सपा का 21 मार्च को लखनऊ में होने वाली समीक्षा बैठक में मंथन,जिलों से पहुंचने वाले नेताओं से इस बारे में मांगे जाएंगे सुझाव।
अगर उनको पांच लाख वोट और मिल गए होते, तब पार्टी की सरकार बन जाती।-सपा थिंक टैंक
21 मार्च को लखनऊ में होने वाली समीक्षा बैठक में मंथन होगा
मेरठ-2022 के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखने वाली समाजवादी पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि घोषित रिजल्ट के मुताबिक भी अगर उनको पांच लाख वोट और मिल गए होते, तब पार्टी की सरकार बन जाती। अब 2024 के चुनाव में पांच लाख और वोटों का जुगाड़ कैसे हो, इस पर 21 मार्च को लखनऊ में होने वाली समीक्षा बैठक में मंथन होगा। जिलों से पहुंचने वाले नेताओं से इस बारे में सुझाव मांगे जाएंगे।
2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे, उस वक्त सपा को 29.15 प्रतिशत वोट मिले थे, जिसके आधार पर 224 सीटें मिली थी।- मंथन।
रणनीतिकारों के हिसाब से अगर पांच लाख वोट सपा के पक्ष में और पड़ जाते, तब रिजल्ट अलग होता।
दिनेश गुर्जर का कहना है कि इस बार पार्टी के रणनीतिकारों के हिसाब से अगर पांच लाख वोट सपा के पक्ष में और पड़ जाते, तब रिजल्ट अलग होता। यूपी में 2012 की तरह सपा सरकार होती।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव दिनेश गुर्जर के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन को 36 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं। इसमें 32 प्रतिशत वोट अकेले सपा का है। चार प्रतिशत सहयोगी दलों का हैं। 2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे, उस वक्त सपा को 29.15 प्रतिशत वोट मिले थे, जिसके आधार पर 224 सीटें मिली थी। अब 2022 में वोट शेयर बढ़कर 32 प्रतिशत हो गया, लेकिन सीटें सिर्फ 111 ही मिली हैं।
समीक्षा में सामने आने वाली कमियों को दूर कर 2024 में उससे बचने का काम किया जाएगा
पार्टी के अनुमान के मुताबिक, 2022 में मिले वोट के बराबर ही अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिलते हैं, तब सपा लोकसभा की 20 सीटें जीत सकती है। ऐसे में पांच लाख वोट अभी से बढ़ाने की कोशिश करने और उसमें कामयाबी मिलने पर लोकसभा की सीटें बढ़ सकती हैं, इसलिए 2022 के चुनाव की समीक्षा में सामने आने वाली कमियों को दूर कर 2024 में उससे बचने का काम किया जाएगा।
सपा युवजन सभा के प्रदेश सचिव बाबर खरदौनी का कहना है कि सपा 2024 में नई तैयारी के साथ चुनावी जंग में उतरेगी। युवाओं का साथ हासिल करने को अभी से संगठन जमीन पर काम करेगा। बीजेपी की समाज बांटने की नीति को ध्वस्त करेगा।
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सूत्रों के मुताबिक, सपा मुखिया 2022 में जीत के लिए टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लिया था
‘सपा 2024 में नई तैयारी के साथ चुनावी जंग में उतरेगी’
सपा सूत्रों के मुताबिक, सपा मुखिया 2022 में जीत के लिए टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लिया था। उन्होंने हर वर्ग का वोट हासिल करने की रणनीति के तहत सबसे ज्यादा 170 से अधिक टिकट ओबीसी को दिए थे। अखिलेश ने अपर कास्ट वोटर को साथ लाने के लिए 23 ठाकुरों और 39 ब्राह्मणों को टिकट दिया। इस सबके बावजूद उम्मीद के मुताबिक, इन जातियों का वोट सपा को नहीं मिला। चुनाव में सिर्फ मुस्लिमों ने ज्यादातर वोट सपा को जरूर दिया। कई यादव और ब्राह्मण बहुल सीटों पर बीजेपी जीती।