रायबरेली-कुछ तो गड़बड़ है… भाई
किशोर के अपहरण के मामले में लखनऊ के युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजने का जिक्र है। इसी मसले को लेकर बात बढ़ी और मामला हाई प्रोफाइल हो गया।
कुछ तो गड़बड़ है… भाई
रायबरेली : विधायक की डपट और अपशब्द सुनने वाले दारोगा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अपने बचाव में उन्होंने थाने में जो तहरीर दी है, उसमें और पुलिस की सामान्य दैनिक विवरण यानी जीडी रिपोर्ट में कई अंतर हैं। वही जीडी रिपोर्ट जिसमें किशोर के अपहरण के मामले में लखनऊ के युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजने का जिक्र है। इसी मसले को लेकर बात बढ़ी और मामला हाई प्रोफाइल हो गया।
पुलिस की सामान्य दैनिक रिपोर्ट 12 सितंबर की सुबह 10.15 बजे लिखी गई। जिसमें दारोगा डीके राय ने बताया कि उन्होंने मुख्य आरक्षी धीरेंद्र कुमार पटेल के साथ मुखबिर की निशानदेही पर राजेश कुमार उर्फ पिटू को बछरावां कस्बे में ओवरब्रिज के पास से पकड़ा। जो कि बछरावां क्षेत्र के एक गांव की किशोरी को बहला फुसलाकर भगा ले जाने और पॉक्सो एक्ट में आरोपित है। गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से सिर्फ कपड़े और आधार कार्ड मिला। जबकि 16 सितंबर को जब उसने थाने में तहरीर दी तो उसमें बताया कि गिरफ्तारी के वक्त राजेश के पास से एक मोबाइल, पर्स में कुछ पैसे व डीएल यानि ड्राइविग लाइसेंस मिला था। जिसे एक रुमाल में बांधकर हेड मोहर्रिर राम औतार के पास सुरक्षित रख दिया गया। 15 सितंबर को एक महिला देवर मंगेश के साथ आई तो सामान उनके सिपुर्द कर दिया गया। ये इस केस की पहली कमजोर कड़ी है।
इनसेट –
….तो क्या पहले से नहीं थी पहचान ?
दूसरे जीडी में साफ उल्लेख किया गया है कि मुखबिर की निशानदेही और आरोपित के आधार कार्ड से दारोगा ने राजेश उर्फ पिटू की पहचान की। जबकि विधायक राम नरेश रावत और राजेश की पत्नी के आरोप हैं कि डीके राय ने उनके पति को केस से बचाने के लिए 20 हजार रुपये घूस ली। उनके साथ अक्सर पीते खाते थे। फिर विधायक के कहने पर 18500 रुपये वापस कर दिए। अगर इसमें सच्चाई है तो मामला और पेचीदा हो जाएगा दारोगा के लिए।