रायबरेली-दस्त से दस फीसदी बच्चों की हो रही मौत, आज से चलेगा अभियान

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दस्त से दस फीसदी बच्चों की हो रही मौत, आज से चलेगा अभियान

रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला

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रायबरेली। लाडलों की मृत्युदर को काम करने के लिए 28 मई से दस्त नियंत्रण पखवारा शुरू हो रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली है। ग्रामीण क्षेत्र के सभी अस्पतालों में जरूरी दवाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। अभियान के तहत आशा बहुएं और एएनएम गांवों में पहुंचकर बच्चों की सेहत जांचने के साथ ही उन्हें दस्त से बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही दवाएं उपलब्ध कराएंगी।लाडलों की हो रही मौतों में सबसे बड़ा कारण दस्त है। करीब 10 प्रतिशत लाडलों की मौतें दस्त के कारण हो जाती हैं। थोड़ी से लापरवाही के कारण बच्चों को जान गंवानी पड़ती है। दस्त पर नियंत्रण के लिए सरकार ने 28 मई सेे दस्त नियंत्रण पखवारा चलाने का निर्णय लिया है। गर्मी के सीजन में बच्चों ने यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। आशा बहुओं व एएनएम को घर-घर जाकर अभियान को सफल बनाने के आदेश दिए हैं।चौबीस घंटों में तीन या इससे अधिक बार पतला मल या उल्टी होने को डायरिया या दस्त कहते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में 14.2 प्रतिशत व ग्रामीण क्षेत्रों में 15.2 बच्चे डायरिया से ग्रसित पाए गए।

रायबरेली जिले में 10.8 प्रतिशत बच्चे डायरिया से ग्रसित पाए गए। छह माह की उम्र तक सिर्फ स्तनपान न कराने, कुपोषण, पूर्ण प्रतिरक्षित न होने, स्वच्छ पेयजल का अभाव एवं साबुन से हाथ न धोने की आदत एवं ओआरएस, जिंक की अनुपलब्धता के कारण यह समस्या आती है। डायरिया में बच्चे को ओआरएस के साथ जिंक की गोली गोली भी 14 दिन तक देनी चाहिए। दो माह से छह माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली व छह माह से पांच साल तक के बच्चों को जिंक की एक गोली साफ पानी या दूध में घोलकर देनी चाहिए।यदि समय पर ध्यान दियाए तो बच्चों की जान बचाई जा सकती। बगैर चिकित्सक की सलाह के एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए।

इनसेट

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीके सिंह ने कहा कि दस्त नियंत्रण पखवारा के लिए तैयारियां पूरी करके अस्पतालों को आरआरएस व जिंक उपलब्ध करा दी गई है। आशा बहुएं व एएनएम घर-घर जाकर बच्चों की सेहत को देखेंगी। आरआरएस व जिंक टैबलेट का वितरण करेंगी। बीमार बच्चों को अस्पताल लाकर इलाज कराएंगी।