यूपी/-सुलतानपुर-कहिं राजनीति का शिकार तो नही बने हिंदू युवा वाहनी के उपाध्यक्ष?.

♦क्या कारण है कि भाजपा के पदाधिकारियों ,नेताओं से लेकर संगठन नेताओं तक भी नही हो रहे हैं इस मामले पर मुखर..

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♦कहिं राजनीति का शिकार तो नही बने हिंदू युवा वाहनी के उपाध्यक्ष?..

♦कही कूरेभार क्षेत्र में लोकप्रियता का शिकार तो नही हुए प्रांजल सिंह..
♦क्या कारण है कि भाजपा के पदाधिकारियों ,नेताओं से लेकर संगठन नेताओं तक भी नही हो रहे हैं इस मामले पर मुखर..
♦पिछली बार जिला पंचायत चुनाव में रनर प्रत्याशी भी रह चुके हैं उपाध्यक्ष..
♦जो भी मामला हुआ यह तो सच है कि बात सही हैं लेकिन कितना सच कितना झूठ यह तो जांच के बाद पता लगता लेकिन पुलिस इस मामले में इतनी तेजी से एक पक्ष की जांच करके कार्यवाही कर देगी यह जनता के गले नही उतर रहा है और जनता में सवाल बन कर तैर रहा है…

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(फ़ोटो परिचय जेई राजेश यादव)

वही इस प्रकरण पर जेई राजेश यादव का कहना है कि हमारे पास धनपतगंज,औघड़पुर,गलबहा पावर हाउस के चार्ज है हर स्थानों से फोन मेरे मोबाइल नंबर पर आता रहता है जो सम्भव नहीं हो पाता कि हंड्रेड परसेंट फ़ोन उठ जाया करें रही बात इनके फ़ोन की तो इनके नम्बर को हमने ब्लाक लिस्ट में कर दिया था जिससे खिन्न थे इस लिए इनलोगो ने पहले से अभद्रता का प्लान बना कर आये थे और ऑफिस में आ कर यह हरकत की जिस पर हमने थाने पर तहरीर दिया जिसपर कार्यवाही हुई

इस प्रकरण पर क्या कहते है कूरेभार थाने के प्रभारी-
“एक तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया है दूसरी तहरीर पर जांच जारी है जैसे ही जांच पूरी हो जाएगी आप को अवगत कराया जाएगा” वही पूरा प्रकरण पूछने पर प्रभारी दरोगा ने बताया कि SO छुट्टी पर गए हैं सारी जानकारी उन्ही को हैं उनके आ जाने पर आप जानकारी प्राप्त कर लीजिए गा

(फ़ोटो परिचय प्रांजल सिंह)

क्या कहते है हिन्दू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष प्रांजल सिंह —
“हमारे पास 10,12 लोग आए और कहा की बिजली की समस्या कई दिनों से है लेकिन जेई साहब सुन नही रहे हैं हमने भी कई बार फोन किया था लेकिन फोन नही उठा बाद में जेई द्वारा मेरे नम्बर को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया जिससे फ़ोन नही मिलता था।हम ग्रामीणों के साथ जेई से मिलने उनके ऑफिस गए,हमने जेई से सवाल किया कि आप द्वारा फोन नही उठाया जाता हैं तो अभद्रता पर उतर आये और हमारे मुखिया के खिलाफ बोले जो बताना अशोभनीय हैं उस दौरान हमारी जेई से गर्मागर्म बहस हुई और कुछ नही हमभी पढे लिखे हैं सरकारी विभाग में जा कर हम इस तरह की हरकत नही करेंगे की हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाय यह सब झूठ है मेरे द्वारा ऐसा कोई भी कार्य नही किया गया है

सुलतानपुर-बिजली संकट से आये दिन आमजनता हो रही हैं परेशान,बढ़ रहे अधिकारियों/कर्मचारियों का जनता के बीच विवाद,अभी शुक्रवार को बिजली विभाग के खिलाफ सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कलेक्ट्री में डीएम कार्यालय आ कर धरना प्रदर्शन किया उसमे भी फोन ना उठाने व पैसे की मांग करने का आरोप लगाया गया।
वही हाल कमोबेश शुक्रवार को कूरेभार थाना क्षेत्र के बाजार में स्थित गलबहा उपकेंद्र का है । जहां एक संगठन के कार्यकर्ता के पहुचे युवाओ ने डियूटी पर तैनात अवर अभियंता की पिटाई कर अभिलेख फाड़ डालने का आरोप विभाग द्वारा लगाया गया
मामला जब पुलिस तक पहुंचा तो दोनों ओर से आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए तहरीर दी गयी।वही पुलिस ने जेई की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया और हिन्दू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष प्रांजल सिंह द्वारा दी गई तहरीर को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया ।हम बताना चाहेंगे कि चाहे मायावती की सरकार या मुलायम सरकार या अखिलेश यादव की सरकार रही हैं हर सरकार के कार्यकाल में कई बार इस तरह के मामले सामने आए हैं कि सरकारी विभाग द्वारा अपनी हनक बनाने के लिए किसी भी संगठन पर दबाव बनाने के लिए सरकारी कार्य मे बाधा,अभिलेख फाड़े जाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब तहरीर दोनो तरफ से पड़ी तो आनन फानन में बिजली विभाग की तहरीर पर कार्यवाही किसके दबाव में आ कर पुलिस विभाग द्वारा लिखी गई जबकि आये दिन आरोप लगता है कि थाने में भाजपा नेताओ व हिंदू युवा वाहिनी के नेताओं के अलावा किसी की सुनवाई नही हो रही हैं अब ऐसा कैसे हो गया कि हिन्दू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष प्रांजल सिंह पर मुकदमा दर्ज लिया गया और उनकी तहरीर पर पुलिस अभी जांच कर रही हैं।वही सूत्रों की माने तो जो कार्यवाही युवा नेता पर हुई है कहीं न कही इसमे राजनीतिक साजिश की बू आ रही है? क्यू इतनी जल्दबाजी में 147,323,332,353,504,506में FIR लिखी गई इनमे सबसे संगीन अपराध 332,353 हैं जो गैर जमानती धारा है

क्या है 332,353 धारा–
* अपराध 332 धारा..
एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने/भयोपरत के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना
सजा – दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 353 उन लोगों पर लगाई जाती है जो सरकारी कर्मचारी पर हमला कर या उस पर ताकत का इस्तेमाल कर उसे उसकी ड्यूटी निभाने से रोकते हैं। ऐसे मामलों में दोषी को दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है