रायबरेली-मैटरनिटी विग पर टिकी लोगों की निगाहें

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मैटरनिटी विग पर टिकी लोगों की निगाहें

रिपोर्ट- हिमांशु शुक्ला

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रायबरेली : आज इंटरनेशनल डे ऑफ एक्शन फॉर वूमन हेल्थ है। महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए यहां मैटरनिटी विग बनकर तैयार है। 129 बेड का महिला अस्पताल पहले से संचालित है। बावजूद इसके, प्रसूताओं को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर मैटरनिटी विग में चिकित्सा सुविधाएं मिलने लगें तो गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ तो मिले ही, उनकी मृत्युदर में काफी गिरावट आएगी।मार्च 2014 में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मैटरनिटी विग बनाने और वहां उपकरण लगाने के लिए 19.55 करोड़ रुपये मिले। मगर इसका निर्माण कार्य तय समय मार्च 2016 में नहीं पूरा हो सका। काफी जद्दोजहद के बाद दिसंबर 2018 में यह बिल्डिग जिला महिला अस्पताल की सीएमएस को हैंडओवर हुई। फिर एक जनवरी से वहां ओपीडी शुरू करा दी गई। स्टाफ भी रख लिया गया मगर चिकित्सक सिर्फ एक ही मिला। कई मशीनें अभी तक नहीं आ सकी हैं। शासन से लगातार पत्राचार के बावजूद गाइनकोलाजिस्ट के पद भरे नहीं जा सके हैं। यही कारण है कि यह अस्पताल फिलवक्त महिलाओं के लिए मुफीद नहीं है।

तो हो जाएंगे 229 बेड

अभी महिला अस्पताल में 129 बेड हैं। अगर मैटरनिटी विग शुरू होती है तो यहां भी 100 बेड और हो जाएंगे। इस तरह कुल 229 बेड का अस्पताल हो जाएगा। साथ ही यहां तीन लेबर रूम और तीन आपरेशन थिएटर बनाए गए हैं। जबकि महिला अस्पताल में एक छोटा सा लेबर रूम और एक ही आपरेशन थिएटर है। जिसकी वजह से प्रसूताओं को डिलीवरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।

नवजातों को भी मिलेगी सहूलियत

वैसे महिला अस्पताल में एसएनसीयू यूनिट खुली है, मगर मैटरनिटी विग में 15 बेड का विशेष पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया है। जिसे एसएनसीयू में तब्दील कर दिया जाएगा। फुल एयरकंडीशनर हास्पिटल में हाईटेक अल्ट्रासाउंड मशीन लगनी है। उच्चकोटि की लैब स्थापित होनी है। मगर सब अभी अटका हुआ है।

30 प्रतिशत मृत्यु एनीमिया से
उत्तर प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान या बाद में मृत्युदर 201 प्रति लाख है। पूरे देश में यह रेसियो 130 का है। इसे घटाकर 70 पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। मगर जब तक प्रसूताओं के लिए खासतौर पर ने अस्पतालों का सही से संचालन नहीं होगा, तब तक इस लक्ष्य को हासिल कर पाना संभव नहीं है।

कोट

हमारा प्रयास है कि महिला अस्पताल और मैटरनिटी विग को आपस में जोड़ दिया जाए। इससे चिकित्सकों की कमी नहीं होगी और सुविधाएं भी ज्यादा मिलने लगेंगी। ऐसा प्रस्ताव तैयार किया गया है। डीएम से अनुमति मिलती है तो हम जल्द ही मैटरनिटी विग शुरू कर देंगे। अभी हमें सिर्फ एक चिकित्सक ही मिली हैं।

-डॉ. रेनू वर्मा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महिला अस्पताल