यूपी की घोसी सीट की पहली जीत से जहां इंडिया गठबंधन में जान फूंकने का किया काम तो वही एनडीए में तकरार हो गई शुरू?

0 637

- Advertisement -

यूपी की घोसी सीट का चुनाव शुरू होते ही आम जनता में पहले दिन से विपक्षी गठबंधन इंडिया का और एनडीए का चुनाव कहा जाने लगा था। जिस पर दोनों ख़ेमे में बेचैनी भी देखने को मिल रही थी, अब इंडिया गठबंधन को मिली पहली जीत से जहां इंडिया गठबंधन में जान फूंकने के काम किया है तो वही एनडीए में तकरार शुरू हो गई है।

*यूपी की #घोसीसीट का चुनाव परिणाम पर जहां #इंडियागठबंधन में आई जान,तो #एनडीएगठबंधन में रार शुरू,देखे रिपोर्ट सिर्फ के.डी न्यूज़ यूपी पर।*

- Advertisement -

हार जीत के बाद भाजपा और सुभासपा ने भले ही हार के कारणों की समीक्षा की बात कही है लेकिन सहयोगी पार्टी ने सारा टीकरा दारा सिंह चौहान पर फोड़ दिया है।योगी सरकार में मंत्री और एनडीए के सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद हार के लिए दारा सिंह चौहान के चेहरे को कारण बता दिया है। संजय निषाद यहीँ पर नही रुके उन्होंने इशारों इशारो ने ओपी राजभर पर भी निशाना साध दिया। कारण था कि इससे पहले सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर विरोध भी करते रहे हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहा कि कुछ दिन पूर्व बीजेपी में लौटे दारा सिंह चौहान और एनडीए के साथी बने ओपी राजभर का भाजपा क्या इलाज करेगी। ओपी राजभर के अनर्गल बयान बाजी से पहले भी बीजेपी के अंदर विरोध हो रहा था जो अब खुलकर सामने आ जायेगा। पिछली योगी सरकार से बाहर होने पर लगातार सीएम योगी को कोसने वाले शब्दो के बाण को भाजपा अभी भूली नहीं है।

घोसी की हार ने सबसे बड़ा भ्रम ओपी राजभर का ही तोड़ा है। ओपी राजभर का दावा रहता था कि मऊ घोसी समेत पूर्वांचल की कई सीटों पर राजभर समाज उनके साथ हैं लेकिन आज धरातल पर उसकी हवा निकल गई। घोसी चुनाव के पहले राजभर ने यह भी दावा किया था कि 2022 में उनके कारण ही सपा को जीत स्वाद मिला है।
घोसी चुनाव में राजभर समाज का वोट बैंक भाजपा के साथ नहीं जुड़ना अब न सिर्फ उनके दावे की हवा निकाल रहा है बल्कि उनके मंत्री बनने की संभावनाओ को कोसों दूर कर दिया है। दरअसल राजभर को एनडीए में शामिल करने का बड़ा कारण भी राजभर समाज का वोट बैंक ही रहा जो नज़र नही आया और एनडीए में बने रहने पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।

आम जनता में ओपी राजभर के प्रति एक धारणा बनती जा रही है जिसके साथ गठबंधन करने के बाद बाहर होते हैं तो व्यक्तिगत हमले भी करते हैं। दर्शको का ध्यान आकर्षित करेगे कि योगी की पहली सरकार से बाहर होने के बाद भाजपा ही नहीं मुख्यमंत्री तक पर व्यक्तिगत हमले किए थे, उसी तरह इस बार लगातार सपा से अलग होने के बाद से अखिलेश यादव पर भी कर रहे हैं। घोसी में प्रचार के दौरान तो उन्होंने अखिलेश को सैफई भेज देने का दावा भी कर दिया था। अब इस हार के साथ ही ओपी राजभर की भाजपा को किसी तरह के दबाव में लेने की आशंका भी लगभग लगभग खत्म हो गई हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने घोसी विधानसभा के उपचुनाव में हार का कारण एनडीए प्रत्याशी दारा सिंह चौहान का चेहरा बताया। यह पूछने पर कि प्रत्याशी का चुनाव किसने किया, उन्होंने कहा कि यह शीर्ष नेतृत्व का काम है। भितरघात के सवाल पर उन्होंने किसी का नाम खुलकर नहीं लिया। ओम प्रकाश राजभर के एनडीए में आने का क्या असर रहा, इस सवाल पर मंत्री ने कहा कि ओम प्रकाश राजभर बड़े भाई हैं और बड़े भाई के बारे में वो कुछ नहीं कहेंगे।

आइये जानते हैं कि घोसी में हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और भाजपा उम्मीदवार साथ ही नोटा पर कितना वोट दिया गया है।

उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने भाजपा उम्मीदवार व पूर्वमंत्री दारा सिंह चौहान को 42हजार,759 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया है। सुधाकर सिंह को 1,लाख 24,हजार427 मत मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 81हजार,668 वोट मिले हैं। 1725 मतदाताओं ने नोटा को चुना।

फिलहाल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने यह कहा है जनादेश का वह सम्मान करते है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके का परिणाम की अपेक्षा हम लोगों की थी वैसा नतीजा नहीं आया। एक राजनैतिक दल के नाते भाजपा चुनाव परिणामों की समीक्षा करेगी। आगामी कार्ययोजना के तहत पार्टी अपने अभियानों-कार्यक्रमों को पूर्ण करते हुए पूर्णसंकल्प लें कर आगे चलेगी।

*समान नागरिक संहिता पर छिड़ी हैं बहस,एक अकेला ऐसा राज्य जहां यूसीसी है लागू,आखिर क्यों छिड़ी है बहस,देखे जबरदस्त रिपोर्ट।*

*साथ ही इस चर्चा ने शामिल हुए हैं चर्चित कवि शायर डॉ डीएम मिश्र।*

समान नागरिक संहिता पर छिड़ी हैं बहस,एक अकेला ऐसा राज्य जहां यूसीसी है लागू,आखिर क्यों छिड़ी है बहस,देखे जबरदस्त रिपोर्ट।

*सनसनीखेज खबरों के लिए kd news up चैनल करें सब्सक्राइब।*

*आखिर क्यों छिड़ी है यूनिफॉर्म सिविल कोड पर रार,जबकि भारत के एक राज्य में सौ सालों से लागू है यूसीसी,देखे जबरदस्त चर्चा सिर्फ के.डी न्यूज़ यूपी पर*