रायबरेली-अब तबादले की तैयारी,राजकीय कालेजों में 75 फीसदी पद खाली

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अब तबादले की तैयारी,
राजकीय कालेजों में 75 फीसदी पद खाली

रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला

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रायबरेली। माध्यमिक शिक्षा विभाग के राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों के 75 फीसदी पद खाली चल रहे हैं। जिन्हें भरने के संबंध में कोई पहल होती नजर नहीं आ रही है। अब ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया के अंतर्गत 17 अध्यापकों को अग्रसारित कर दिया गया है, जिनके तबादले हो जाने से अध्यापकों की संख्या और कम हो जाएगी। सिर्फ 25 फीसदी अध्यापकों के भरोसे राजकीय कॉलेजों में पठन-पाठन का माहौल बना पाना मुमकिन नहीं दिख रहा है।

उल्लेखनीय है कि जिले में 40 राजकीय माध्यमिक कॉलेज संचालित हैं। इनमें 23 इंटर कॉलेज और 17 हाईस्कूल हैं। प्रवक्ता के कुल 234 पद सृजित हैं, जिनमें 47 तैनात हैं। बाकी 187 पद खाली चल रहे हैं। इस तरह एलटी ग्रेड के सृजित 382 पदों के सापेक्ष 97 अध्यापक कार्यरत हैं और 285 पद रिक्त चल रहे हैं। शिक्षकों की कमी की समस्या पिछले कई सालों से चल रही हैं, लेकिन नए अध्यापकों की तैनाती नहीं की गई। हर साल अध्यापक रिटायर भी हो रहे हैं, जिससे समस्या दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है। अब तो स्थानांतरण प्रक्रिया भी चल रही है, जिसमें आवेदन करने वाले 17 अध्यापकों के मामलों को अग्रसारित कर दिया गया है। अगर अन्य अध्यापकों को भी स्थानांतरित कर दिया गया तो समस्या इससे भी ज्यादा गंभीर हो जाएगी। प्रवक्ता और एलटी ग्रेड के अध्यापकों के स्थानांतरण की ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन करने वाले जिन शिक्षकों के प्रकरण डीआईओएस कार्यालय पहुंचे थे।उन पर सभी पर सोमवार को आख्या लगाकर निस्तारित कर दिया गया। वैसे तो 26 अध्यापकों ने तबादले के लिए रजिस्टे्रशन कराया था, लेकिन 19 प्रकरणों की फाइल डीआईओएस दफ्तर पहुंची। बाकी आवेदन अधूरे थे या किसी ने दो बार आवेदन कर रखा था। इसीलिए यहां आए 19 आवेदनों पर जांच के बाद डीआईओएस ने 17 आवेदन को अग्रसारित कर दिया। दो आवेदन इसलिए रिजेक्ट कर दिए गए, क्योंकि इन मामलों में संबंधित प्रधानाचार्यों की संस्तुति नहीं थी।

इनसेट

” जिले के राजकीय माध्यमिक कॉलेजों में तैनात शिक्षकों एवं अन्य स्टाफ का ब्योरा शासन को भेजा जा चुका है। रिक्तियों के संबंध में भी शासन को अवगत करा दिया गया है। शिक्षकों के स्थानांतरण की ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत जितने प्रकरण सामने आए थे, उनका निस्तारण करते हुए आवेदन को अग्रसारित कर दिया गया है।”
– डॉ. चंद्रशेखर मालवीय, डीआईओएस, रायबरेली