सुलतानपुर-दलित किशोरी को लालच व धमकी देकर भगाने एवं दुष्कर्म के मामले में दो सगे भाई को स्पेशल कोर्ट ने ठहराया दोषी।
जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने दुष्कर्म के दोषी अशोक दूबे को सुनाई 20 वर्ष कठोर कारावास व 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा,उसके भाई को मिली तीन साल व 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा
*दलित किशोरी को अनेकों लालच व धमकी देकर भगाने एवं दुष्कर्म के मामले में दो सगे भाई को स्पेशल कोर्ट ने ठहराया दोषी,ठोंका अर्थदंड*
*जज पवन कुमार शर्मा की अदालत ने दुष्कर्म के दोषी अशोक दूबे को सुनाई 20 वर्ष कठोर कारावास व 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा,उसके भाई को मिली तीन साल व 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा*
*शौच के लिए निकली किशोरी को डराकर अपने साथ ले गये थे आरोपी,दुष्कर्म की वारदात को दिया था अंजाम,अपने गलत मंसूबो को अंजाम के लिए पीड़ित पक्ष को कभी नौकरी दिलाने तो कभी शादी करने अथवा पुत्र पैदा कर बराबरी का हिस्सा देने का मिला था प्रलोभन*
*ट्रायल के दौरान पीड़ित पक्ष ने तोड़-मरोड़कर तथ्यों को कोर्ट में किया था पेश,आरोपियों के अनुचित प्रभाव में ऐसा करने की मानी जा रही वजह,कोर्ट ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को माना दोषी,अपने को बेकसूर साबित करने के प्रयास में जुटे यौन अपराधियों की मंशा पर फिरा पानी,मिली करनी की सजा*
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सुलतानपुर/अमेठी। दलित किशोरी को अनेकों लालच व धमकी देकर उसे ले जाने एवं दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देने के मामले में स्पेशल जज पाक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत ने दो सगे भाई को दोषी करार दिया है। अदालत ने मुख्य आरोपी अशोक दूबे को दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में दोषी करार देते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं अदालत ने उसके भाई सुभाष दूबे को पीड़िता को भगाने के आरोप में दोषी मानते हुए तीन वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
*मालूम हो कि मुंशीगंज थाना क्षेत्र के सरूवावां गांव* के रहने वाले आरोपी अशोक दूबे व उसके भाई सुभाष दूबे के खिलाफ 16 वर्षीय दलित किशोरी के पिता ने स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक उन्हें वाराणसी स्थित नारी निकेतन से जानकारी मिली कि उनकी बेटी वहां पर है, जिसके बाद अभियोगी वहां पहुंचा तो पीड़िता ने आप बीती सुनाई। आरोप के मुताबिक 10 फरवरी 2020 को पीड़िता शौच के लिए निकली थी, इसी दौरान आरोपी अशोक दूबे व सुभाष दूबे वहां आ गये और पीड़िता के परिजनों को जान से मार डालने की धमकी देकर वहां से उसे अपने साथ लेकर चले गये। आरोप के मुताबिक पांच दिनों तक आरोपियों ने पीड़िता को अपने घर में रखा,जहां पर आरोपी अशोक दूबे उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देता रहा। पीड़िता के बयान के मुताबिक जिस कमरे में आरोपी उसे रखा था उस कमरे में जब अशोक आता था तो उसकी पत्नी पिंकी बाहर से दरवाजा बंद कर देती थी। पीड़िता के मुताबिक पिंकी को पता था कि पीड़िता के साथ गलत हो रहा है,इसके बावजूद भी वह कुछ नहीं बोलती थी। पीड़िता के मुताबिक आरोपीगण लड़कियों की तस्करी के धंधे में लिप्त है। आरोप के मुताबिक आरोपियों को जब पता लगा कि इस घटना के संबंध में पुलिस में शिकायत हो गई है तो उन लोगों ने उसे अपने घर से हटा दिया और दूर भेजने का प्रयास किया, जिसके क्रम में आरोपी सुभाष दूबे ने पीड़िता को कुछ खर्च देकर सुलतानपुर स्टेशन से वाराणसी के लिए बैठा दिया,जहां पहुंचने पर पीड़िता रोने लगी। पीड़िता के मुताबिक उसने अपने घरवालों को फोन लगाया,लेकिन फोन नहीं उठा तो उसने अशोक को भी फोन किया,जिसके बाद पास में स्थित एक होटल वाले ने उसकी बात सुनी तो उसने पुलिस को इस बात की जानकारी दी, जिसके बाद पहुंची पुलिस ने अपनी कार्रवाई करते हुए उसे नारी निकेतन के सुपुर्द कर दिया। नारी निकेतन पहुंचने पर पीड़िता ने अपने परिजनों को सूचना दिलवाई तो उसके परिजन वहां पहुंचे और सारा मामला जाना। अभियोगी ने नौकरी व शादी का झांसा देकर वारदात को अंजाम देने के आरोप में आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कराया। पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि आरोपी पक्ष ने उससे यह भी कहा था कि अशोक के सिर्फ लड़कियां ही है,वह पीड़िता से एक लड़का पैदा करना चाहते है और उसे अशोक दूबे की प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सा देने का भी लालच दे रहे थे। हालांकि इस बात के पीछे आरोपियों के जरिए स्वयं की पुत्र की कमी को पूरा करना था या फिर इसी की आड़ में बच्चा पैदा कराकर बच्चों की तस्करी करना था, यह पुलिस की जांच में स्पष्ट नहीं हो सका। मामले में तफ्तीश के दौरान आरोपियों की गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की गई एवं तफ्तीश पूरी कर उनके खिलाफ आरोप-पत्र भी दाखिल हुआ। मामले का विचारण स्पेशल जज पाक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा की अदालत में चला। विचारण के दौरान बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यो एवं तर्कों को प्रस्तुत कर आरोपियों को बेकसूर साबित करने का भरसक प्रयास किया। मिली जानकारी के मुताबिक अदालत में पीड़ित पक्ष ने आरोपियों के अनुचित प्रभाव में सही बयान भी नहीं दिया और तोड़-मरोड़कर तथ्यों को पेश किया। अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक विवेक सिंह ने अपने साक्ष्यो एवं तर्को को प्रस्तुत कर आरोपियों को घटना का असल मुल्जिम बताया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपियों के अनुचित प्रभाव में पीड़िता ने सही बयान कोर्ट में नहीं दिया था लेकिन ट्रायल के दौरान मिले साक्ष्यो एवं मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित हुआ। मामले में विचारण के उपरांत जज पवन कुमार शर्मा ने आरोपी अशोक दूबे को दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट सहित अन्य आरोपों में दोषी करार देते हुए उसे 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है,वहीं अदालत ने उसके भाई सुभाष दूबे को मात्र भगाने का दोषी मानते हुए तीन वर्ष के कारावास एवं 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अदालत का फैसला आते ही दोषी अशोक दूबे के परिवारी जन कोर्ट परिसर में ही फूट-फूट कर रोने लगे और अपने पति के कुकर्मो व पीड़ित पक्ष के दर्द को भूलकर भला बुरा कहने लगे,हालांकि दोषी को जेल भेजने की कार्रवाई की गई।
*मेधावी छात्र छात्राओं को डीएम सीडीओ द्वारा प्रमाण पत्र और बुके देकर किया गया सम्मानित।* https://kdnewslive
मेधावी छात्र छात्राओं को डीएम सीडीओ द्वारा प्रमाण पत्र और बुके देकर किया गया सम्मानित।
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*सुल्तानपुर डीएम और सीडीओ द्वारा 15 मेधावी छात्र छात्राओं को किया गया सम्मानित।*