#सुल्तानपुर-#हाईकोर्ट से #स्थगन की स्थिति स्पष्ट न होने तक थमी रहेंगी #स्वामीप्रसादमौर्य की मुश्किलें।

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बिग ब्रेकिंग:
पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद के खिलाफ नहीं जारी होगी कोई प्रपीड़क कार्यवाही, हाईकोर्ट से स्थगन की स्थिति स्पष्ट न होने तक थमी रहेंगी मुश्किलें

एमपी-एमएलए कोर्ट के मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने मामले में संज्ञान लेते हुए दिया आदेश,सात साल पहले जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट,हाईकोर्ट से स्टे के बाद थम गया था मामला

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पिछली पेशी पर सेशन ट्रायल के एमपी-एमएलए कोर्ट जज पीके जयंत ने हाईकोर्ट से जारी स्थगन आदेश का हवाला देते हुए आज के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य को हाजिर होंने का दिया था आदेश

हाईकोर्ट के निर्देशन में माननीयों से जुड़ी मजिस्ट्रेट ट्रायल की पत्रावली पर सुनवाई की एसीजेएम द्वितीय को मिली है जिम्मेदारी,पूर्व आदेश के बावजूद गैरहाजिर रहने पर आज फिर हुआ हाजिर होने का आदेश,24 को पेशी,पर नहीं है एनबीडब्ल्यू

रिपोर्ट-अंकुश यादव

सुल्तानपुर। माननीयों की विशेष अदालत से उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ हाजिर होने का आदेश हुआ है। विशेष मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने वर्ष 2016 में हाईकोर्ट के स्थगन आदेश से प्रभावित हुए इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तारीख तय की है। फिलहाल कोर्ट का यह स्पष्ट आदेश सामने आने से पूर्व कैबिनेट मंत्री के खिलाफ एनबीडब्ल्यू आदेश जारी होने की खबर तथ्यहीन हो गई है। ऐसे में धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने से जुड़े मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद की बढ़ती दिख रही मुश्किलें फिलहाल अभी थमी हुई है।
भारतीय जनता पार्टी के कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देकर राजनैतिक गलियारे में खलबली मचा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य सुलतानपुर जिले में चल रहे केस की कार्यवाही को लेकर भी चर्चा में आ गये हैं। गौरतलब है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा के महासचिव पद पर होने के दौरान 22 सितम्बर 2014 को लखनऊ में कर्पूरी ठाकुर भागीदारी महासम्मेलन में गौरी-गणेश पूजा आदि को लेकर विवादित बयान दिया था। उनका यह विवादित बयान अखबारों व चैनलों पर प्रसारित हुआ। उनके इस विवादित बयान को अखबारों में पढ़कर आहत हुए अधिवक्ता अनिल कुमार तिवारी ने अदालत में परिवाद दायर किया था। जिसके समर्थन में अधिवक्ता श्रवण कुमार पांडेय व तेज बहादुर सिंह ने भी अपना बयान अदालत में दर्ज कराया था। जिस पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन एसीजेएम पंचम सरोज कुमार यादव ने 20 नवंबर 2014 को मामले में भादवि की धारा 295-क के अंतर्गत विचारण के लिए तलब करते हुए सम्मन जारी करने का आदेश दिया था। हाजिर न होने पर कोर्ट ने 18 दिसम्बर 2014 को उनके विरूद्ध गैर जमानतीय वारंट भी जारी करने का आदेश दे दिया। कोर्ट से हुई तलबी आदेश के खिलाफ स्वामी प्रसाद मौर्य की तरफ से सत्र न्यायालय में रिवीजन भी दायर किया गया,फिलहाल सत्र न्यायालय ने उनकी निगरानी को निराधार मानते हुए नौ नवम्बर 2015 को खारिज कर दिया था। सत्र न्यायालय से राहत न मिलने पर स्वामी प्रसाद ने बगैर राज्य सरकार की संस्वीकृति लिए उन्हें तलब करने का आदेश जारी होना उचित न बताते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी। जिनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2016 को आदेश जारी कर अगली सुनवाई तक मजिस्ट्रेट कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दिया था,उसके बाद हाईकोर्ट में 31 मई 2016 को मामला सूचीबद्ध होने पर दूसरी बार सुनवाई चली। जिसमे हाईकोर्ट ने विपक्षी को जवाब दाख़िल करने की बात कहते हुए सूचीबद्ध होने पर अगली सुनवाई होने का आदेश जारी किया और साथ मे पूर्व में पारित स्थगन आदेश को भी बरकरार रखा था। हाईकोर्ट के इसी स्थगन आदेश के क्रम में केस की कार्यवाही काफी समय से लम्बित पड़ी रही और तब से आज तक हाईकोर्ट में यह मामला सूचीबद्ध भी नहीं हुआ। कई महीनों से इस केस की कार्यवाही एसीजेएम पंचम की अदालत रिक्त होने की वजह से लटकी रही। कुछ दिनों पहले यह मामला माननीय से सम्बंधित होने के चलते एसीजेएम पंचम की अदालत से एमपी-एमएलए कोर्ट पर स्थानांतरित हुआ। लेकिन इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य की तरफ से हाईकोर्ट के आदेश की मौजूदा स्थिति के बारे में कोई सूचना नही दी गई और न ही उसके प्रभाव के बारे में कोई जानकारी कोर्ट को उपलब्ध कराई गई। उधर परिवादी अनिल कुमार तिवारी 28 मार्च 2018 को पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पारित स्थगन आदेश पर छः महीने से अधिक का समय बीत जाने व वर्तमान समय मे कोई नया आदेश प्रभावी न होने की बात कहते हुए स्वामी प्रसाद के खिलाफ कार्यवाही जारी करने की मांग की गई।


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इसी बीच हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में मजिस्ट्रेट ट्रायल से जुड़े माननीयों के मुकदमो को सुनने की जिम्मेदारी एसीजेएम द्वितीय योगेश यादव को प्रभार सौंपते हुए केस ट्रांसफर करने का आदेश जारी हुआ।जबकि सेशन ट्रायल से जुड़े माननीयो के केस को सुनने का प्रभार स्पेशल जज पीके जयंत को ही मिला है। हाईकोर्ट के इसी आदेश क्रम में स्पेशल जज पीके जयंत ने बीते छह जनवरी को अग्रिम सुनवाई व उचित आदेश के लिए पत्रावली स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट को ट्रांसफर कर दी और अभियुक्त स्वामी प्रसाद मौर्य को 12 जनवरी की पेशी पर उपस्थित होने का आदेश भी दिया। इसी क्रम में आज एसीजेएम द्वितीय/स्पेशल मजिस्ट्रेट एमपी-एमएलए योगेश यादव की अदालत में केस में सुनवाई चली। फिलहाल पेशी पर स्वामी प्रसाद मौर्य हाजिर नही हुए और न ही उनके पक्ष से कोई उपस्थित ही हुआ। ऐसे मे स्पेशल मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तिथि नियत करते हुए सम्बंधित पक्षकारों व कार्यालय लिपिक से हाईकोर्ट से पूर्व में पारित स्थगन आदेश के बारे में कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। फिलहाल आज दिन भर कोर्ट से सात वर्ष पूर्व जारी हुए गैर जमानतीय वारंट को पुनः जारी होने की चर्चाएं बनी रही,पर कोर्ट का स्पष्ट आदेश देर शाम सामने आने से पूर्व कैबिनेट मंत्री की बढ़ती दिख रही मुश्किलें एक बार फिर थम गई है।

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