सुलतानपुर- कोर्ट आदेश के बावजूद 30 दिन में कोतवाली देहात पुलिस नहीं पेश कर सकी गैर इरादतन हत्या केस के अभियुक्त को। देखें रिपोर्ट।,

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*कोर्ट आदेश के बावजूद 30 दिन में कोतवाली देहात पुलिस नहीं पेश कर सकी गैर इरादतन हत्या केस की पुनः विवेचना रिपोर्ट,नामजद आरोपी को सतही तफ्तीश के सहारे क्लीनचिट देने पर कोर्ट ने लिया था संज्ञान*

*तत्कालीन चौकी प्रभारी प्रवीण मिश्र ने घटना के चश्मदीद गवाह होने के बावजूद आरोपी पक्ष के करीबियों के शपथपत्र व बयान को आधार बनाकर एवं वास्तविक साक्ष्यो को नजरअंदाज कर इतने गम्भीर केस में नामजद रामकुमार को दे दी थी क्लीनचिट,मात्र दूसरे आरोपी शीतला के खिलाफ दाखिल हुई थी चार्जशीट,तफ़्तीशी खेल की जल्दबाजी में नक्शा-नजरी भी नहीं किया था दाखिल,पुलिसिया करतूत की मॉनिटरिंग न होने की वजह से कई मामलों में आये दिन सामने आती है मनमानी जांच और अक्सर लगती है पुलिस की वाट*

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*अभियोगी की आपत्ति के बावजूद सीजेएम कोर्ट ने भी पहले सरसरी तौर पर पुलिस रिपोर्ट को कर लिया था स्वीकार,सेशन कोर्ट ने पलटा सीजेएम कोर्ट का फैसला तो मामले में सीजेएम कोर्ट ने ही दिया पुनः विवेचना का आदेश,अब पुलिस पूर्व में क्लीनचिट पाए आरोपी रामकुमार के खिलाफ साक्ष्य जुटाकर भेजती है जेल या फिर दोहराती है तफ़्तीशी खेल,उठ रहे गम्भीर सवाल*

*रिपोर्ट-अंकुश यादव*
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सुलतानपुर। गैर इरादतन हत्या के मामले में कोतवाली देहात थाने के तत्कालीन उप निरीक्षक के जरिए सतही तफ्तीश के आधार पर नामजद आरोपी को क्लीनचिट देने पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए पुनः विवेचना का आदेश दिया है। कोर्ट ने 30 दिन के भीतर ही प्रकरण की पुनर्विवेचना कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था,लेकिन सवा महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद कोतवाली देहात पुलिस कोर्ट आदेश का अनुपालन नहीं कर सकी है।
*मामला कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के लखनपुर गांव से जुड़ा है।* जहां के रहने वाले अभियोगी भारत पाल के मुताबिक 24 जुलाई वर्ष 2022 को दिन में करीब 11 बजे उसके चाचा मातादीन खाना खाकर खेत के लिए जा रहे थे, इसी दौरान गांव के ही शीतला प्रसाद व उसके पिता रामकुमार से मातादीन के बीच कुछ कहा-सुनी हो गई। बात-बात में विवाद बढ़ गया और आरोपियों ने लाठी-डंडे व धारदार हथियार से मातादीन पर हमला बोल दिया। हमले में मातादीन को काफी चोटे आई और उनका बायां हाथ भी टूट गया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक घायलवस्था में मातादीन को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें गम्भीर हालत में मेडिकल कॉलेज लखनऊ रेफर कर दिया गया। मामले में अभियोगी भारत पाल की तहरीर पर दोनों आरोपियों के खिलाफ पहले मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ,लेकिन दौरान विवेचना तत्कालीन चौकी प्रभारी प्रवीण मिश्रा ने भादवि की धारा-308 की बढ़ोतरी कर अपनी तफ्तीश शुरू की। वहीं घटना के दो दिन बाद 26 जुलाई को मातादीन की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।जिसके उपरांत विवेचक ने भादवि की धारा-308 को धारा-304 में तरमीम कर जांच शुरू की। अभियोगी के आरोप के मुताबिक विवेचक प्रवीण मिश्रा ने मनमानी तफ्तीश करते हुए मामले में मात्र नामजद आरोपी शीतला प्रसाद के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया,जबकि नामजद रामकुमार की घटना में संलिप्तता न बताते हुए उसे क्लीनचिट देकर विवेचना रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट में दाखिल किया। पुलिस की विवेचना रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होने के बाद एवं उस पर संज्ञान होने के पूर्व अभियोगी भारत पाल के अधिवक्ता ने पुलिस की तफ्तीश पर सवाल उठाते हुए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र देकर आपत्ति जताई। अभियोगी के मुताबिक नामजद आरोपी रामकुमार शीतला प्रसाद के साथ घटना में पूर्ण रूप से शामिल शरीक रहा और इसके कई चश्मदीद गवाह भी है, बावजूद इसके पुलिस ने आरोपियों के अनुचित प्रभाव में उनके करीबियों के शपथ-पत्र लेकर और उन्हीं के बयान को आधार बनाकर रामकुमार की घटना में संलिप्तता न बताते हुए गलत तरीके से उनका नाम मुकदमे से निकाल दिया,यही नहीं विवेचक प्रवीण मिश्र इतने जल्दबाजी में थे कि आरोपी रामकुमार को लाभ देने के चक्कर मे विवेचना रिपोर्ट का महत्वपूर्ण अंग माने जाने वाले नक्शा-नजरी को ही कोर्ट में नहीं दाखिल किया। अभियोजन पक्ष ने इन्हीं सब बातों को आधार बनाकर कोर्ट से पुलिस रिपोर्ट वापस कर पुनः विवेचना कराने की मांग की थी, फिलहाल तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस की रिपोर्ट को जायज मानते हुए अभियोजन पक्ष के प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र पर सरसरी तौर पर सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया और चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया। जिसके पश्चात कोर्ट के इस आदेश को अभियोगी ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चुनौती दी। यह मामला सुनवाई के लिए तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश-प्रथम इंतेखाब आलम की अदालत पर स्थानांतरित हुआ। मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार कपूर ने पुलिस की करतूत की धज्जियां उड़ाते हुए सीजेएम कोर्ट के जरिए पारित आदेश को गलत बताकर उसे निरस्त करने की मांग की। मामले में उभय पक्षों को सुनने के पश्चात तत्कालीन एडीजे-प्रथम इंतेखाब आलम ने पुलिस के जरिए मुकदमे की तफ्तीश में बरती गई खामियों को बहुत गंभीर मानकर मामले की पुनः तफ्तीश कराना जायज मानते हुए सीजेएम कोर्ट के आदेश को पलट दिया और सीजेएम को मामले में पुनः सुनवाई कर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया। जिसके उपरांत इस प्रकरण के संबंध में सीजेएम कोर्ट में पुनः सुनवाई चली। जिसके पश्चात सीजेएम ने सत्र न्यायालय के आदेश के निर्देशन में सुनवाई कर मामले में बीते 15 फरवरी को पुनर्विवेचना का आदेश दिया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक कोर्ट ने मात्र 30 दिन के अंदर पुनः विवेचना पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था,किंतु उससे करीब आठ दिन अधिक बीत जाने के बाद भी कोतवाली देहात पुलिस अभी तक रिपोर्ट दाखिल नहीं कर सकी है। मामले में आरोपियों की मिलीभगत से तत्कालीन चौकी प्रभारी प्रवीण मिश्रा के जरिए लम्बी सेटिंग-गेटिंग का खेल सामने आया है,जिसकी निष्पक्ष जांच हो तो कार्यवाही होनी तय मानी जा रही है।

*सुलतानपुर पुलिस ने जनपद में की कार्यवाही, देखें पूरी रिपोर्ट।*

सुलतानपुर पुलिस ने जनपद में की कार्यवाही, देखें पूरी रिपोर्ट।