सात दिवसीय भब्य कथा का हुआ आयोजन, कथा में शिव जी ने आज की महिलाओं को दी सीख।

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सुल्तानपुर जनपद के कूरेभार क्षेत्र के संजय नगर बाजार मे एक सात दिवसीय भब्य कथा का आयोजन हुआ है जिसमें बृंदाबन से आई हुई श्राध्वी मीरा शास्त्री द्वारा श्रद्धलुओं को राम और शिव के महिमा का रसपान कराया जा रहा है।

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सात दिवसीय भब्य कथा का हुआ आयोजन, कथा में शिव जी ने आज की महिलाओं को दी बड़ी शिक्षा।

गौरतलब हो कि संजयनगर बाजार सरैया बीरान में सात दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन हुआ है। तीसरे दिन शनिवार को वृन्दाबन धाम से पधारी कथा व्यास साध्वी दीदी मीरा शास्त्री भगवान त्रिदेव की विशेष कथा का व्याख्यान करते हुए कहा कि एक बार माता सती भगवान शंकर से बिना बताए ही माता सीता का रूप धारण कर भगवान राम की परीक्षा लेने चली गईं। लेकिन भगवान श्रीराम ने उन्हें पहचान कर पूछ लिया, हे माता आप अकेले कहां घूम रही है। भगवान शंकर ने सती की ओर से भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने की बातें जान ली और रुष्ट हो गए। इसके बाद आज की ही आगे की कथा में माता सती के पिता राजा दक्ष के यहां यज्ञ में जाना और शामिल होने के लिए माता सती ने भगवान से अपनी इच्छा जाहिर करना और बाद में यज्ञ विध्वंस करने की नियत यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग करना और फिर कठोर तप कर जन्म लेना और भगवान शंकर से शादी होना इस कथा का आज का प्रसंग रहा।

कथा का विस्तृत रूप से वर्णन करते हुए साध्वी दीदी मीरा शास्त्री ने आगे सुनाया की भगवान शंकर ने माता सती से कहा कि तुम्हारे पिता ने यज्ञ में आने के लिए हम लोगों को आमंत्रित नहीं किया है। वहीं माता सती ने कहा कि माता-पिता, गुरु व मित्र के घर जाने के लिए आमंत्रण की जरूरत नहीं होती है।तो भगवान शिव ने कहा कि जहां मान नहीं हो वहां बिन बुलाए जाना भी नहीं चाहिए। भगवान शिव की बात की अवहेलना कर माता सती अपने पिता राजा दक्ष के घर पहुंच गई। लेकिन यज्ञस्थल के निकट भगवान शंकर का स्थान ना देख क्रोध में आकर यज्ञ विध्वंस करने की नियत यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग कर दी थी। जिसके बाद माता सती ने घोर तपस्या कर राजा हिमाचल व रानी मैना के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। फिर माता पार्वती से भगवान शंकर का विवाह हुआ।इसी प्रसंग के साथ देर रात कथा का समापन किया गया।
कथा श्रावण के लिए पहुँचे कूरेभार थाने के दिवान विनोद पांडे ने कहा कि श्रीराम कथा सुनने से जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। श्रीराम कथा तन-मन को पवित्र कर उज्ज्वल करने के साथ-साथ जीवन शैली और आत्मा को नया रूप देती है। इस दौरान कथा आयोजक रमाकांत चौरसिया पत्नी राधा चौरसिया , सूर्यकांत चौरसिया, चित्रांश, दिब्यास चौरसिया ,अंजू चौरसिया , खुशबू चौरासिया (लखनऊ),विजयपाल यादव, सुग्रीव यादव,नंद किशोर तिवारी,संजय बरनवाल,धर्मेश मिश्रा ,श्याम सिंह,देवीदीन बरनवाल,जय प्रकाश मिश्रा, जगदीश पाल, राम जनम यादव,तिलक राम पाल,रामभवन समेत कथा पंडाल मे सैकड़ो कथा श्रोता उपस्थित रहे।

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