अमेठी-न्यायालय में मुकदमा लंबित है,उसके बाद भी फलदार वृक्षों की नीलामी करवा रही हैं अमेठी तहसीलदार?-चंदन दुबे की रिपोर्ट

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अमेठी।न्यायालय में मुकदमा लंबित है,उसके बाद भी फलदार वृक्षों की नीलामी करवा रही हैं अमेठी तहसीलदार

चंदन दुबे की रिपोर्ट

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उपजिलाधिकारी अमेठी के न्यायालय में विचाराधीन मामले को दरकिनार करते हुए तहसीलदार अमेठी हरे फलदार वृक्षों को नीलाम करने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है।

मामला तहसील अमेठी के ग्राम नगरडीह का है जहां की सावित्री देवी पत्नी कृष्णमुरारी दूबे ने उपजिलाधिकारी अमेठी के न्यायालय में ग्रामसभा में स्थित गाटा संख्या 402मि0 का हदबरारी मुकदमा दायर किया हुआ है और पैमाइस के लिए सरकारी शुल्क भी जमा कर दिया है लेकिन छःमाह बीत जाने के बाद भी राजस्व निरीक्षक पीपरपुर एवं क्षेत्रीय लेखपाल नगरडीह द्वारा हदबरारी पूर्ण नहीं की गई।

प्रार्थिनी के गाटा संख्या 402 मि0 के बगल ही चकरोड संख्या – 401 स्थित है जिसको क्षेत्रीय लेखपाल विजयपाल ने गैरकानूनी तरीके से प्रार्थिनी के गाटा संख्या 402 का हदबरारी का मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन रहने की अवधि में पैमाइस करके प्रार्थिनी के भूमिधरी चक के मेडों पर लगे फलदार आम, नीम,सफेदा आदि वृक्षों को चकरोड में दिखा दिए जो कि न्यायसंगत नहीं है। क्षेत्रीय लेखपाल की उसी पैमाइस रिपोर्ट को सही मानकर तहसीलदार अमेठी ने हरे फलदार वृक्षों को वन विभाग द्वारा मूल्यांकन कराकर 10 जुलाई को नीलाम करने की तिथि घोषित कर दिया है।

प्रार्थिनी ने उपजिलाधिकारी अमेठी को दिए गए शिकायती प्रार्थना पत्र में नीलामी प्रक्रिया रोकवाए जाने एवं हदबरारी कराने का आग्रह किया है।

अब देखना है कि मामला उपजिलाधिकारी के न्यायालय में विचाराधीन रहने की अवधि में गैरकानूनी रूप से क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा की गई पैमाइस को न्यायसंगत माना जाता है या प्रार्थिनी के हदबरारी वाद को पूर्ण होने की अवधि तक हरे फलदार वृक्षों की नीलामी पर रोक लगायी जाती है।

तहसील अमेठी के राजस्व कर्मियों पर सवाल यह उठता है कि न्यायालय जैसे गरिमामयी संस्थान के आदेश एवं दिशा – निर्देशों को मानना मुनासिब नहीं समझते हैं।