प्रकार के रोगों का बढा खतरा

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अमेठी।जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों को खरीफ फसलों को रोगमुक्त रखने के लिए रसायनों का छिडकाव करने का दिया निर्देश

चंदन दुबे की रिपोर्ट

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मौसम परिवर्तन के कारण खरीफ की फसलों में विभिन्न प्रकार के रोगों का बढा खतरा

जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 हरि कृष्ण मिश्रा ने बताया कि मौसम में हो रहे परिवर्तन का खरीफ की फसलों में बृद्धि के साथ-साथ कीट एवं रोगों की आक्रमकता का सीधा प्रभाव किसानों की फसलों पर पडता है,जो जनपद की खरीफ की मुख्य फसल के रूप में किसानों द्वारा रोपित की जाती है। उन्होंने बताया कि मौसम में परिवर्तन के कारण खरीफ की फसलोें की अधिक देख-रेख करने तथा कीट एवं रोगों को के प्रकोप को देख्ते ही किसान उन्हें चिन्हित कर कृषि रक्षा रसायनों का सावधानी के साथ प्रयोग कर अपनी खरीफ की फसलों में होने वाली आर्थिक छति से बचा सकतें है।

जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि शीथ प्लाइट रोग में पत्तियों के सबसे निचले भाग जो तने से लगाा होता है उस पर अनियमित आकार के भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जिनका किनारा भूरा तथा मध्य भाग हल्के रंग का हो जाता है जिसके उपचार हेतु हेक्साकोनाजोल 5.0 प्रतिशत ई0सी0 की एक लीटर मात्रा को 500से 750 लीअर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में पर्णीय छिडकाव करें। जीवांणु झुलसा/जीवांणु धारी झुलसा रोग में पत्तियों के नोक व किनारे सूखने लगते हैं जिससे पत्तियों पर कत्थई रंग के धब्बे व लम्बी-लम्बी धारियां बन जाती हैं जिसके नियंत्रण/उपचार के लिए 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन,सल्फेट 90 प्रतिशत,टेट्रासाइक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत  को 500 कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 के साथ मिलाकर 500से 750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिडकाव करें, व खैरा रोग जिंक/जस्ते की कमी के कारण होता है।इस रोग में पत्तियां पहले तो पीली पड जाती हैं परन्तु बाद में ये रोग कत्थई रंग में परिवर्तित होकर धब्बे के आकार के हो जाते हैं।इसके उपचार हेतु 05 किग्रा0 जिंक सल्फेट को 20 किग्रा0 यूरिया अथवा 2.5 किग्रा0 बुझे हुए चूने को प्रति हेक्टेयर लगभग 1000 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करने से फसल में जिंक की मात्रा पर्याप्त रूप में बनी रहती है तथा गन्धी वग नामक कीट जिनके शिशु एवं प्रौढ लम्बी टागों वाले होते हैं जो बालियों की दुग्धावस्था में बालियों में पड रहे दूध को चूस कर किसानों की फसलों को छति पहुंचाते हैं जिसके न्रभाव से दानों में चावल नहीं बनते है जिसके उपचार/नियंत्रण हेतु फेनवैलरेट धूल 0.04 प्रतिशत की 20-25 किग्रा0 की मात्रा का प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में छिडकाव करें अथवा एजाडिरेक्टिन 0.15 ई0सी की 2.5 लीटर की मात्रा को 500 से 750 लीटर पानी की मात्रा में घोलकर छिडकाव करें।