देश के इस इकलौते सनातनी मंदिर में क्यों इंदिरा गांधी को नही मिला था प्रवेश,साथ ही जाने विश्वप्रसिद्ध कोणार्क मंदिर का रहस्य, देखे रिपोर्ट।

0 203

- Advertisement -

आज हम जगन्नाथ पुरी धाम की दूसरे दिन की यात्रा पर जगन्नाथ मंदिर के कुछ रहस्य जो बच गए थे उसके बारे में बताएंगे साथ क्या आप जानते है एक बार इस मंदिर का दर्शन करने आई स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को क्यों अंदर जाने नही दिया गया। उसकी भी जानकारी देंगे साथ ही एक ऐसे नदी के बारे में बताएंगे जहां कैसा भी असाध्य चर्म रोगी हो उस पानी मे नहाने से ठीक हो जाता हैं, और साथ ही धर्म यात्रा में विश्व प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर इतना क्यों प्रसिद्ध हैं कि देश विदेश से लोग पहुँचते हैं उसके बारे में भी हम विस्तृत जानकारी देंगे।आइये जानते है खबर पर।

- Advertisement -

जगन्नाथ पूरी मंदिर एक ऐसा इकलौता मंदिर है जहां भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा का यह मंदिर है। यह काठ यानी लकड़ियों की मूर्तियां हैं। जगन्नाथ मंदिर के रहस्य में
मान्यतानुसार भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग इसी मंदिर में किया। कहते है कि शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई और यह हिस्सा उनका हृदय था। माना जाता है कि मंदिर में रखे श्रीकृष्ण के लकड़ी के देह में आज भी वह हृदय धड़क रहा है।

दूसरे रहस्य में —
मंदिर में जाने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर के सिंहद्वार में जाने पर जबतक अंदर कदम नहीं जाते तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है. लेकिन, जैसे ही कदम सिंहद्वार में पड़ते हैं वैसे ही लहरों की आवाज रुक जाती है. तीसरे रहस्य में
जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर जो झंडा लगा है कहते हैं कि वह झंडा हवा की विपरीत दिशा में उड़ता है. कहा जाता है कि इस मंदिर का झंडा रोजाना बदला जाता है और अगर किसी दिन झंडा नहीं बदला गया तो यह मंदिर 18 सालों के लिए बंद कर दिया जाएगा।
इस मंदिर की रसोई से भी एक रहस्य जुड़ा है. यहां जो प्रसाद बनता है वो सात मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता है और सातों बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है. हैरानी की बात कही जाती है कि सबसे पहले प्रसाद सातवें बर्तन में तैयार होता है और उसके बाद छठे, पांचवे, चौथे, तीसरे, दूसरे और फिर पहले में प्रसाद पककर तैयार होता है। रहस्य तो बहुत भरे पड़े है हम आप को एक और रहस्य के बारे में बताते है,
कहते हैं कि मूर्तियों के अंदर ब्रह्म पदार्थ है जिसे नई मूर्तियों में डाला जाता है. मंदिर की मूर्तियों को हर 12 साल में बदला जाता है और इस दौरान बिजली काट दी जाती है. कोई नहीं जानता कि यह ब्रह्म पदार्थ क्या है। अब एक और जानकारी।
जगन्नाथ मंदिर में केवल सनातनी हिंदू ही आ सकते हैं. एकबार वहां पहुँची पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी मंदिर में आने की इजाजत नहीं दी गई थी।

आप के स्क्रीन पर यह समुद्र का नज़ारा दिख रहा होगा जिसको चन्द्रभागा कहते है।कहा जाता हैं । बताया जाता हैं कि यहां एक चन्द्रभागा नदी थी जो यहां सुख गई है और इस समुद्र के पास मिल जाती हैं, साल भर में सिर्फ कुछ दिनों के लिए इस नदी में स्वयं पानी आ जाता हैं,उस वक्त यहां मेला लगता है और दूर दराज से आये पीड़ित असाध्य चर्म रोगी इस पानी से स्नान कर रोग से मुक्त हो जाते है। इस समुद्र तट की लहरें बिलकुल दूध जैसी सफ़ेद दिखती हैं ऐसी सफेदी आप को और कही नही मिलेगी, इसकी सुंदरता के कारण ही इस तट की तुलना देश के सबसे खूबसूरत तटों में होती है। अब हम चन्द्रभागा नदी की कहानी भी बताते है।
पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण के पुत्र साम्भ से नाराज हो कर नारदमुनि ने श्राप दे दिया।और उनको कुष्ठ रोग हो गया उस श्राप से मुक्ति को लेकर साम्भ ने चन्द्रभागा नदी के तट सूर्य भगवान की तपस्या की, जहां उनको इस रोग से मुक्ति मिली, इस लिए साल भर में यहां एक बार मेला लगता है।

आइये चलते हैं इससे मात्र लगभग चार किलोमीटर दूर कोणार्क मंदिर पर।

आपने 10 रुपए के नोट के पीछे कोणार्क सूर्य मंदिर की तस्वीर जरूर देखी होगी। यह भारत के प्रमुख सूर्य मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि सूर्य की पहली किरणें पूजा स्थल और भगवान की मूर्ति पर पड़ती थीं। कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओडिशा राज्य में जगन्नाथ पुरी से 35 किलोमीटर दूर कोणार्क शहर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कलिंग स्थापत्य शैली के तहत किया गया था। यह मंदिर बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बना है।

kd news sultanpur

भुवनेश्वर कोणार्क मंदिर
भुवनेश्वर चन्द्रभागा नदी
जगन्नाथ पुरी मंदिर
अधूरी प्रतिमा की पूजा
सबर काबिले के दैतापति
हिंदू परंपरा
ओडिशा की संस्कृति
भगवान जगन्नाथ
धार्मिक रहस्य
भारतीय मंदिर
पूजा परंपरा

#kdnewssultanpur
#भुवनेश्वरकोणार्कमंदिर
#भुवनेश्वरचन्द्रभागानदी
#जगन्नाथपुरीमंदिर
#अधूरीप्रतिमाकीपूजा
#सबरकाबिलेकेदैतापति
#हिंदूपरंपरा
#ओडिशाकीसंस्कृति
#भगवानजगन्नाथ
#धार्मिकरहस्य
#भारतीयमंदिर

 #पूजापरंपरा

 

देखे सुल्तानपुर जनपद की अपडेट खबरें।

 

*सुलतानपुर ब्रेकिंग—कलियुगी बेटे ने ईंट से कूचकर की पिता की नृशंस हत्या। घटना को अंजाम देकर बेटा हुआ फरार। देहात कोतवाली क्षेत्र के केनौरा गांव में हुई रविवार की आधी रात दिल दहला देने वाली घटना। पुलिस ने किया घटना स्थल का निरीक्षण, परिवार में मचा कोहराम। पुलिस के मुताबिक बेटा लंबे समय से नशे का चल रहा था आदी। कोतवाल अखंड देव मिश्र बोले, दर्ज किया गया गैर इरादतन हत्या का मुकदमा। जल्द सुनिश्चित की जाएगी हत्यारोपी बेटे की गिरफ्तारी।

[ *सुल्तानपुर*–*उदासीन पंथ के महत्वपूर्ण स्थल बाबा सहजराम आश्रम बन्धुआकलां में आधिपत्य व ‘गद्दी’ लेने लखनऊ से पहुंचे धर्मेंद्र दास*

 

 

*दिवंगत पूर्व महंत भरतदास के मुख्य शिष्य जीतूदास से कहासुनी , विवाद*

*लंबे समय से गद्दी बचाने और अधिपत्य हासिल करने को लेकर वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे दिवंगत भरतदास व धर्मेंद्र दास*

*मौके पर पुलिस मौजूद*

*लाव लश्कर से पहुंचे हैं धर्मेंद्र दास*

*करीब ४ वर्ष से गरम है बन्धुआकलां विवाद*

*बंधुआ आश्रम में है अकूत चल-अचल संपत्ति*

*तमाम भूमाफियाओं व अवैध जमीन कारोबारियों की नजर लगी है इस बेशकीमती आश्रम की अकूत दौलत पर*

*मान्यता है कि सिख पंथ के संस्थापक गुरुनानक देव जी महाराज भी आ चुके हैं बन्धुआश्रम*

 

[ *श्री चित्रगुप्त धाम से निकली भव्य शोभायात्रा, प्राण प्रतिष्ठा के साथ हुई प्रतिमाओं की स्थापना*

.*तमाम धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं की रही भागीदारी*

सुलतानपुर – श्री चित्रगुप्त धाम मंदिर से मंदिर परिसर में स्थापित किए जाने वाले सभी देवी देवताओं की मूर्तियों के साथ एक भव्य शोभा यात्रा निकाली गई,जो कि शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए वापस श्री चित्रगुप्त धाम पहुंची। इस यात्रा में रथ पर सवार विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां जिसमें एकादश मुखी हनुमान जी, श्री राम दरबार, श्री दुर्गा जी, शिव परिवार, बारह ज्योतिर्लिंग, शिवलिंग एवं नंदी महराज की भव्यता देखते बन रही थी।शोभायात्रा में जिले की तमाम सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं शामिल हुईं।जगह-जगह चौक चौराहों पर शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया गया और धार्मिक केंद्रों पर तमाम भक्तों द्वारा आरती उतारी गई। देवी देवताओं से सजे रथ के साथ यह शोभा यात्रा चित्रगुप्त धाम से शाम 5 बजे निकली। यात्रा पर्यावरण पार्क होते हुए एम.जी. चौराहा से डाकखाना चौराहा, शाहगंज चौराहा, हनुमान गढ़ी, चौक घंटाघर से जिला अस्पताल, बस अड्डा, मेहमान रेस्टोरेंट से पुनः पर्यावरण पार्क होते हुए सीताकुण्ड पहुंची वहां से वापस श्री चित्रगुप्त धाम रात्रि साढ़े 9 बजे पहुंची। प्राण प्रतिष्ठा के साथ विगत 5 दिनों से चल रहा अधिवास अनुष्ठान पूर्ण हुआ और मूर्तियों को श्री चित्रगुप्त धाम मंदिर के परिसर में स्थापित किया गया। संपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान पंडित रोहित तिवारी की देखरेख में संपन्न हुआ।इस शोभा यात्रा के दौरान रास्ते में जगह जगह विभिन्न संस्थाओं और मानिंद व्यक्तियों द्वारा शोभायात्रा में शामिल भक्तों को उचित जलपान और ठंडे पेय पदार्थ प्रदान किए गए। इस धार्मिक शोभायात्रा में प्रमुख रूप से निम्न संस्थाओं और प्रमुख लोगों की भागीदारी रही। चेयरमैन प्रवीण अग्रवाल, डॉ आर ऐ वर्मा,प्रताप सेवा समिति से विजय विद्रोही, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा से जितेंद्र श्रीवास्तव, अरुण श्रीवास्तव एडवोकेट, अंकुरण संस्था से दीपक जायसवाल, आदित्य अग्रहरि, गायत्री परिवार से डॉ सुधाकर सिंह, अभिषेक सिंह, राकेश प्रताप सिंह, रोटरी क्लब से नीरव पांडेय, प्रमोद मेहरोत्रा,डॉ रवि त्रिपाठी, संजय केसरवानी, डॉ अभिषेक,अजित, अखिल अग्रवाल, अलोक अग्रवाल, सागर तिवारी, त्रिदेव मंदिर से मन्नू, भारत विकास परिषद से प्रदीप बरनवाल, सहज योग परिवार से सोनी श्रीवास्तव, अंजू श्रीवास्तव,
प्रज्ञा अकादमी से आशीष अग्रहरि, सरजू प्रसाद वानप्रस्थी, पंचमुखी हनुमान मंदिर से आशीष श्रीवास्तव ‘ बिल्लू ‘, किराना व्यापार संगठन से आलोक सागर , संजीत कसौधन, दाऊ जी,राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन से राहुल ,अशोक वर्मा,मेहमान होटल के महेंद्र पाल सिंह ‘ बबलू सरदार ‘ टिन्नू सिंह, दिनेश चौरसिया, लघु उद्योग व्यापर मंडल से अंबरीश मिश्र और हिमांशु मालवीय,शिव शक्ति समिति कुड़वार नाका से अनिल द्विवेदी,प्रदीप सिंह अकारीपुर, दीपक सिंह ,राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन से राहुल , अशोक वर्मा, राष्ट्रीय गौरक्षा समिति से सर्वेश सिंह, रुद्रनगर हनुमान मंदिर से विजय टंडन आदि। चित्रगुप्त धाम परिवार और निर्माण समिति के सभी सदस्य सपरिवार उपस्थिति रहे। प्रमुख रूप से शशि सिन्हा, जीतेन्द्र श्रीवास्तव, ओपी श्रीवास्तव, पवन श्रीवास्तव, संदीप श्रीवास्तव,प्रदीप श्रीवास्तव, सत्येंद्र खरे, मुकुल श्रीवास्तव, राजू खरे, आशीष श्रीवास्तव, अनुराग श्रीवास्तव, अमित श्रीवास्तव, कौशलेंद्र श्रीवास्तव, गगन श्रीवास्तव, डॉ मनीष, संजय, डॉ आशुतोष, मनीष, राजवीर श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव, प्रशांत सरन श्रीवास्तव, विकास श्रीवास्तव आदि का सराहनीय योगदान रहा। श्री चित्रगुप्त धाम परिवार द्वारा मंगलवार शाम 5 बजे से एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जायेगा, जिसके देर रात तक चलने की संभावना है।